रिलायंस फिर से शुरू करेगी रूसी तेल का आयात:जामनगर रिफाइनरी के लिए ये खरीदारी होगी, अमेरिका से मिली एक महीने की छूट

मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने एक बार फिर रूस से कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) का आयात शुरू कर दिया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने गुजरात के जामनगर स्थित अपनी दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी के लिए रूसी तेल की खरीदारी फिर से शुरू की है।

खास बात यह है कि रिलायंस को इसके लिए अमेरिका से एक महीने की विशेष छूट मिली है। यह खबर ऐसे समय में आई है जब हाल ही में पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के डर से रिलायंस ने रूसी तेल के आयात को सीमित कर दिया था।

अमेरिका ने दी एक महीने की ‘सीक्रेट’ राहत

सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी सरकार ने रिलायंस को रूस की सरकारी कंपनी ‘रोजनेफ्ट’ (Rosneft) से तेल खरीदने के लिए एक महीने की मोहलत दी है।

इससे पहले अमेरिका ने अक्टूबर में रोजनेफ्ट और लुकोइल जैसी रूसी कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे और विदेशी कंपनियों को 21 नवंबर तक अपने पुराने सौदे निपटाने का समय दिया था।

अब रिलायंस को मिली इस अतिरिक्त राहत के बाद नवंबर के आखिरी हफ्ते से अब तक करीब 15 रूसी जहाजों ने जामनगर में कच्चा तेल पहुंचाया है।

एक्सपोर्ट का इस्तेमाल घरेलू यूनिट में होगा

रिलायंस ने प्रतिबंधों के बीच एक बीच का रास्ता निकाला है। जामनगर कॉम्प्लेक्स में दो रिफाइनरियां हैं। एक SEZ रिफाइनरी है जहां से तेल यूरोप और अमेरिका को एक्सपोर्ट किया जाता है, और दूसरी डोमेस्टिक (DTA) रिफाइनरी है जो भारत के बाजार के लिए तेल बनाती है।

कंपनी ने साफ किया है कि अब जो रूसी तेल आ रहा है, उसे केवल घरेलू यूनिट (DTA) में ही प्रोसेस किया जाएगा। इससे कंपनी यूरोप के उन नियमों से बच सकेगी जो रूसी तेल से बने पेट्रोल-डीजल के आयात पर रोक लगाते हैं।

यूरोपीय संघ के कड़े नियमों का असर

यूरोपीय संघ (EU) ने घोषणा की है कि 21 जनवरी 2026 से वह उन रिफाइनरियों से ईंधन नहीं खरीदेगा, जिन्होंने पिछले 60 दिनों में रूसी तेल का इस्तेमाल किया है। इसी को देखते हुए रिलायंस ने अपनी एक्सपोर्ट यूनिट (SEZ) को पूरी तरह ‘रूस-मुक्त’ कर दिया है।

अब वहां केवल मिडिल ईस्ट और अन्य देशों का कच्चा तेल इस्तेमाल हो रहा है, ताकि यूरोप को होने वाले एक्सपोर्ट पर कोई आंच न आए।

सस्ते रूसी तेल का फायदा उठाना चाहती है कंपनी

रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत को रूस से काफी सस्ता कच्चा तेल मिल रहा है। रिलायंस और रोजनेफ्ट के बीच सालाना करीब 2.5 करोड़ टन (5 लाख बैरल रोजाना) तेल खरीदने का एक लंबा करार भी है।

हालांकि प्रतिबंधों के कारण बीच में कुछ रुकावटें आई थीं, लेकिन अब नॉन-सैंक्शन (जिन पर प्रतिबंध नहीं है) सप्लायर्स और अमेरिकी छूट के जरिए रिलायंस फिर से इस सस्ते तेल का फायदा उठाना चाहती है।

मिडिल ईस्ट से भी बढ़ाई गई तेल की सप्लाई

नवंबर के दौरान जब रूसी तेल की सप्लाई कम हुई थी, तब रिलायंस ने इराक, कुवैत और सऊदी अरब जैसे देशों से तेल की खरीदारी 41% तक बढ़ा दी थी।

अब रिलायंस अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है ताकि वह एक तरफ पश्चिमी प्रतिबंधों का पालन भी करे और दूसरी तरफ रूस के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को भी बनाए रखे।

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