हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी और भाजपा पंजाब के वर्किंग स्टेट प्रधान व विधायक अश्वनी शर्मा आज सिखों के ऐतिहासिक तीर्थ स्थल गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब में माथा टेकेंगे। दोनों नेता दोपहर 2:30 बजे गुरुद्वारा साहिब पहुंचेंगे। इस दौरान वे साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह की अतुलनीय शहादत को श्रद्धापूर्वक नमन करेंगे और गुरुद्वारा साहिब में अरदास करेंगे।
बताया जा रहा है कि फतेहगढ़ साहिब में दी गई साहिबजादों की महान कुर्बानी साहस, आस्था और धर्म के प्रति अडिग संकल्प का प्रतीक है। इस अवसर पर भाजपा के अन्य नेता और स्थानीय कार्यकर्ता भी मौजूद रह सकते हैं।
राजनीतिक मायनों से काफी अहम यह दौरा
यह दौरा सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी निकाल रहे हैं। पार्टी नेतृत्व इसे पंजाब में सिख समाज के साथ संवाद और भावनात्मक जुड़ाव मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम मान रहा है। आने वाले समय में पंजाब की सियासत में सक्रिय भूमिका निभाने की रणनीति के तहत वरिष्ठ नेताओं की धार्मिक स्थलों पर मौजूदगी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
फतेहगढ़ साहिब में अरदास के बाद दोनों नेता पार्टी पदाधिकारियों और स्थानीय नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि साहिबजादों की शहादत को नमन के बहाने भाजपा पंजाब में सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दों के जरिए अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
पंचकूला में शहीद साहिबजादों के लिए शाह ने कहीं थीं 3 अहम बातें…
- शहादत याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं: यहां उन्होंने कहा कि साहिबजादों की शहादत याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ये बहुत दर्दनाक महीना माना जाता है। जिन साहिबजादों की बात करना चाहते हैं बाबा जोरावर सिंह जिनकी उम्र सिर्फ 9 साल थी, बाबा फतेह सिंह जिनकी उम्र सिर्फ 7 साल थी, उन्हें लोभ दिए गए, लेकिन उन्होंने शहादत को स्वीकार किया।
- सिख गुरुओं ने भारत को एक सूत्र में पिरोया: ये भावना इतनी कम आयु में पैदा भी नहीं हो सकती। शायद उनकी मां का ये संस्कार ही होगा। जब हम आज इतने सालों के बाद इस घटना को याद भी करते हैं तो रोंगटे भी खड़े हो जाते हैं। सिख गुरुओं ने भारत को एक सूत्र में पिरोया है, उनके योगदान को देश कभी भुला नहीं पाएगा।
- गुरु तेग बहादुर न होते, तो हिंदू नहीं होते: हम बात करें हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर की। यदि वह नहीं होते तो आज कोई भी हिंदू नहीं होता। कश्मीरी पंडितों को बचाने का भी काम उन्होंने किया। इसलिए उन्हें हिंद की चादर कहा गया है, पंजाब की चादर नहीं।
राजनीति के कारण पंजाब और हरियाणा CM का विवाद
नायब सिंह सैनी लगातार पंजाब की राजनीति में सक्रिय रहते हैं। वह किसी न किसी बहाने से पंजाब की राजनीति को प्रभावित करते रहते हैं। वह पंजाब आकर पंजाबी बोलते हैं और पगड़ी पहनकर पंजाबियों से जुड़ने का प्रयास भी करते हैं। कभी पंजाब में आई बाढ़ के पीड़ितों के सहारे तो कभी किसी मुद्दे पर वह पंजाब में राजनीति करने का मौका नहीं छोड़ते हैं।
अब जब हरियाणा CM पंजाब के मुद्दों में हस्तक्षेप करते हैं तो पंजाब CM भगवंत सिंह मान भी पीछे नहीं रहते हैं। हरियाणा में बास्केट बाल प्लेयर की मौत के बाद हरियाणा पहुंचकर परिवार से मिले और हरियाणा सरकार को घेरा था और उनका यह दौरा काफी सुर्खियों में रहा था।
अगले साल पंजाब में चुनाव है तो भारतीय जनता पार्टी पंजाब में किसी भी हाल में अपनी सरकार बनाने के लिए हर वो कार्य कर रही है जिससे वह पंजाब के लोगों को अपने साथ जोड़ सके।