गया एयरपोर्ट के ‘GAY’ कोड पर भड़के भाजपा सांसद:भीम सिंह बोले- पढ़ने, सुनने में अच्छा नहीं लगता; मंत्री ने कहा- कुछ नहीं हो सकता

भाजपा के राज्यसभा सांसद भीम सिंह चंद्रवंशी ने 5 अगस्त को गया इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कोड ‘GAY’ पर आपत्ति जताई। सांसद के मुताबिक, ‘GAY’ कोड सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से आपत्तिजनक है और उन्होंने सरकार से इसे सम्मानजनक और सांस्कृतिक रूप से दूसरे कोड में बदलने की मांग की। सांसद भीम सिंह ने संसद में अपने सवाल में कहा कि गया एक धार्मिक और पौराणिक शहर है। उसका ऐसा कोड नहीं होना चाहिए जो उसके गौरवमयी इतिहास को ठेस पहुंचाए।

दरअसल, ‘गे’ अंग्रेजी का शब्द है। इसका अर्थ समलैंगिकता से जुड़ा है। समलैंगिकता को बेशक सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अनुमति दे रखी है, पर इसे सामाजिक रूप से भारत में अब भी स्वीकारा नहीं गया है। इसे गलत दृष्टि से ही देखते हैं।

राज्यसभा सांसद की ओर से आपत्ति जताए जाने के बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से जवाब दिया गया कि विभाग से पहले भी ऐसी मांग हो चुकी है। एयर इंडिया ने कोड में बदलाव के लिए IATA से कॉन्टैक्ट भी किया था, जिसने रिजोल्यूशन 763 का हवाला दिया, जो एयरपोर्ट कोड में तब तक बदलाव पर रोक लगाता है, जब तक कि ये बेहद जरूरी न हो।

‘तब तक बदलाव नहीं, जब तक कि एविएशन सिक्योरिटी को खतरा न हो’

नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि एक बार इंटरनेशनल एयर ट्रैफिक एसोसिएशन (IATA) की ओर से कोड निर्धारित कर दिए जाने के बाद इस पर ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता। भीम सिंह की ओर से बदलाव के अनुरोध पर मंत्री ने कहा कि ये तब तक बदला नहीं जा सकता, जब तक कि उनसे एविएशन सिक्योरिटी को खतरा न हो।

2022 में भी एयरपोर्ट के ‘GAY’ कोड पर विवाद हुआ था

ये पहला मौका नहीं है जब ‘GAY’ कोड पर विवाद हुआ है। करीब तीन साल पहले यानी साल 2022 में भी ये मामला संसद में उठा था। तब पार्लियामेंट्री पैनल ने भी इस कोड को हटाने की मांग की था और इसके बदले ‘YAG’ कोड का सुझाव दिया था।

हालांकि, ताजा मामले को लेकर गया एयरपोर्ट के डायरेक्टर बंगजीत शाह ने भी कहा कि कोड बदलने का अधिकार अथॉरिटी के पास नहीं है। ये तकनीकी मामला है और अंतिम फैसला IATA के अधीन होता है।

गया एयरपोर्ट को आखिर ‘GAY’ कोड क्यों मिला?

मंत्री ने बताया कि एयरपोर्ट कोड आमतौर पर जिस जगह यानी शहर में एयरपोर्ट है, उस शहर के शुरुआत के तीन अक्षरों का यूज किया जाता है। इसलिए, गया को ‘GAY’ आवंटित किया गया। ये कोड 30 सितंबर, 2011 से यूज में है, जब गया-वाराणसी-दिल्ली रूट पर एयर इंडिया की पहली रेग्युलर कॉमर्शियल फ्लाइट को शुरू किया गया था।

फिलहाल, डोमेस्टिक एयरलाइंस के साथ-साथ, अक्टूबर से मार्च तक चलने वाले पर्यटन सीजन के दौरान, यंगून (पहले रंगून), बैंकॉक और थिम्पू जैसे शहरों से गया एयरपोर्ट पर इंटरनेशनल फ्लाइट्स आती और जाती हैं। जापान और साउथ कोरिया समेत अन्य देशों से कई चार्टर्ड फ्लाइट्स भी इस एयरपोर्ट पर उतरती हैं। इन सभी फ्लाइट्स में गया का कोड ‘GAY’ लिखा है। अगले महीने से, एयर इंडिया गया-दिल्ली रूट पर अपनी सर्विस फिर से शुरू करने वाली है।

आखिर एयरपोर्ट कोड का क्या महत्व?

एयरपोर्ट कोड, इंटरनेशनल एविएशन लैंग्वेज का एक इम्पॉर्टेंट पार्ट है, जो एयरलाइंस, ट्रैवल एजेंसियों, कार्गो ऑपरेटर्स और रेग्यूलेटरी बॉडीज को दुनिया भर में कोऑर्डिनेशन करने की अनुमति देता है। ये कोड इसलिए जरूरी है, क्योंकि बोर्डिंग पास, टिकट, ट्रैवल शेड्यूल और ई-टिकट पर दिखाई देते हैं और यात्रियों को उनके रूट को समझने में मदद करते हैं।

ये कोड सामान के टैग पर छपे होते हैं ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि सामान सही तरीके से ले जाया जा रहा है। गलत लेवलिंग के कारण सामान दूसरी जगह जा सकता है, जिससे यात्रियों को असुविधा हो सकती है। ये कोड गलतियों को कम करने में मदद करते हैं।

E-Paper 2025