सुप्रीम कोर्ट में होगी लूनी-बांडी-जोजरी नदी प्रदूषण पर सुनवाई:16 सितंबर को लिया था स्वत: संज्ञान, तीन पुरानी याचिकाएं में भी इसी में जोड़ी

सुप्रीम कोर्ट में जोधपुर की लूणी, बांडी और जोजरी नदियों में प्रदूषण के मामले में दायर तीनों याचिकाओं पर अब एक साथ सुनवाई होगी। 9 अक्टूबर को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस संबंध में आदेश पारित किया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर को स्वतः संज्ञान लिया था।

गुरुवार को हुई सुनवाई में यह सामने आया कि इन नदियों में प्रदूषण को लेकर जोधपुर के अधिवक्ता दिग्विजय सिंह, अराबा के ग्रामीणों और पाली के लोगों द्वारा अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थी।

इन तीनों याचिकाओं के साथ एक अन्य याचिका भी थी, जिस पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) द्वारा संयुक्त आदेश जारी किया गया था। कोर्ट ने लूणी, बांडी और जोजरी से संबंधित याचिकाओं को स्वतः संज्ञान याचिका के साथ जोड़ने और एक अन्य याचिका, जिसके मुद्दे अलग हैं, अलग रखने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि वह इससे संबंधित सभी दस्तावेजों को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के समक्ष प्रस्तुत करें, ताकि सभी मामलों की सुनवाई एक साथ करने के निर्देश प्राप्त किए जा सकें।

1. तीन नदियों में प्रदूषण की आपदा

कोर्ट ने अपने आदेश में नोट किया कि इस पर्यावरणीय आपदा में तीन नदियां शामिल हैं। लूनी नदी अरावली पर्वतमाला में अजमेर से निकलती है और पाली, जोधपुर, बाड़मेर जिलों से होकर बहती है। अंत में यह कच्छ के रण में विलीन हो जाती है। बांडी नदी लूनी की सहायक नदी है, जो पाली, जोधपुर और बाड़मेर जिलों से होकर बहती है। यह लूनी नदी में ही मिल जाती है। इसी तरह, जोजरी नदी जोधपुर जिले की सीमा के भीतर बहती है।

कोर्ट ने कहा कि इस पर्यावरणीय मुद्दे पर राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ में अनेक रिट याचिकाएं दायर की गई थी। इन याचिकाओं को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, प्रधान पीठ, नई दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया। ग्राम पंचायत अरबा ने जोजरी नदी में प्रदूषण के संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, प्रधान पीठ, नई दिल्ली के समक्ष दायर की थी, जो इस स्वतः संज्ञान रिट याचिका का विषय है।

2. एसटीएफ बनाई, फिर खत्म भी कर दी

एनजीटी ने इन नदियों में प्रदूषण की समस्याओं को हल करने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया था। यह टास्क फोर्स जोधपुर के टेक्सटाइल और स्टील उद्योगों तथा जोधपुर जिले से सटे बालोतरा और पाली जिलों के टैक्सटाइल उद्योगों द्वारा फैलाए गए औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास में बनाई गई थी।

23 नवंबर 2020 और 7 दिसंबर 2020 के आदेशों द्वारा विशेष टास्क फोर्स को समाप्त कर दिया गया और जोधपुर, पाली और बालोतरा जिलों में चल रहे उद्योगों द्वारा फैलाए गए प्रदूषण की निगरानी के लिए 3 अलग-अलग निगरानी समितियां बनाई गईं। जस्टिस प्रकाश चंद्र टाटिया (राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज और रांची स्थित झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश) को इन तीनों समितियों का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

निगरानी समितियों ने सभी मामलों में निम्नलिखित सामान्य मुद्दों की पहचान की। जिसमें सामने आया कि जोधपुर, पाली, बालोतरा, जसोल और बिठुजा के टेक्सटाइल उद्योगों द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट, जोधपुर में स्टील उद्योगों द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट, जोधपुर, पाली, बालोतरा से सीवेज, औद्योगिक और सीवेज अपशिष्ट को जोजरी, बांडी और लूनी नदियों/सहायक नदियों में छोड़ा जा रहा है और अंततः अपशिष्ट प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लूनी नदी में छोड़े जा रहे हैं।

3. निगरानी समितियों के शुरुआती सुझाव

निगरानी समितियों ने 20 अप्रैल 2021 को एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें प्रदूषण से निपटने के लिए कई सुझाव दिए गए थे। इन सुझावों में गांधीपुरा और बालोतरा के उद्योगों को अन्यत्र स्थानांतरित करने पर NGT द्वारा विचार करने, कम उपयोग किए जा रहे CETP को तत्काल पूरी क्षमता से उपयोग करने, फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरे को निर्धारित सीमा के भीतर (मात्रा और गुणवत्ता दोनों में) रखने, और जोधपुर, पाली एवं बालोतरा के सभी CETP सदस्य इकाइयों में अगले तीन महीनों में ऑटो-कट वाले SCADA मीटर स्थापित करने की बात कही गई।

इसके अतिरिक्त, CETP से निकलने वाले कचरे को भी निर्धारित सीमा के भीतर रखने की बात कही गई, जिसकी ट्रस्टों और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RSPCB) द्वारा सख्त निगरानी की जानी चाहिए। CETP द्वारा उपचारित पानी को अनुपचारित सीवरेज या स्टॉर्म ड्रेन के साथ मिलाने से बचने और नगरपालिका निकायों को अपनी सभी नालियों और मेनहोलों की कड़ी निगरानी करने के लिए कहा गया।

4. आखिरी रिपोर्ट और सिफारिशें (22 जुलाई 2021)

जीरो लिक्विड डिस्चार्ज पॉलिसी (ZLD Policy) का जिक्र करते हुए कहा गया कि यह नियम सभी पर लागू होता है, और नगर पालिकाओं समेत सभी को लिखकर बताना होगा कि वे कब तक इस नियम का पूरी तरह से पालन करेंगे। उन्हें यह भी कहा गया कि वे किसी भी नदी में बिना साफ किया हुआ, केमिकल वाला या रंग वाला पानी न डालें।

निगरानी समितियों ने 22 जुलाई 2021 को आखिरी रिपोर्ट दी। इसमें SPCB और राज्य को SPCB में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने और सभी खाली पदों को भरने, कानूनों की समीक्षा करने, और ग्राम पंचायतों को राजस्व अधिकारियों और तहसीलदारों के साथ मिलकर प्रदूषण रोकने और अपने इलाके में खेती की जमीन पर चल रहे उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने जैसे सुझाव दिए गए।

5. NGT का आदेश, विभागों पर जुर्माना भी लगाया

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 25 फरवरी 2022 को एक आखिरी आदेश दिया जिसमें कहा गया कि 20 अप्रैल 2021 और 22 जुलाई 2021 की रिपोर्टों में निगरानी समिति ने जो सुझाव दिए हैं, उन्हें संबंधित विभाग 6 महीने के अंदर पूरा करें। RSPCB यह ध्यान रखे कि कोई भी बिना साफ किया हुआ या आधा साफ किया हुआ गंदा पानी नदियों या जमीन में न छोड़ा जाए।

NGT ने RIICO पर 2 करोड़ रुपए का पर्यावरण जुर्माना लगाया, और बाड़मेर और जोधपुर जिले के स्थानीय विभागों को भी 15 दिनों के अंदर RSPCB के पास 2 करोड़ रुपए का जुर्माना जमा करने का आदेश दिया।

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