रण संवाद-2025 का दूसरा दिन:महू में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे संबोधित, सीडीएस बोले- भारत शांतिप्रिय देश लेकिन शांतिवादी नहीं

महू में आयोजित रण संवाद 2025 में दूसरे दिन बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सुबह करीब 9:30 बजे सैन्य अधिकारियों को संबोधित करेंगे। इससे पहले, शुरुआत में कमांडेंट स्कूल ऑफ आर्टिलरी के लेफ्टिनेंट जनरल एनएस सरना ने भारतीय सेना द्वारा ‘प्रशिक्षण पहलों के माध्यम से युद्ध के लिए प्रौद्योगिकी का एकीकरण’ पर अपनी बात रखी। उन्होंने सैनिकों को भविष्य के लिए तैयार रखने के लिए विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बिठाने वाले अनुकूल और चुस्त प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

इसके साथ ही ड्रोन, साइबर सुरक्षा, रक्षात्मक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और सूचना युद्ध को शामिल करने के लिए बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण को पुनर्परिभाषित करने के लिए सैद्धांतिक बदलाव का आह्वान किया। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों को प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण केंद्र बनना चाहिए।

मंगलवार रात करीब 9 बजे रक्षा मंत्री महू पहुंचे। यहां आर्मी वॉर कॉलेज में विश्राम किया। कार्यक्रम के बाद रक्षा मंत्री समेत सभी सैन्य अधिकारी दिल्ली रवाना हो जाएंगे।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार जल, थल और वायु तीनों सेनाओं का रण संवाद किया गया है। कार्यक्रम की योजना दो साल पहले बनाई गई थी। इसमें उभरती प्रौद्योगिकियों और युद्ध पर उनके प्रभाव पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

सीडीएस बोले- ऑपरेशन सिंदूर जारी

इससे पहले, मंगलवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने मुख्य भाषण दिया था। CDS चौहान ने कहा कि भले ही भारत शांतिप्रिय देश है, लेकिन हम ‘शांतिवादी’ नहीं हैं। दुश्मन गलतफहमी में न रहे। देश की सेनाएं युद्ध के लिए हमेशा तैयार हैं। CDS जनरल चौहान ने कहा कि शक्ति के बिना शांति एक ‘यूटोपियन’ धारणा है। जनरल चौहान ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां दोहराते हुए कहा, ‘क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो, उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो।’

ऑपरेशन सिंदूर जारी है, शस्त्र और शास्त्र एक साथ फॉलो करेंगे

CDS ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है। ऑपरेशन सिंदूर एक आधुनिक संघर्ष था, जिससे हमने कई सबक सीखे। उनमें से ज्यादातर पर अमल चल रहा है। सीडीएस ने कहा- गीता और महाभारत में युद्ध नीति के सबसे बेहतरीन उदाहरण हैं। चाणक्य की नीति ने चंद्रगुप्त को विजय दिलाई। उन्होंने कहा है शक्ति, उत्साह और युक्ति… युद्ध नीति के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। शस्त्र और शास्त्र दोनों को एकसाथ फॉलो करने की जरूरत है।

CDS ने बताया- बेहद खतरनाक होगी भविष्य की जंग

नरल चौहान ने कहा कि निकट भविष्य की जंग बेहद खतरनाक होगी, उसमें हम मिलकर (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) ही जीत हासिल कर सकते हैं। CDS ने कहा कि हमें हर हालात में सशक्त और आत्मनिर्भर बनना है। उन्होंने साफ किया इस रण संवाद का उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करना नहीं है। हम ऑपरेशन सिंदूर के आगे क्या है उस पर चर्चा कर रहे हैं यानी ‘फ्यूचर वॉरफेयर’ कैसा होगा।

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