धर्म की नगरी काशी में सावन के तीसरे सोमवार को भक्त विश्वनाथ का जलाभिषेक कर उनसे आशीर्वाद ले रहे हैं। वहीं काशी के छित्तनपुरा में स्थित मकार स्वरुप शिवलिंग का दर्शन करने के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। हजारों साल पुराने इस शिवलिंग की रक्षा में सुग्रीव और बाली मुस्तैद हैं। काशी में देवालयों में यह अकेला शिवलिंग है जहां गर्भगृह के मुख्य द्वार पर उत्तराखंड के राजा सुग्रीव और बाली की मूर्तियां हैं।
काशी के उत्तराखंड में स्थपित है मकार स्वरुप लिंग
मंदिर के पुजारी के पुत्र अक्षय पांडेय ने बताया- काशी के तीन लिंग अकार, मकार और ओंकार मिलकर ओंकारेश्वर के दर्शन का मान है। मकार लिंग काशी के उत्तराखंड में है। ऐसे में यहां उत्तराखंड के राजा-महराजाओं का आना-जाना प्राचीन काल में बना रहता था। वो यहां आकर अपने पूर्वजों की पूजा करवाते थे। इसके अलावा यहां शांति की खोज में निवास करते थे।
बाली-सुग्रीव राजा इसलिए निर्माण
शिवलिंग के द्वार पर बाली सुग्रीव की मूर्तियों के बारे में अक्षय पांडेय ने बताया- यह उत्तराखंड है और उत्तराखंड के राजा हैं बाली-सुग्रीव। इसलिए आज से हजारों वर्ष पहले उत्तराखंड के जो राजा यहां आया करते थे। उन्होंने यह मूर्तियां बनवाई थी। तभी से ये दोनों मूर्तियां द्वार पर स्थापित है।
पहले दक्षिणमुखी थीं मूर्तियां
अक्षय ने बताया- पहले ये दोनों मूर्तियां दक्षिण मुखीं थीं। जब मंदिर का जीर्णोद्वार हुआ तो इनका स्थान बदला गया और उन्हें पूरबमुखी कर स्थापित कराया गया है। ये मूर्तियां हजारों साल पुरानी है। उनका क्षरण होने लगा था। ऐसे में उसपर पेन्ट कर उसका स्वरुप बचाया गया है।
सावन में दर्शन को आते हैं श्रद्धालु
अक्षय ने बताया- साल भर हर शिवरात्रि को यहां श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता है। यहां श्रद्धालु धन-धान्य की मनोकामना मानते हैं। इसके लावा सावन में दर्शन का विशेष लाभ है। ऐसे में श्रद्धालु यहां सावन में ज्यादातर आते हैं। साल में यहां कम लोग आते हैं।
दक्षिण भारतीयों का तीर्थ
अक्षय बताते हैं – इस मंदिर में साल हर दक्षिण भारतीय श्रद्धालु आते हैं और अपने पितरों की आत्मा की शान्ति के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना करवाते हैं। उनका साल भर आना जाना लगा रहता है।