मध्यप्रदेश में इस मानसूनी सीजन में 28.6 इंच बारिश हो चुकी है। अब तक सामान्य से 47 प्रतिशत पानी ज्यादा गिर चुका है। यह कोटे का 77% है। पूर्वी हिस्से में बादल जमकर बरसे हैं। हालांकि, अगले 4 दिन तक प्रदेश में बारिश का स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव नहीं है। हल्की बारिश का दौर जारी रहेगा।
मौसम विभाग के अनुसार, अगस्त के दूसरे सप्ताह में तेज बारिश का दौर शुरू होगा, जो आखिरी तक चलेगा। ऐसे में बारिश का कोटा अगस्त में ही पूरा हो जाएगा। हालांकि, अब तक ग्वालियर समेत 9 जिलों में कोटा पूरा हो चुका है लेकिन इंदौर और उज्जैन संभाग के जिलों की तस्वीर बेहतर नहीं है।
मंगलवार को ग्वालियर, मुरैना और भिंड में भारी बारिश का यलो अलर्ट है। वहीं, भोपाल में सुबह से धूप खिली है।
सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि मध्यप्रदेश के पूर्वी हिस्से यानी जबलपुर, सागर, शहडोल और रीवा संभाग में औसत से 51% और पश्चिमी हिस्से यानी भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल और नर्मदापुरम संभाग में 43% बारिश अधिक हुई है।
बूंदाबांदी का दौर जारी
सोमवार को कई जिलों में हल्की बारिश का दौर रहा। दतिया में आधा इंच से ज्यादा बारिश हो गई। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, छतरपुर के खजुराहो और नौगांव, रीवा, सतना, सिवनी, बालाघाट समेत कई जिलों में बूंदाबांदी हुई। वहीं, दिन के तापमान में बढ़ोतरी भी देखने को मिली। ऐसा ही मौसम 10 अगस्त तक बना रहेगा। इस बार रक्षाबंधन पर तेज बारिश के आसार कम हैं लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर तेज पानी गिर सकता है।
एमपी में बाढ़ से 2 माह में 275 मौतें
पूरे मध्यप्रदेश की बात करें तो बाढ़ के दौरान हुए हादसों में 275 लोगों की जान जा चुकी है। मानसून की आमद के बाद से जून और जुलाई के ये आंकड़े सरकार ने खुद विधानसभा में बताए हैं। 1657 पशुओं की भी मौत हुई है।
बारिश के चलते ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (RRDA) की 254 से अधिक सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। 293 मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए जबकि 3 हजार 687 मकानों में आंशिक नुकसान हुआ है। कुल 3980 मकानों को नुकसान पहुंचा है।
पिछले सप्ताह बने थे बाढ़ के हालात
पिछले सप्ताह प्रदेश में बाढ़ के हालात बने थे। खासकर पूर्वी हिस्से यानी जबलपुर, रीवा, शहडोल और सागर संभाग में मानसून जमकर मेहरबान रहा। रायसेन में बेतवा नदी ने विकराल रूप ले लिया था। खेत-मंदिर और पुल डूब गए थे। वहीं, डैम ओवरफ्लो हो गए थे।
उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के उफान पर आने से चित्रकूट में कई दुकानों में पानी भर गया था।
गुना में सबसे ज्यादा 45 इंच पानी गिरा
इस बार सबसे ज्यादा पानी गुना में गिरा है। यहां 45.8 इंच बारिश हो चुकी है। निवाड़ी में 45.1 इंच, मंडला-टीकमगढ़ में 44 इंच और अशोकनगर में 42 इंच के करीब बारिश हो चुकी है।
इन जिलों की अच्छी-बुरी स्थिति
विदिशा, जबलपुर, नरसिंहपुर, बालाघाट, डिंडौरी, सागर, पन्ना, श्योपुर, सिंगरौली, सीधी, नर्मदापुरम और उमरिया में 30 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है। इंदौर में सबसे कम 11 इंच, बुरहानपुर में 11.1 इंच, बड़वानी में 11.5 इंच, खरगोन में 11.8 इंच और खंडवा में 12.8 इंच पानी ही गिरा है।
एमपी में सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान
मध्यप्रदेश में 16 जून को मानसून ने आमद दी थी। तब से अब तक औसत 28.6 इंच बारिश हो चुकी है जबकि 19.5 इंच पानी गिरना था। इस हिसाब से 9.1 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है।
मानसून को अभी करीब दो महीने बचे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि अगस्त में ही बारिश का कोटा फुल हो जाएगा। बता दें कि मौसम विभाग ने इस बार सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान जताया है। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है।
भोपाल में 2006 में अगस्त में 35 इंच बारिश हुई थी
भोपाल में अगस्त में मानसून जमकर बरसता है। इस महीने राजधानी में औसत साढ़े 35 इंच तक बारिश हो चुकी है, जो साल 2006 में हुई थी। 24 घंटे में सर्वाधिक बारिश करीब 12 इंच 14 अगस्त 2006 को हुई थी। पिछले सालों की बात करें तो 2015 और 2022 में 30 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है।
भोपाल में इस महीने औसत 14 दिन बारिश होती है। इस दौरान 13 दिन तक पानी गिर जाता है।
इंदौर में 1944 में गिरा था 28 इंच पानी
इंदौर में अगस्त महीने में औसत 28 इंच बारिश का रिकॉर्ड है, जो साल 1944 में दर्ज किया गया था। 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश का रिकॉर्ड 22 अगस्त 2020 को बना था। इस दिन साढ़े 10 इंच पानी गिरा था। पिछले 10 साल में दो बार 17 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है।
इंदौर में अगस्त महीने की औसत बारिश 10 से 11 इंच है। महीने में 12 से 13 दिन तक बारिश होती है।
ग्वालियर में 24 घंटे में साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड
ग्वालियर में 24 घंटे में साढ़े 8 इंच बारिश होने का रिकॉर्ड है, जो 10 अगस्त 1927 को बना था। सर्वाधिक मासिक बारिश वर्ष 1916 में 28 इंच हुई थी। इस महीने की औसत बारिश साढ़े 9 इंच है। एवरेज 12 दिन बारिश होती है।
जबलपुर में 102 साल पहले गिरा था 44 इंच पानी
जबलपुर में एक महीने में 44 इंच बारिश का रिकॉर्ड है। 102 साल पहले यानी वर्ष 1923 में अगस्त महीने में बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इसी साल 20 अगस्त को 24 घंटे में ही 13 इंच बारिश हुई थी। यहां बादल फटने जैसी स्थिति बनी थी।
जबलपुर में इस महीने की औसत बारिश 18 इंच है। करीब 16 दिन तक पानी गिरता है। पिछले 10 साल की बात करें तो साल 2019 में यहां 30.61 इंच बारिश हुई थी।
उज्जैन में अगस्त में जमकर होती है बारिश
उज्जैन में साल 2006 में सर्वाधिक बारिश का रिकॉर्ड बना था। इस साल अगस्त महीने में करीब 35 इंच बारिश हुई थी। इसी साल 24 घंटे में सर्वाधिक 12 इंच बारिश का रिकॉर्ड 10 अगस्त को बना था।
उज्जैन में अगस्त की औसत बारिश 10 इंच है। यहां 10 से 11 दिन बारिश होती है।