इजराइल की सुरक्षा कैबिनेट ने शुक्रवार को गाजा पट्टी के उत्तरी इलाके में मौजूद गाजा सिटी पर कब्जे के लिए इजराइली सेना को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने बयान जारी कर इसकी पुष्टि की है। फैसले के लिए कैबिनेट ने 10 घंटे तक चर्चा की है।
बैठक करीब 10 घंटे चली और उसके बाद नेतन्याहू के कार्यालय से सुबह-सुबह एक बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि कैबिनेट के ज्यादातर सदस्य इस योजना के पक्ष में थे।
इस योजना का मकसद गाजा शहर में उन इलाकों में घुसना है जहां हमास के कब्जे में अभी भी कई बंधक होने की आशंका है। ये वो इलाके हैं जहां अब तक इजराइली सेना ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई नहीं की है।
इजराइली सेना (IDF) का कहना है कि गाजा के लगभग 75 प्रतिशत हिस्से पर उसका नियंत्रण है। गाजा पट्टी उस 25% इलाके में है, जो IDF के कब्जे में नहीं हैं।
इससे पहले नेतन्याहू ने पूरी गाजा पट्टी पर कब्जे की बात कही थी, लेकिन इस बयान में केवल गाजा सिटी का जिक्र है।
कैबिनेट ने जंग खत्म करने के बदले हमास के सामने 5 प्रमुख शर्तें भी रखी हैं-
- हमास पूरी तरह हथियार डाले।
- बचे हुए सभी 50 बंधकों की रिहाई। (इनमें से 20 के जीवित होने की संभावना है)
- गाजा से सैन्य ताकतों का खात्मा।
- गाजा पर इजराइल का सुरक्षा नियंत्रण।
- गाजा में ऐसा वैकल्पिक नागरिक प्रशासन बनाना जो न तो हमास हो और न ही फिलिस्तीनी प्राधिकरण।
नेतन्याहू बोले- गाजा को अपने पास रखने का इरादा नहीं
नेतन्याहू ने गुरुवार रात कहा था कि जंग के बाद के लिए एक प्लान बनाया जाएगा। इसमें इजराइल गाजा पर नागरिक शासन नहीं करेगा और न ही फिलिस्तीनी अथॉरिटी को इसमें कोई भूमिका दी जाएगी।
नेतन्याहू के मुताबिक इजराइल गाजा का सुरक्षा घेरा बनाकर रखेगा, लेकिन में प्रशासन में शामिल नहीं रहेगा।
फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में नेतन्याहू ने कहा,
हमारा मकसद गाजा को हमास के आतंक से मुक्त करना, वहां के लोगों को आजादी देना और फिर शासन एक जिम्मेदार अरब ताकत को सौंपना है। जो हमारे लिए खतरा न बने और गाजा के लोगों को अच्छा जीवन दे।
सेना प्रमुख पूरे गाजा पर कब्जे के खिलाफ थे
नेतन्याहू ने पूरे गाजा पर कब्जे का प्लान बनाया था। इसे बिग गाजा प्लान नाम दिया गया था। हालांकि, उनके प्लान पर सेना से सहमति नहीं बन पाई थी।
इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल एयाल जमीर ने योजना पर आपत्ति जताई थी। इससे इजराइली राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी।
जमीर ने चेतावनी दी थी कि गाजा पर कब्जे की कोशिश से वहां बंधक 20 इजराइली नागरिकों की जान को गंभीर खतरा हो सकता है।
नेतन्याहू के सहयोगियों ने आर्मी चीफ का इस्तीफा मांगा
नेतन्याहू के करीबी सहयोगियों बिग गाजा प्लान के खिलाफ जाने पर आर्मी चीफ जमीर का इस्तीफा मांग चुके हैं। उनके एक करीबी अधिकारी ने एक इजराइली वेबसाइट से कहा कि
अब फैसला हो चुका है, हम गाजा पर पूर्ण कब्जे की ओर बढ़ रहे हैं। अगर चीफ ऑफ स्टाफ जमीर को यह मंजूर नहीं है, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
गाजा युद्ध के दौरान इजराइली अधिकारियों ने पीएम नेतन्याहू के फैसलों पर सवाल उठाए हैं। आंतरिक खुफिया एजेंसी शिन बेट प्रमुख रॉनन बार को हटाने की नेतन्याहू की योजना कोर्ट ने रोक दी थी।
IDF चीफ हर्शी हलेवी ने मार्च 2025 में इस्तीफा दे दिया था। नवंबर 2024 में तत्कालीन रक्षा मंत्री गैलेंट को नेतन्याहू ने ‘विश्वास संकट’ का हवाला देकर हटा दिया था।
गाजा में हर दिन 28 बच्चों की मौत, अब तक 18 हजार बच्चे मारे गए
यूनिसेफ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि इजराइली बमबारी और मानवीय सहायता रोकने के चलते गाजा में हर दिन औसतन 28 फिलिस्तीनी बच्चों की मौत हो रही है।
अक्टूबर 2023 से अब तक 18 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। यूनिसेफ ने कहा कि बच्चों की मौतें बमबारी, कुपोषण और सहायता के अभाव से हो रही हैं। हालात इतने भयावह हैं कि बीते 24 घंटे में ही एक बच्चे सहित 8 लोग भुखमरी से मारे गए। अब तक 188 लोगों की भूख से मौत हुई, इनमें 94 बच्चे थे।
गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद अभी तक 60,933 लोगों की मौत हुई है और घायलों की संख्या 1.5 लाख पार कर चुकी है।