यूपी में तूफान मोन्था का असर दिख रहा है। वाराणसी, बलिया, मऊ समेत 20 शहरों में सुबह से रुक-रुक कर बारिश हो रही है। गांवों में खेतों में लबालब पानी भर गया है। कटी पड़ी धान की फसल बर्बाद हो रही है। बलिया, मऊ समेत तमाम जिलों में बारिश किसानों के लिए आफत बन गई है।
बलिया में किसान पानी में डूबे खेतों से फसलों को निकाल कर ऊंची जगहों पर पहुंचाने को मजबूर हैं। घरवाले सुबह से ही खेतों में जुटे हुए हैं। काशी में मां अपने 9 साल के बेटे के साथ खेत से धान की भीगी फसल बाहर निकालते दिखाई दी। मऊ में हालात सबसे ज्यादा खराब है। यहां एक किसान ने बताया कि उसकी लगभग 70 फीसदी फसलें बर्बाद हो गई है।
वाराणसी में बीते 30 घंटों से रिमझिम बारिश हो रही है। लुढ़कते पारे ने 8 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यहां 2018 के बाद अक्टूबर महीना सबसे ठंडा रहा। लखनऊ में बादल छाए हुए हैं। लगातार तीसरे दिन लोगों को सूरज के दर्शन नहीं हुए। इसके अलावा प्रयागराज, बलिया, गोंडा, अयोध्या, जौनपुर, गाजीपुर, मऊ और आजमगढ़ में सुबह से रुक-रुक कर बारिश हो रही है।
IMD ने आज शुक्रवार को 18 जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश का अलर्ट जारी किया है। हालांकि, चक्रवाती तूफान ‘मोन्था’ अब कमजोर होकर लो-प्रेशर सिस्टम में बदल गया है। ऐसे में इसका असर कल तक यानी 1 नवंबर तक देखने को मिल सकता है। कल पूर्वांचल में भारी बारिश हो सकती है। 30 से 40 किमी प्रति घंटे की स्पीड से हवाएं चलने का अनुमान है।
बारिश धान की फसल के लिए नुकसानदायक बारिश और तेज हवा का असर धान की फसल पर पड़ा है। कहीं धान की फसल कटने को तैयार है तो कहीं कटकर सूखने के लिए खेत में पड़ी है। ऐसे में कई जिलों में तेज हवा से खड़ी फसलें गिर गई हैं। कई जगह खेत में कटी फसल भीग गई। ऐसे में धान के दाने खराब होने और फफूंद लगने की आशंका बढ़ गई है।
सीएम योगी ने अफसरों को सर्वे कराकर आपदा से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है। वहीं, गेहूं की बुआई के लिए मौसम सही है। बारिश से मिट्टी में पर्याप्त नमी आ चुकी है, जिससे बिना सिंचाई के जोताई और बुआई आसान हो गई है। इससे अंकुरण अच्छा होगा। चना, मसूर, मटर और सरसों की बुआई के लिए भी अच्छा समय है।