कुशीनगर में शिव बने कलाकार की मौत:डोल मेले में नाचते-नाचते मंच पर बैठा, फिर उठा नहीं, करंट लगने से गई जान

कुशीनगर के डोल मेले में भगवान शिव बने कलाकार की करंट लगने से मौत हो गई। मेले में ट्रैक्टर ट्रॉली पर झांकी निकाली जा रही थी। डीजे पर डांस कर रहा कलाकार थक कर ट्रॉली पर लगे लोहे के पाइप पर बैठ गया। इसी दौरान करंट लगने बेहोश होकर गिर गया।

मामला बुधवार रात तमकुहीराज कस्बे में आयोजित डोल मेले का है। हादसे का वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में दिख रहा है कि छत्रपति शिवाजी महाराज अखाड़ा की झांकी में शिव बना कलाकार बेहोश होकर गिर जाता है। मंच पर मौजूद सहयोगी कलाकार उसे करंट से छुड़ाने का प्रयास कर रहे हैं। सूचना पर मेले में तैनात पुलिसकर्मी तत्काल उसे तमकुहीराज सीएचसी लेकर गए, जहां जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया।

अब जानिए पूरा घटनाक्रम

बेलवा निवासी रामबहाल (23) पुत्र गिरधारी 10 साल से सांस्कृतिक कार्यक्रमों में काम करता था। तीन भाइयों में सबसे छोटा था। अभी उसके पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं। उसने 10वीं तक पढ़ाई की थी। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए पढ़ाई को छोड़कर वह हरिओम हिंदुस्तानी आर्केस्ट्रा ग्रुप से जुड़ गया।

बुधवार को डोल मेले में छत्रपति शिवाजी महाराज अखाड़ा की ओर से झांकी निकाली गई थी। जिसमें वह भगवान शिव बना था। ट्रैक्टर ट्रॉली पर बने मंच पर नाचते-नाचते थककर लोहे के पाइप पर बैठ गया। करंट लगने से अचानक बेहोश होकर नीचे गिर गया और उसकी मौत हो गई।

अब जानिए वीडियो में क्या दिख रहा है

वीडियो में दिख रहा है कि एक ट्रैक्टर ट्रॉली पर कुछ साउंड लदे हुए हैं। उस पर एक मंच बना हुआ है और कई कलाकार देवी-देवताओं का वेश धारण कर नाच रहे हैं। इसी दौरान भगवान शिव की वेश में सजा कलाकार मंच पर आता है और झांकी में डांस करता है। फिर थककर मंच पर लोहे के पाइप पर बैठ जाता है। जिससे वह करंट की चपेट में आ जाता है और वहीं मंच पर ही गिर जाता है। वीडियो में दिख रहा है कि मंच पर खड़े अखाड़े के अन्य सदस्य ये देखकर उसे करंट से छुड़ाने का प्रयास कर रहे हैं।

एसडीएम ने अस्पताल पहुंच कर ली जानकारी

घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम आकांक्षा मिश्रा पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंचीं। थाना इंचार्ज तमकुहीराज सुशील कुमार शुक्ला ने बताया कि कलाकार के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने पर मौत का सही कारण पता चल पाएगा।

10 सालों से चल रही है यह परंपरा

स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब 10 साल पहले डोल मेले में कलाकारों के बीच संगीत प्रतियोगिता होती थी, जिसकी रैंकिंग जनता करती थी। लेकिन पिछले एक दशक में इसका स्वरूप पूरी तरह बदल गया है। अब यहां डीजे पर डांस, भड़कीली झांकियां और कानफोड़ू साउंड के बीच शक्ति प्रदर्शन और अश्लीलता भरे नृत्य मेले की पहचान बन गए हैं।

डोल की आड़ में अश्लीलता का खेल

जिले में डोल मेले की धार्मिक आड़ में बार-बालाओं का अश्लील नृत्य खुलेआम हो रहा है। पिछले साल सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के बाद आम लोगों कड़ा विरोध जताया था। आयोजक प्रशासन से मिली परमिशन का हवाला देकर धार्मिक आयोजन में डीजे और बार-बालाओं के भड़काऊ डांस आयोजित कराते हैं।

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