हरियाणा के ऊर्जा मंत्री अनिल विज के विद्युत विभाग (बिजली निगमों) के कर्मचारियों ने राज्य सरकार की प्रस्तावित ऑनलाइन तबादला नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। हरियाणा राज्य विद्युत बोर्ड और बिजली निगमों के कर्मचारियों का कहना है कि यह नीति कर्मचारियों के लिए हानिकारक और तकनीकी कर्मचारियों के लिए जोखिम भरी है। सिरसा, फतेहाबाद, रतिया और अन्य क्षेत्रों में प्रदर्शन, सांकेतिक भूख हड़ताल और ज्ञापन सौंपे गए हैं।
यूनियनों का आरोप है कि यह नीति उचित परामर्श के बिना लागू की गई है और विद्युत जैसे तकनीकी और उच्च जोखिम वाले विभाग के लिए उपयुक्त नहीं है। वे चेतावनी देते हैं कि इससे कर्मचारियों की सुरक्षा, बिजली सेवाओं और राजस्व वसूली पर असर पड़ सकता है।
ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी क्या है?
ऑनलाइन तबादला नीति एक ऐसी प्रणाली है जिसके तहत कर्मचारियों का तबादला डिजिटल रूप से किया जाएगा। हरियाणा सरकार और बिजली प्रबंधन विभाग इस प्रणाली के अंतर्गत विद्युत विभाग के कर्मचारियों को भी शामिल करने की योजना बना रहे हैं। कर्मचारियों को आशंका है कि इससे तकनीकी और फील्ड स्टाफ सहित, जो बिजली लाइनों पर काम करते हैं, रखरखाव और फॉल्ट रिपेयर का काम करते हैं, बार-बार और स्वचालित तबादले हो सकते हैं।
बिजली कर्मचारी इस नीति का विरोध क्यों कर रहे हैं?
श्रमिकों और यूनियनों का कहना है कि यह नीति कर्मचारी हितैषी नहीं है और उचित बातचीत के बिना लागू की गई है। उनका तर्क है कि बिजली का काम तकनीकी और खतरनाक होता है, और अचानक तबादलों से कार्यकुशलता और व्यक्तिगत जीवन दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
यूनियन नेताओं का कहना है कि यह नीति जमीनी हकीकतों को नजरअंदाज करती है और बिजली कर्मचारियों को कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों की तरह मानती है।
यूनियनों ने सुरक्षा संबंधी कौन-कौन सी चिंताएं उठाई हैं?
यूनियनों का कहना है कि तकनीकी कर्मचारियों को अपरिचित क्षेत्रों में स्थानांतरित करना जानलेवा हो सकता है। फील्ड वर्करों को बिजली नेटवर्क, फीडर और संभावित खराबी वाले स्थानों की गहरी स्थानीय जानकारी होनी चाहिए।
जानकारी की कमी से दुर्घटनाएं हो सकती हैं। उनका यह भी कहना है कि बार-बार तबादलों से कर्मचारियों और उनके परिवारों पर मानसिक तनाव और दबाव भी बढ़ सकता है।
इस नीति का बिजली सेवाओं और राजस्व पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
यूनियन नेताओं के अनुसार, कम समय के लिए तैनात किए गए कर्मचारियों को स्थानीय जानकारी की कमी के कारण बिजली बिल न भरने वाले उपभोक्ताओं की पहचान करने में कठिनाई हो सकती है। इससे बिजली बिल वसूली कमजोर हो सकती है और बिजली कंपनियों को राजस्व का नुकसान हो सकता है।
कर्मचारियों को यह भी आशंका है कि हर तबादले के बाद कर्मचारियों को नए क्षेत्रों को समझने में समय लगेगा, जिससे उपभोक्ता सेवाओं पर भी बुरा असर पड़ेगा।
आगे क्या होगा?
सिरसा, फतेहाबाद, रतिया और अन्य उपमंडलों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं। श्रमिकों ने प्रदर्शन किए, वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे और सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक तीन घंटे की प्रतीकात्मक भूख हड़ताल की। श्रमिक संघ के नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि नीति वापस नहीं ली गई तो आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन और तेज किए जाएंगे।