‘मुझसे क्या गलती हुई, हमें इतनी जल्दी क्यों छोड़कर चले गए? आपने तो कहा था सितंबर में आऊंगा और अब साथ ही रहेंगे, हे भगवान, इतनी जल्दी साथ छोड़कर कोई जाता है क्या? ये गलत बात है।’
ये दर्द उस पत्नी का है, जिसके पति कश्मीर में शहीद हो गए। कोफिन पर सिर रखकर रोती शहीद की पत्नी की ये हालत देखकर हर कोई रो पड़ा।
यह दृश्य था जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा सेक्टर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद सारण के जवान छोटू शर्मा के अंतिम संस्कार का। शहीद के पैतृक गांव बेला शर्मा टोला के दिघवारा घाट में मंगलवार को भतीजे ने मुखाग्नि दी।
इससे पहले हजारों की भीड़, हाथों में तिरंगा लिए ‘वंदे मातरम्’, ‘छोटू शर्मा अमर रहे’ के नारों के साथ लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी।
आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए थे छोटू शर्मा
छोटू शर्मा 30 अगस्त की रात जम्मू-कश्मीर के बांदीपुर सेक्टर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए थे। वो सारण के रहने वाले थे। मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार हुआ।
शहीद की पत्नी पार्थिव शरीर से लिपटकर रोती रही। ये मंजर जिसने भी देखा उसकी आंख नम हो गई।
4 महीने पहले ही मई में जवान की शादी हुई थी। शादी के 5 दिन बाद ही वो ऑपरेशन सिंदूर के लिए ड्यूटी पर चले गए थे। 7 सितंबर को छुट्टी पर घर आना था, लेकिन पार्थिव शरीर आया।
शहीद छोटू शर्मा के परिवार में मां और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। गम के इस माहौल में वे किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं।
तिरंगे में लिपटा देख दोस्तों की भर आई आंखें
शहीद के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लिपटा देख दोस्तों की आंखें भर आई। लोग बार-बार यही कह रहे थे- ‘छोटू जैसा जिंदादिल लड़का हमसे छिन गया।’
छोटू शर्मा को जानने वाले सभी लोग उसकी मिलनसार स्वभाव और संघर्षशील जीवन के किस्से सुना रहे थे। बचपन से ही उसके दिल में फौजी बनने की ललक थी।
मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करते ही उसने सेना में भर्ती की तैयारी शुरू कर दी थी। फिजिकल ट्रेनिंग के साथ NCC में भी उसने सक्रिय भागीदारी निभाई थी।
तीसरी कोशिश में मिली सफलता, सेना में चयन
छोटू के साथी मिथुन कुमार शर्मा ने बताया कि ‘हम सब दोस्त मिलकर फौज में भर्ती की तैयारी करते थे। छोटू का फिजिकल इतना स्ट्रॉन्ग था कि रनिंग में हमेशा अव्वल आता था। तीन बार भर्ती में गया, लेकिन मेरिट में नाम नहीं आया। आखिरकार 2017 में तीसरी बार उसकी मेहनत रंग लाई।’
दुर्गा पूजा में आने का था प्लान
छोटू के करीबी दोस्त छोटू ओझा ने बताया कि ‘वह बेहद हंसमुख और संघर्षशील था। लेकिन तीन महीने पहले शादी के बाद वह परेशान रहने लगा था। कई बार हमसे बात की, लेकिन वजह नहीं बताई। पहले जैसा घुलना-मिलना भी कम हो गया था।’
गरीबी से लड़कर पूरी की घर की ख्वाहिश
छोटू के दोस्त अंबुज की आंखें नम हो गईं। उन्होंने कहा कि, ‘उसका सपना था कि जब तक नया घर नहीं बनाएगा, शादी नहीं करेगा। भारतीय सेना से स्पेशल ड्यूटी पर युगांडा गया। वहीं की कमाई से डेढ़ साल में घर बनाया। पिछले साल गृह प्रवेश किया और इस साल मई में शादी। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था।’
बुजुर्ग बोले- समाज को खल जाएगी यह कमी
गांव के बुजुर्ग नागेंद्र सिंह ने बताया कि, ‘छोटू बेहद मिलनसार और बड़ों का सम्मान करने वाला लड़का था। बचपन में ही उसके पिता का निधन हो गया था। मां ने बड़ी मेहनत से चार बच्चों की परवरिश की। छोटू ही परिवार का एकमात्र सहारा था। बाकी भाई किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं।’
फौजी संगठन ने किया ऐलान, बनेगी मूर्ति
अंतिम संस्कार में पहुंचे फौजी राकेश कुमार ने कहा कि, ‘हम फौजी सारण फैमिली नाम से संगठन चलाते हैं। छोटू के नाम पर आज ही ₹70,000 जुटाए गए हैं। गांव में नदी किनारे पुल के पास उसकी एक भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी, ताकि उसकी शहादत को लोग हमेशा याद रखें।”
आतंकियों से मुठभेड़ में सिर में लगी थी गोली
राष्ट्रीय राइफल्स की 24वीं बटालियन में सिपाही के पद पर तैनात छोटू शर्मा बांदीपुरा में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए। उनके सिर में गोली लगी थी। हालांकि, सेना की ओर से गोली लगने की सटीक जानकारी नहीं दी गई है।
छोटू शर्मा की शादी इसी साल 5 मई को सुष्मिता से हुई थी। शादी के पांच दिन बाद ही उन्हें ऑपरेशन सिंदूर में शामिल होने के लिए बुला लिया गया था। 11 मई को वे जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना हो गए थे। परिजन 7 सितंबर को उनके छुट्टी पर घर लौटने का इंतजार कर रहे थे।
इसी महीने छोटू शर्मा घर लौटने वाले थे। परिवार के लोगों ने बताया कि शनिवार को दिन छोटू शर्मा ने पत्नी सुष्मिता से बात की थी। इस दौरान उन्होंने घर का हाल-चाल लिया था। मां से भी बातचीत की थी, कहा था- ‘जल्दी घर आ रहा हूं।’