महाकाल मंदिर में आस्था और दान दोनों में उछाल:एक साल में 13 करोड़ से अधिक के आभूषण मिले, 1अरब से अधिक का दान आया

महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था और दान दोनों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। देश-विदेश से आने वाले भक्त अब पहले से कहीं अधिक संख्या में भगवान महाकाल के दर्शन कर रहे हैं और दिल खोलकर दान भी कर रहे हैं।

महाकाल लोक बनने से पहले मंदिर में प्रतिदिन 40 से 50 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर रोजाना करीब डेढ़ से दो लाख श्रद्धालुओं तक पहुंच गई है। बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालु सोना-चांदी के साथ-साथ नगदी भी दान कर रहे हैं।

महाकाल मंदिर में बीते 11 महीनों में 5.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। इस दौरान भक्तों ने करीब 13 करोड़ रुपए मूल्य का सोना-चांदी दान किया है, जबकि नकद दान के रूप में 43 करोड़ 43 लाख रुपए मंदिर समिति को प्राप्त हुए हैं।

इस वर्ष 1 जनवरी से 15 दिसंबर तक कुल 5.5 करोड़ श्रद्धालु महाकाल मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे। मंदिर परिसर में विभिन्न स्थानों पर लगी दान पेटियों से महाकाल मंदिर समिति को 43 करोड़ 43 लाख रुपए का दान प्राप्त हुआ है। वहीं शीघ्र दर्शन व्यवस्था से मंदिर समिति को करीब 64 करोड़ 50 लाख रुपए की आय हुई है।

पिछले वर्ष 2024 में भेंट पेटी और शीघ्र दर्शन से महाकाल मंदिर को कुल 92 करोड़ रुपए की आय हुई थी। इस वर्ष, पिछले साल की तुलना में करीब 15 करोड़ रुपए अधिक दान भगवान महाकाल को प्राप्त हुआ है।

एक अरब 7 करोड़ दान पेटी और शीघ्र दर्शन से आय

इस बार भेंट पेटी और शीघ्र दर्शन से महाकाल मंदिर को 11 माह 15 दिन में 107 करोड़ 93 लाख रुपए की आय हुई है। अभी 15 दिन शेष हैं जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के महाकाल मंदिर पहुंचने की उम्मीद है। महाकाल मंदिर में अन्य स्त्रोताें से होने वाली आय जैसे भस्म आरती बुकिंग,अभिषेक पूजन की आय, अन्न क्षेत्र से आय, धर्मशाला बुकिंग आय,फोटोग्राफी मासिक शुल्क आय, भांग एवं ध्वजा बुकिंग से आय,उज्जैन दर्शन बस सेवा से होने वाली आय शामिल नहीं।

इस वर्ष अब तक यह दान मिला

  • सोना 1483.621 ग्राम।
  • चांदी 592.366 किग्रा।
  • दान पेटियों से 43 करोड़ 43 लाख रुपए।
  • शीघ्र दर्शन व्यवस्था से 64 करोड़ 50 लाख।

13 करोड़ से अधिक के आभूषण दान आए

महाकाल मंदिर में एक जनवरी 2025 से लेकर पंद्रह दिसंबर 2025 तक के बीच में श्रद्धालुओं ने 592.366 किग्रा चांदी और 1483.621 ग्राम सोना बाबा महाकाल को दान किया है। दान आए आभूषणों में सोने की कीमत करीब 1 करोड़ 82 लाख रुपए तो चांदी की कीमत 11 करोड़ 85 लाख रुपए के आसपास है। महाकाल मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं ने एक वर्ष से भी कम समय में 13 करोड़ रुपए से अधिक के तो सिर्फ आभूषण ही दान कर दिए।

पिछले वर्ष की तुलना में 193 किलो चांदी अधिक

भक्तों ने वर्ष 2024 में इस वर्ष की तुलना में सोना अधिक दान किया था। इस वर्ष चांदी पिछले वर्ष की तुलना में अधिक दान में मिली है। साल 2024 में 1 जनवरी से 13 दिसंबर 2024 तक भक्तों ने 399 किलो चांदी और 1533 ग्राम सोना बाबा महाकाल को दान किया था। हालांकि पिछले वर्ष और इस वर्ष सोने और चांदी की कीमत में काफी अंतर आने से बाबा महाकाल को मिलने वाले दान की कीमत में करीब 10 करोड़ रुपए का अंतर आ गया। साल 2024 में 64 किलो आभूषण ऐसे थे जो दानपेटी से निकले थे, जिसमें हीरे की अंगूठी, कीमती घड़ी, डॉलर सहित अन्य देशों की मुद्रा भी शामिल थे।

वर्ष 2025 खत्म होने को है इससे पहले महाकाल मंदिर से मिले आंकड़ों को देखें तो सामान्य दिनों में मंदिर दर्शन के रोजाना 1.20 लाख श्रद्धालु आ रहे हैं। वीक एंड में डेढ़ से पौने दो लाख श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं। महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक आशीष फलवाड़िया ने बताया कि एक जनवरी से दिसंबर माह के शुरुआत तक मंदिर में अब तक पांच करोड़ पचास लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच चुके है। 25 दिसंबर से 31 जनवरी तक करीब 6 लाख श्रद्धालुओं के मंदिर में पहुंचने की संभावना है।

दो वर्ष से गर्भगृह बंद

महाकाल मंदिर में गर्भगृह बंद हुए करीब दो वर्ष अधिक का समय हो चुका है। मंदिर के गर्भगृह में दर्शन करने का शुल्क 750 रुपए प्रति व्यक्ति और जल अर्पण का 1500 शुल्क था। जुलाई 2023 में गर्भगृह में आम भक्तों का प्रवेश बंद कर दिया गया। जिसके बाद से गर्भगृह पूर्णतः बंद है। साल 2023 में जनवरी से जुलाई तक गर्भगृह दर्शन और जल अर्पण से सात माह में 21 करोड़ रुपए की आय हुई थी। गर्भगृह बंद होने से महाकाल मंदिर समिति को करोड़ों रुपए के दान का नुकसान हो रहा है।

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