पशु परिचर (एनिमल अटेंडेंट) भर्ती प्रक्रिया पर से रोक हट गई है। भर्ती में नंबरों को बराबर करने (स्केलिंग) का तरीका गलत बताते हुए लगाई गई याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब 6433 पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए 17 लाख से ज्यादा आवेदन आए थे।
याचिका में कुछ अभ्यर्थियों ने शिकायत की थी कि राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड (RSMSSB) की ओर से अपनाया गया भर्ती में नंबरों को बराबर करने (स्केलिंग) का तरीका गलत है।
याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस रेखा बोराणा की कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भर्तियों की प्रक्रिया, जिसमें विशेषज्ञों की ओर से चुने गए मानकों का पालन किया गया। उसमें कोर्ट को हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं दिखा। 24 जुलाई 2025 को कोर्ट ने इससे जुड़े सभी स्टे और अन्य लंबित आवेदनों को भी खारिज कर दिया था।
9 मई 2025 को राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। 13 मई 2025 को कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाई थी।
इन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी
नितेश पाटीदार (डूंगरपुर), महेश कुमार (डीडवाना-कुचामन), हिमांशु सुथार (डूंगरपुर), राकेश रुले (चूरू) , अंकित कुमार (श्रीगंगानगर), अशोक जाट (चित्तौड़गढ़), सुखलाल उपाध्याय (चूरू), राकेश रिंवा (नागौर), मानाराम (बाड़मेर), दिलीप सिंह (सिरोही), अल्ताफ कुरैशी (नागौर), मंजू बाला (गंगानगर), विपुल कुमार (बांसवाड़ा), सचिन गनोलिया (चूरू) और कृष्णपाल सिंह (पाली) ने स्केलिंग फॉर्मूले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद भर्ती प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं का तर्क
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि 3 अप्रैल 2025 को आए एनिमल अटेंडेंट भर्ती रिजल्ट में स्केलिंग फॉर्मूले का इस्तेमाल किया गया है। जबकि 6 अक्टूबर, 2023 के विज्ञापन में सिर्फ नेगेटिव मार्किंग की बात कही गई थी। विज्ञापन में साफ लिखा था कि हर सही जवाब के लिए एक नंबर मिलेगा और हर गलत जवाब के लिए 1/4 नंबर कटेगा।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि विज्ञापन में कहीं भी स्केलिंग, नॉर्मलाइजेशन या रेशनलाइजेशन जैसी किसी भी तरीके का जिक्र नहीं था। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि स्केलिंग के बाद भी उम्मीदवारों के ‘रॉ मार्क्स’ (बिना स्केलिंग के मिले नंबर) घोषित नहीं किए गए और न ही रिजल्ट के साथ अलग-अलग कैटेगरी के लिए कट-ऑफ मार्क्स बताए गए।
बोर्ड ने कहा– 17 लाख आवेदकों की एक दिन-एक पारी में परीक्षा कैसे संभव होती
राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड (RSMSSB) की ओर से एडवोकेट मनीष पटेल ने कोर्ट में बताया था- इस भर्ती के लिए 17 लाख से ज्यादा आवेदन आए थे। इतने सारे उम्मीदवारों की परीक्षा एक ही दिन या एक ही शिफ्ट में कराना संभव नहीं था, इसलिए परीक्षा कई शिफ्टों में करवाई गई थी।
बोर्ड ने कहा- जब यह तय हो गया कि परीक्षा कई शिफ्टों में होगी, तो यह भी समझ आ गया कि सभी उम्मीदवारों के बीच बराबरी बनाए रखने के लिए नॉर्मलाइजेशन/स्केलिंग तरीका अपनाना जरूरी होगा।
इसी वजह से 5 जून, 2024 को एक सर्कुलर जारी करके बताया गया था कि परीक्षा अलग-अलग शिफ्टों में होगी और इस भर्ती में नॉर्मलाइजेशन का तरीका अपनाया जाएगा। इस सर्कुलर को मूल विज्ञापन का ही हिस्सा माना गया।
असफल उम्मीदवारों के रॉ मार्क्स घोषित
‘रॉ मार्क्स’ घोषित न करने के बारे में बोर्ड ने माना- पहली सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठाए जाने के बाद, राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड ने असफल उम्मीदवारों के ‘रॉ मार्क्स’ घोषित कर दिए हैं।
एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव से स्केलिंग फॉर्मूले तय
एडवोकेट मनीष पटेल ने स्केलिंग फॉर्मूले के बारे में बताया- इसे एक एक्सपर्ट कमेटी ने सुझाया था, जिसे इसी काम के लिए बनाया गया था। समिति ने सभी 6 शिफ्टों के प्रश्न-पत्रों की अच्छी तरह से जांच की। उनकी कठिनाई के स्तर को समझा और फिर एक खास फॉर्मूला सुझाया ताकि अलग-अलग शिफ्टों में परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों के बीच बराबरी बनी रहे।
रिजल्ट के बाद आपत्ति क्यों?
सरकार की ओर से AG राजेंद्र प्रसाद व AAG आईआर चौधरी ने कहा- याचिकाकर्ताओं ने यह आरोप नहीं लगाया है कि बोर्ड ने बेईमानी की या स्केलिंग फॉर्मूला लगाते समय कोई मनमाना या गलत फॉर्मूला इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीदवारों को पहले ही बता दिया गया था कि नॉर्मलाइजेशन होगा और अब जब रिजल्ट आ गया है तो उम्मीदवार इसे चुनौती नहीं दे सकते क्योंकि उन्होंने उस समय कोई आपत्ति नहीं उठाई थी।