फोर्ब्स इंडिया की रिच लिस्ट 2025 में हरियाणा की हिसार की विधायक और ओपी जिंदल समूह की प्रमुख सावित्री जिंदल भारत की सबसे अमीर महिला बन गई हैं। 39.6 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति के साथ, उन्होंने मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी के बाद भारत के सबसे धनी लोगों में तीसरा स्थान हासिल कर लिया है।
दुनिया के सबसे अमीर लोगों में सावित्री जिंदल का 48वां स्थान है। इससे पहले अप्रैल में फोर्ब्स बिलियनेयर ( मानक के अनुसार जिसकी कुल संपत्ति कम से कम 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानि 8,300 करोड़ रुपए या उससे अधिक हो) लिस्ट 2025 की सूची जारी हुई थी। उस समय सावित्री जिंदल की कुल संपत्ति 35.5 बिलियन डॉलर थी। यानि 6 महीने में सावित्री जिंदल की संपत्ति 4.1 बिलियन डॉलर बढ़ गई है, जबकि भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की नेटवर्थ 9% गिरकर 1 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 88 लाख करोड़ रुपए रह गई।
पिछले साल उनकी नेटवर्थ 1.1 ट्रिलियन डॉलर यानी, करीब 97 लाख करोड़ रुपए थी। ऐसे में जिंदल समूह लगातार आगे बढ़ रहा है। सावित्री जिंदल हिसार विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बनी हैं। उनके बेटे उद्योगपति नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं।
सावित्री जिंदल के 4 बेटों में बंटा है व्यवसाय
जिंदल समूह की अध्यक्ष का साम्राज्य इस्पात, बिजली, सीमेंट और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में फैला हुआ है। कंपनी की स्थापना उनके दिवंगत पति ओम प्रकाश जिंदल ने की थी, जिनकी 2005 में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद, व्यवसाय उनके चार बेटों में बंट गया।
उनके बेटे सज्जन जिंदल मुंबई स्थित जेएसडब्ल्यू स्टील, जेएसडब्ल्यू सीमेंट और जेएसडब्ल्यू पेंट्स का नेतृत्व करते हैं। उन्होंने 2023 में जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर को सार्वजनिक किया। 2024 में, उन्होंने चीन की एसएआईसी मोटर की सहायक कंपनी एमजी मोटर इंडिया में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करके इलेक्ट्रिक वाहनों में विस्तार किया। नवीन जिंदल, जिंदल दिल्ली में स्टील एंड पावर का प्रबंधन करते हैं।
द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिकी फौजियों के माल से मिला आइडिया
हिसार के गांव नलवा में जन्मे ओपी जिंदल किसान परिवार से थे। छठी कक्षा तक पढ़े ओपी जिंदल अपने भाइयों की तरह ही बाहर जाकर कमाना चाहते थे। दूसरे विश्व युद्ध के अंतिम समय में असम अमेरिकी फौजियों का बड़ा गढ़ था। इसलिए युद्ध के बाद लोहे और इस्पात से बना बहुत सा माल, वे यहीं छोड़ गए थे। ओपी जिंदल को यहीं से व्यापार करने का आइडिया आया।
साल 1952 में जिंदल ने कोलकाता के पास लिलुआ में पाइप बेंड और सॉकेट बनाने की फैक्ट्री लगाई। उन्होंने इस फैक्ट्री का नाम जिंदल इंडिया लिमिटेड रखा। यहीं से उनके सफर की शुरुआत हुई। ओपी जिंदल असम के बाजारों से नीलामी में पुराने पाइप खरीदते थे और उन्हें कोलकाता में बेचते थे। टाटा और कलिंग के बाद भारत में यह तीसरी इस किस्म की फैक्ट्री थी। इसके बाद 1960 में ओपी जिंदल अपने पैतृक जिले हिसार में वापस आ गए।
हिसार में बाल्टी बनाने का काम शुरू किया
ओपी जिंदल ने हिसार आकर सबसे पहले बाल्टी बनाने की फैक्ट्री लगाई। इससे आमदनी शुरू हुई तो 1962 में जिंदल इंडिया लिमिटेड हिसार में भी फैक्ट्री खोल दी। इसके बाद 1969 में जिंदल स्ट्रिप्स लिमिटेड के नाम से फैक्ट्री खोली। आज इसका नाम स्टेनलेस है। अब जिंदल ग्रुप का देश विदेश में इस्पात, बिजली, सीमेंट और बुनियादी ढांचे में निवेश है।
साल 2005 में हेलिकॉप्टर क्रैश में ओपी जिंदल की मौत के बाद जिंदल समूह की कंपनियों का 4 बेटों में बंटवारा हो गया। उनमें से एक बिजनेस टाइकून सज्जन जिंदल हैं, जो JSW स्टील चलाते हैं।
15 साल की उम्र में 6 बच्चों के पिता से शादी की
सावित्री जिंदल का जन्म असम के तिनसुकिया में 20 मार्च 1950 को जन्म हुआ था। उनकी 15 साल की उम्र में ओपी जिंदल से शादी हो गई। ओपी जिंदल की यह दूसरी शादी थी। जिंदल को पहले पत्नी विद्या देवी से 6 बच्चे हैं। नवीन जिंदल सावित्री जिंदल का बेटे हैं और नवीन की 3 और बहने भी हैं। सावित्री देवी ने छोटी उम्र में 6 बच्चों के साथ-साथ पति और अपने 4 बच्चों को भी पाला।
2005 में पति की मौत के बाद बिजनेस संभाला और राजनीति में भी हाथ आजमाए। सावित्री जिंदल ने पति की मौत के बाद 2005 में हिसार से उपचुनाव लड़ा और जीतकर राजनीति में एंट्री की। लगातार दो चुनाव जीतकर हरियाणा कैबिनेट में मंत्री बनीं।
मां के साथ पिता की भी भूमिका निभाई
सावित्री जिंदल ने एशिया वन मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहा था कि मैं आम भारतीय नारी की तरह की घर में रहकर परिवार की देखभाल कर रही थी। अचानक पति (ओपी जिंदल) की मौत के बाद मुझे बिजनेस संभालना पड़ा। अगर किसी के पिता का साया अचानक सिर से उठ जाए तो मां को पिता की भूमिका निभानी पड़ती है। जिंदल साहब अपने पीछे समाज और परिवार को प्रेम के सूत्र में बांधे रखने की विरासत छोड़ गए थे।
उनमें सबको साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता थी, इसलिए उनसे प्रेरणा लेकर मैंने एक कड़ी के रूप में अपनी भूमिका निभाई। बच्चों के साथ भी और हिसार-हरियाणा परिवार के साथ भी। मुझे अपने बच्चों पर बहुत गर्व है, जिन्होंने जिंदल साहब के दिखाए रास्ते पर चलते हुए न सिर्फ बिजनेस को सफलतापूर्वक संभाला है, बल्कि प्यार से साथ रहकर अपना बिजनेस और परिवार भी एक साथ चला रहे हैं।
आज के माहौल में 2 भाइयों का एक साथ रहना मुश्किल है, लेकिन हमारे लिए यह बड़ी बात है कि मेरे सभी बच्चे एक साथ प्यार से रह रहे हैं। जिंदल साहब की भी यही सोच थी कि सबको मिलजुल कर रहना चाहिए और हमारे बच्चे उनकी इच्छा का सम्मान करते थे। हम सब एक साथ हैं। मेरी नजर में प्यार और आपसी विश्वास ही सफलता की कुंजी है।