किशनगंज में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति ने युवा पीढ़ी को अपनी चपेट में ले लिया है। शहर के बस स्टैंड ओवर ब्रिज इलाके में नशे का एक नया और खतरनाक रूप सामने आया है। यहां युवा नशीली दवाओं को इंजेक्शन के माध्यम से अपने शरीर में प्रवेश करा रहे हैं। इस चलन ने स्थानीय समुदाय और प्रशासन को चिंतित कर दिया है।
युवा ‘इविल’ नामक दवा में स्मैक मिलाकर उसे गर्म करते हैं। फिर सिरिंज के जरिए अपनी नसों में इंजेक्शन के रूप में लेते हैं। यह प्रक्रिया स्वास्थ्य के लिए घातक है और कई युवाओं की जान ले रही है। किशनगंज का बस स्टैंड इस अवैध गतिविधि का मुख्य केंद्र बन गया है। यहां दिन-रात इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।
‘उड़ता पंजाब’ की कहानी हकीकत में तब्दील
स्थानीय निवासी राहुल कुमार का कहना है कि यह समस्या केवल नशे तक सीमित नहीं है। इसके साथ अपराध और सामाजिक असुरक्षा भी बढ़ रही है। युवा पीढ़ी की यह लत फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ की कहानी को हकीकत में बदल रही है। नशे की लत में फंसे युवा अपनी जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, स्मैक और इविल जैसे पदार्थों का सेवन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नष्ट करता है। यह परिवारों और समाज पर भी गहरा नकारात्मक प्रभाव डालता है।
पुलिस और नारकोटिक्स विभाग ने इस समस्या पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं। लेकिन नशे का यह कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में शुरू किए गए नशा मुक्ति अभियान का जिक्र करते हुए स्थानीय लोग किशनगंज में भी ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों की मांग कर रहे हैं।
कारोबारियों पर कार्रवाई की मांग
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि इस समस्या पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो किशनगंज का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। पुलिस से अपील की गई है कि नशे के कारोबारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही युवाओं को जागरूक करने के लिए स्कूल-कॉलेजों में अभियान चलाए जाएं।
सदर अस्पताल के चिकित्सक गौरव कुमार ने बताया कि नशा हर रूप में सेहत के लिए नुकसानदेह है। अब युवा वर्ग सूखे नशे के चंगुल में फंस रहा है। नशे के कारण उनका करियर तो बर्बाद हो रहा है, सेहत भी गंवा रहे हैं। नशा करने वाला दिमागी सुनपन और उच्च रक्तचाप की चपेट में आ जाता है।
इसका असर स्नायु तंत्र पर तेजी से होता है, लेकिन अधिक सेवन से फेफड़े, किडनी, लीवर के फेल होने का खतरा बढ़ जाता है