सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर सरकार से विस्तृत जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा- हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जवाब की कॉपी याचिकाकर्ताओं के वकीलों को पहले से दे दें। ताकि वे भी जल्द से जल्द अपना जवाब दाखिल करें।
बेंच ने एक शतरंज खिलाड़ी की याचिका पर भी सुनवाई की। इसपर सरकार को निर्देश दिया कि ई-स्पोर्ट्स गेम्स की आड़ में ऑनलाइन जुआ-सट्टेबाजी चलाने वाले प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई करें। मामले में सभी याचिकाकर्ताओं की मांग है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ प्लेटफॉर्म को बैन किया जाए।
प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के तहत देश में रियल मनी गेमिंग पर बैन लगाया जाएगा। यह बिल 20 अगस्त को लोकसभा और 21 अगस्त को राज्यसभा से पास हुआ था। 22 अगस्त को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन गया है।
8 सितंबर को सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर की मंजूरी
8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की उस याचिका को मंजूरी दी थी जिसमें प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तीन हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी ताकि अलग-अलग फैसलों से बचा जा सके।
ऑनलाइन जुआ-सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म पर रोक लगाने की मांग
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (CASC) और शौर्य तिवारी की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें सरकार को सोशल और ई-स्पोर्ट्स गेम्स की आड़ में चलने वाले ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म पर रोक लगाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिका में दावा किया गया है कि ये ऐप्स पूरे देश में बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। एडवोकेट विराग गुप्ता ने केंद्र को 2,000 सट्टेबाजी और जुआ से जुड़े ऐप्स की डिटेल्स सौंपीं।
गुप्ता ने बेंच को बताया कि 15 करोड़ बच्चों की सुरक्षा के बारे में है। उन्होंने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 का जिक्र भी किया। बेंच ने सरकार से याचिकाकर्ता द्वारा दी गई ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स की डिटेल्स पर एक्शन लेने को कहा।
ऑनलाइन गेमिंग कानून को 3 हाईकोर्ट में चुनौती
- मध्य प्रदेश हाईकोर्ट: क्लबबूम 11 स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट ने इस कानून को MP हाई कोर्ट में चुनौती दी है। यह कंपनी ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म बूम11 चलाती है।
- कर्नाटक हाईकोर्ट: हेड डिजिटल वर्क्स ने कर्नाटक हाई कोर्ट में इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की है। कोर्ट ने 8 सितंबर को इसकी अंतरिम राहत की मांग पर सुनवाई तय की है। हेड डिजिटल वर्क्स ऑनलाइन रम्मी प्लेटफॉर्म A23 रम्मी चलाती है।
- दिल्ली हाईकोर्ट: ऑनलाइन कैरम प्लेटफॉर्म बघीरा कैरम ने भी इस कानून के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
ऑनलाइन गेमिंग कानून में 4 सख्त नियम…
देश में करीब 65 करोड़ लोग ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर एक्टिव हैं। ज्यादातर लोग रियल मनी गेम्स में दांव लगाते हैं। इनका सालाना कारोबार 1.8 लाख करोड़ से ज्यादा है। इस कानून में कहा गया है कि चाहे ये गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड दोनों पर रोक है।
रियल-मनी गेम्स पर रोक: कोई भी मनी बेस्ड गेम ऑफर करना, चलाना, प्रचार करना गैरकानूनी है। ऑनलाइन गेम खेलने वालों को कोई सजा नहीं होगी।
सजा और जुर्माना: अगर कोई रियल-मनी गेम ऑफर करता है या उसका प्रचार करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। विज्ञापन चलाने वालों को 2 साल की जेल और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
रेगुलेटरी अथॉरिटी: एक खास अथॉरिटी बनाई जाएगी, जो गेमिंग इंडस्ट्री को रेगुलेट करेगी, गेम्स को रजिस्टर करेगी और ये तय करेगी कि कौन सा गेम रियल-मनी गेम है।
ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: पबजी और फ्री फायर जैसे ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को सपोर्ट किया जाएगा। ये गेम्स बिना पैसे वाले होते हैं इसलिए इन्हें बढ़ावा मिलेगा।
इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ेगा?
इस कानून के आने के बाद ड्रीम11, गेम्स24×7, विंजो, गेम्सक्राफ्ट, और माय11सर्कल जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स ने अपने मनी-बेस्ड गेम्स बंद कर दिए हैं। उदाहरण के लिए:
- ड्रीम-11 ने 22 अगस्त को अपने कैश-बेस्ड गेम्स बंद करने की घोषणा की।
- गेम्सक्राफ्ट ने अपनी रमी एप्स, जैसे रमीकल्चर और गेमप्ले सर्विसेज रोक दी हैं।
- पोकरबाजी ने भी अपने ऑपरेशंस बंद कर दिए हैं।
A23 बोला- नया कानून मौलिक अधिकार का हनन
A23 की पैरेंट कंपनी हेड डिजिटल वर्क्स का कहना है कि ये कानून उन गेम्स को भी बैन करता है, जो स्किल-बेस्ड हैं, जैसे रमी और पोकर। भारत में पिछले 70 सालों से सुप्रीम कोर्ट और कई राज्यों के हाईकोर्ट ने स्किल-बेस्ड गेम्स को गैंबलिंग से अलग माना है।
- ये कानून व्यापार करने के मौलिक अधिकार का हनन करता है।
- कानून स्किल-बेस्ड और चांस-बेस्ड गेम्स में कोई अंतर नहीं करता।
- इस बैन से गेमिंग इंडस्ट्री को भारी नुकसान होगा। लाखों नौकरियां खतरे में हैं।
- बैन से लोग अवैध ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स की ओर जाएंगे, जहां कोई रेगुलेशन नहीं होता।
ऑनलाइन गेमिंग मार्केट में 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से थी
भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी करीब 32,000 करोड़ रुपए का है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से आता था। 2029 तक इसके करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन अब इन्होंने रियल मनी गेम्स बंद कर दिए हैं।
इंडस्ट्री के लोग कह रहे हैं कि सरकार के इस कदम से 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। सरकार को हर साल करीब 20 हजार रुपए के टैक्स का नुकसान भी हो सकता है।