गोरखपुर एयरपोर्ट पर रनवे की सुरक्षा में तैनात डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्प्स (DSC) के जवान ने सुसाइड कर लिया। जवान ने सर्विस राइफल (AK-103) से खुद के पेट में गोली मारी। वारदात का पता उस वक्त चला, जब रिलीवर ड्यूटी करने पहुंचा। देखा तो जवान की लाश खून से लथपथ रनवे पर पड़ी मिली।
इसके बाद पुलिस बुलाई गई। पुलिस को शव के बगल में सुसाइड नोट मिला, जिसमें लिखा था- मैं अपने भाइयों से तंग आ चुका हूं, फर्जी केस ने जीना मुश्किल कर दिया है। अब बर्दाश्त नहीं होता। इस दर्द के साथ अब जीना कठिन हो रहा है। इसलिए जीवन को विराम दे रहा हूं।
फिलहाल, पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। आसपास के CCTV भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि घटना का समय पता चल सके। घटना बुधवार देर रात की है।
जानिए पूरा मामला
जवान जितेंद्र सिंह बिहार के छपरा जिले के मकेर के रहने वाले थे। उन्होंने भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद एयरपोर्ट पर DSC में नौकरी जॉइन की थी। जितेंद्र 4 भाइयों में तीसरे नंबर के थे। वह पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे के साथ एयरफोर्स की विजय विहार कॉलोनी में रहते थे।
कुछ दिन पहले वह परिवार के साथ सावन में होने वाली पूजा के लिए गांव गए थे। 3 अगस्त को वहां से गोरखपुर लौट आए, लेकिन पत्नी और बच्चे गांव में ही रुक गए थे। CO कैंट योगेंद्र सिंह ने बताया- बुधवार रात वह दो अन्य साथियों के साथ रनवे के पास ड्यूटी पर थे।
उसी दौरान जितेंद्र ने खुद को गोली मार ली। साथियों का कहना है- वे सभी स्टॉप रूम में थे। वहां कूलर की आवाज इतनी तेज थी कि उन्हें गोली की आवाज सुनाई नहीं दी। जितेंद्र का रिलीवर जब ड्यूटी करने पहुंचा, तो उसने देखा कि जितेंद्र की लाश पड़ी हुई है।
उनके पेट के बाईं तरफ गोली लगी हुई थी। जितेंद्र के साथियों ने बताया- वह शांत और अनुशासित स्वभाव के थे। भाई से प्रताड़ित होने के बाद भी उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। यही वजह है कि हम लोग भांप नहीं सके।
गोरखपुर पहुंचा परिवार, 4 घंटे चला पोस्टमॉर्टम
सहकर्मियों ने जितेंद्र के सुसाइड के बारे में पत्नी को जानकारी दी, तो घर में कोहराम मच गया। गुरुवार शाम 6:10 बजे जितेंद्र का परिवार एयरपोर्ट पहुंचा। वहां अधिकारियों और साथ ड्यूटी पर रहे सुरक्षाकर्मियों से जानकारी ली।
इसके बाद पुलिस की मौजूदगी में एम्स हॉस्पिटल पहुंचे, जहां पोस्टमॉर्टम के लिए शव लाया गया था। करीब 4 घंटे तक चले पोस्टमॉर्टम के बाद जितेंद्र का शव लेकर उनके चाचा और परिवार के अन्य लोग एयरफोर्स हॉस्पिटल चले गए।