कांग्रेस ने गुरुवार रात 11 बजे के बाद अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। इसमें 48 कैंडिडेट्स के नाम हैं। कुटुंबा से प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम चुनाव लड़ेंगे, जबकि सीनियर लीडर शकील अहमद कदवा से चुनावी मैदान में उतरेंगे। राजापाकर से प्रतिमा दास पर पार्टी ने फिर से भरोसा जताया है।
लिस्ट में 5 महिलाएं, 4 मुस्लिम उम्मीदवारों के नाम हैं। सोनबरसा से सरिता देवी, बेगूसराय से अमिता भूषण, हसुआ से नीतू कुमारी, कोढ़ा से पूनम पासवान और राजापाकर से प्रतिमा कुमारी को मैदान में उतारा गया है।
कांग्रेस की पहली लिस्ट में 11 सिटिंग विधायकों पर भरोसा जताते हुए फिर से टिकट दिया गया है। इसमें भागलपुर, कदवा, मनिहारी, मुज़फ्फरपुर, राजापाकड़, बक्सर, राजपुर, कुटुंबा, करगहर, हिसुआ और औरंगाबाद के विधायक शामिल हैं।
वहीं, खगड़िया से सिटिंग विधायक छत्रपति यादव का टिकट काट दिया गया है। उनकी जगह चंदन यादव को टिकट दिया गया है। चंदन यादव पिछली बार बेलदौर से लड़े थे और हार गए थे। लिस्ट आने से पहले ही पार्टी ने सिंबल बांटना शुरू कर दिया था।
पटना एयरपोर्ट पर कांग्रेस नेताओं ने की थी मारपीट
बुधवार को दिल्ली से लौटे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, कृष्ण अल्लावरू, शकील अहमद को पार्टी के कार्यकर्ताओं ने घेर लिया। किसी तरह बचकर वे अपनी गाड़ी में बैठकर एयरपोर्ट से निकले।
दरअसल, बिक्रम विधानसभा सीट पर डॉ. अशोक आनंद पिछले कई सालों से तैयारी कर रहे थे, लेकिन टिकट अनिल शर्मा को दे दिया गया। इसी बात से डॉ. अशोक आनंद के समर्थकों में नाराजगी थी। नेताओं ने कांग्रेस पर 5 करोड़ में टिकट बेचने का आरोप लगाया था।
2020 में 70 सीटों पर लड़ी थी कांग्रेस
2020 में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसमें पार्टी महज 19 सीटें ही जीत पाई थी। कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 27% था। पिछली बार कांग्रेस का सबसे बड़ा आरोप था कि उसे RJD ने ज्यादातर कमजोर और हारी हुई सीटें दीं, जिससे उसका प्रदर्शन प्रभावित हुआ। इस बार इस गलती से बचने की पूरी कोशिश की गई।
हर सीट के जातीय, सामाजिक समीकरण, पिछले चुनावी नतीजों और संभावित उम्मीदवार की ताकत का गहन विश्लेषण किया गया ताकि गठबंधन की हर सीट मजबूत हो।
कांग्रेस में सीट बंटवारे को लेकर करनी पड़ी जद्दोजहद
इस बार महागठबंधन में सीट बंटवारे में सबसे ज्यादा जद्दोजहद कांग्रेस को करनी पड़ रही है। पार्टी ने इस बार अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है।
लालू प्रसाद के प्रभाव से पार्टी को मुक्त करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष से लेकर प्रभारी तक बदल दिए गए। लालू के करीबी माने जाने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
वहीं, राहुल गांधी ने अपने भरोसेमंद सहयोगी कृष्णा अल्लावरू को बिहार का प्रभारी नियुक्त किया। राहुल गांधी ने खुद भी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए बिहार में सक्रियता बढ़ाई।