जनसुराज के 51 कैंडिडेट-पार्टी बनाने वालों को सबसे पहले टिकट:वकील, IPS, डॉक्टर्स और मुखिया लड़ेंगे विधायकी, PK का जातीय फॉर्मूला

बिहार विधानसभा चुनाव में जनसुराज ने सबसे पहले अपने 51 कैंडिडेट्स की घोषणा कर दी है। 51 कैंडिडेट की सूची में वकील से लेकर गणितज्ञ, डॉक्टर, भोजपुरी गायक और किन्नर को भी जगह दी गई है।

जनसुराज ने पहली लिस्ट में आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी देने की कोशिश की है। इसके साथ ही पार्टी बनाने वाले लोगों को भी तवज्जो दी है। 95 फीसदी उम्मीदवार पार्टी की स्थापना के समय से ही जुड़े हैं।

उम्र के लिहाज से लिस्ट देखें तो गया के इमामगंज के 30 साल के डॉ. अजीत कुमार सबसे युवा और 72 साल के डॉ अरुण कुमार सबसे उम्रदराज कैंडिडेट हैं। वहीं, 4 से 5 कैंडिडेट जदयू-बीजेपी छोड़कर जनसुराज में आए हैं।

मुखिया, प्रखंड प्रमुख जैसे लोकल नेता को सबसे ज्यादा टिकट

जनसुराज की पहली लिस्ट में प्रशांत किशोर ने न केवल नेताओं की छवि का ध्यान रखा है बल्कि इलाके में लोकल लीडरशिप तैयार करने की कोशिश की है। जनसुराज की पहली लिस्ट में 14 कैंडिडेट यानि लगभग 30 फीसदी ऐसे कैंडिडेट का चयन किया गया है जो पंचायत स्तर का चुनाव जीते हैं। लिस्ट में 7 मुखिया, 2 प्रमुख, 3 जिला परिषद सदस्य और 2 डिप्टी मेयर हैं, जो इस चुनाव में विधायकी का चुनाव लड़ेंगे।

डॉक्टर और वकील के प्रोफेशन पर भरोसा

जनसुराज की लिस्ट में प्रोफेशनल कैंडिडेट्स को भी जगह दी गई है। अगर लिस्ट देखें तो दो तरह के प्रोफेशन पर विशेष फोकस किया गया है। ऐसे डॉक्टर का चयन किया गया है, जो लोकल स्तर पर काफी लोकप्रिय हैं। इसके साथ ही उनकी छवि पर किसी प्रकार का कोई दाग नहीं हो।

बड़े नामों को भुनाने की कोशिश

कैंडिडेट के सिलेक्शन में प्रशांत किशोर ने राजनीति में शुचिता का बड़ा मैसेज देने की कोशिश की है। अभी तक राजनीति से दूर रहे बिहार के लोकप्रिय चेहरों में शामिल हाईकोर्ट के सीनियर वकील वाईवी गिरी (मांझी), मशहूर गणितज्ञ केसी सिन्हा (कुम्हरार), रिटायर्ड IPS आरके मिश्रा (दरभंगा), चीफ जस्टिस के भाई राहुल कीर्ति सिंह और भोजपुरी एक्टर रितेश पांडेय (करगहर) को टिकट देकर जनसुराज न केवल इनकी लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश की है,बल्कि इनके सहारे राज्य भर में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है।

टिकट बंटवारे में दिखा RCP सिंह का प्रभाव

टिकट बंटवारे में प्रशांत किशोर के बाद किसी नेता की चली है तो वो आरसीपी सिंह हैं। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश के भरोसेमंद रहे आरसीपी सिंह का प्रभाव स्पष्ट तौर पर दिखाई दिया है। सबसे पहले उन्होंने अपनी छोटी बेटी लता सिंह की पॉलिटिकल डेब्यू जनसुराज से कराने में सफल रहे। इसके अलावा खगड़िया से जयंती पटेल और कई अन्य सहयोगियों को टिकट दिलाने में भी सफल रहे हैं।

आरसीपी सिंह के पार्टी के जॉइन करने के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा था कि आरसीपी सिंह की पार्टी में अहम भूमिका रहने वाली है। पहली लिस्ट से ये साफ तौर पर झलकने लगा है कि आरसीपी सिंह भले चुनाव नहीं लड़े, लेकिन लड़वाने में यहां प्रशांत के चाणक्य साबित हो सकते हैं।

आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी, सबसे ज्यादा EBC को टिकट

जनसुराज की लिस्ट में आबादी का भी विशेष ख्याल रखा गया है। सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए सबसे ज्यादा 17 टिकट EBC वर्ग के कैंडिडेट्स को दिया गया है। इसके बाद 11 टिकट OBC को दिया गया है।

राज्य में 36 प्रतिशत ईबीसी और 27 प्रतिशत ओबीसी की आबादी है। यानी कि कुल आबादी का लगभग 63 प्रतिशत। इस लिहाज से देखें तो 51 में 28 टिकट EBC- OBC को दिया गया है।

इसके अलावा दलित को 7, अल्पसंख्यक को 9 और जनरल कैटेगरी को 9 टिकट दिए गए हैं। अगर जदयू के कोर वोट बैंक लव-कुश की बात करें तो कुशवाहा के 3 और कुर्मी के 3 कैंडिडेट को टिकट दिया गया है। इतना ही टिकट यादव समाज को भी दिया गया है।

चंपारण में बीजेपी के कोर वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश

पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से जनसुराज पार्टी की ओर से थारू समाज (आदिवासी) से आने वाले डॉ. दीर्घ नारायण प्रसाद को टिकट दिया है। यहां थारू जनजाति की आबादी एक लाख से अधिक है। इस विधानसभा में लगभग 25 हजार थारू जनजाति के वोटर हैं। यह जनजाति बगहा के अलावा रामनगर और गौनाहा प्रखंड में है। बगहा की 25 पंचायतों में से 20 में इनकी बहुलता है। अभी तक इन्हें BJP का कोर वोटर माना जाता है।

जनसुराज की लिस्ट की खास बातें

  • जन सुराज की पहली लिस्ट में राघोपुर से कैंडिडेट घोषित नहीं किया गया है। यहां राजद से तेजस्वी यादव चुनाव लड़ेंगे। इसका मतलब है कि अभी प्रशांत किशोर तेजस्वी के बराबर का कैंडिडेट नहीं तलाश पाए हैं।
  • इससे पहले पीके ने कहा था मैं या तो अपनी जन्मभूमि या फिर कर्मभूमि से चुनाव लड़ूगा। उन्होंने जन्मभूमि करगहर से रितेश पांडेय को प्रत्याशी घोषित किया है। लेकिन पीके अपनी कर्मभूमि राघोपुर से कैंडिडेट की घोषणा नहीं की है। इससे उनकी चुनाव लड़ने की संभावना अब भी बनी हुई है।
  • ज्यादातर उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। (पार्टी ने दावा किया था कि वो 90% नए लोगों को टिकट देगी।)
  • सबसे ज्यादा उम्र के वाईबी गिरी हैं उनकी उम्र 70 साल है। सबसे कम उम्र की RCP की बेटी लता सिंह 35 साल की हैं

अब जानिए PK की लिस्ट पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है

बिहार का चुनावी पिच अभी प्रशांत के लिए मुश्किल

सीनियर जर्नलिस्ट अमरनाथ तिवारी बताते हैं, ‘प्रशांत किशोर ने अपनी पहली लिस्ट में वाईवी गिरी केसी सिन्हा और रितेश पांडेय जैसे लोकप्रिय चेहरे पर दांव लगाया है। लोकप्रियता वोट में कन्वर्ट होगी इसकी पुख्ता गारंटी नहीं होती है। पहले भी बड़े चेहरे चुनाव हारते रहे हैं। इस लिस्ट के आधार पर ये कहा जा सकता है कि प्रशांत किशोर अभी भी बिहार की सियासत में थर्ड फ्रंट नहीं बन पाए हैं।’

जातिवाद और परिवारवाद से दूर नहीं रह पाए प्रशांत

सीनियर जर्नलिस्ट अरुण कुमार पांडेय बताते हैं कि ‘पहली लिस्ट से ये स्पष्ट है कि प्रशांत किशोर दोधारी तलवार साबित हो सकते हैं। ईबीसी और कुशवाहा को सबसे ज्यादा टिकट देकर एक तरफ जहां इन्होंने नीतीश कुमार को सबसे ज्यादा डेंट पहुंचाया है तो सीमांचल में मुस्लिमों को मैदान में उतार कर इन्होंने तेजस्वी यादव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है।

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