जिन 4 जिलों से मानसून लौटा, उनमें 35-115% बारिश ज्यादा:श्योपुर में 56.6 इंच पानी बरसा; 3 दिन में MP के कई जिलों से विदाई

राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा के साथ मध्यप्रदेश से भी मानसून की विदाई शुरू हो गई है। 4 जिले- नीमच, भिंड, मुरैना और श्योपुर से सबसे पहले मानसून विदा हुआ है। अगले 2 से 3 दिन में प्रदेश के 10 से ज्यादा जिलों में और विदाई हो सकती है। हालांकि, इस बीच प्रदेश में हल्की बारिश का दौर भी जारी रहेगा।

जिन 4 जिलों से मानसून लौटा है, उनमें अबकी बार 35 से 115 प्रतिशत तक बारिश ज्यादा हुई है। चंबल संभाग के श्योपुर में सामान्य 26.2 इंच के मुकाबले 56.6 इंच पानी गिर गया, जो 115 प्रतिशत अधिक है। भिंड में 32.4 इंच, मुरैना में 37 इंच और नीमच में 42.9 इंच बारिश हो चुकी है, जो सामान्य बारिश से ज्यादा है।

सीधी में डेढ़ इंच बारिश, भोपाल में बूंदाबांदी

मानसून की विदाई के बीच बुधवार को प्रदेश के कई जिलों में बारिश हुई। सीधी में 36 मिमी यानी, करीब डेढ़ इंच पानी गिर गया। भोपाल के कुछ इलाकों में दोपहर के समय हल्की बूंदाबांदी हुई। बैतूल, नर्मदापुरम, रीवा, उमरिया, बालाघाट में भी बारिश दर्ज की गई।

अब उज्जैन-ग्वालियर संभाग से सबसे पहले विदाई

चार जिलों में एक उज्जैन संभाग और तीन जिले चंबल संभाग के है। मौसम विभाग के अनुसार, अब उज्जैन और ग्वालियर संभाग से मानसून विदाई लेगा। इसके बाद इंदौर, भोपाल, सागर, नर्मदापुरम, रीवा, शहडोल और जबलपुर संभाग के जिलों से मानसून विदा होने लगेगा। मौसम वैज्ञानिक अरुण शर्मा ने बताया कि आने वाले 2 से 3 दिन में मध्यप्रदेश के कुछ और जिलों से मानसून लौटने की संभावना है।

बता दें कि इस साल मानसून ने मध्यप्रदेश में 16 जून को दस्तक दी थी। समय से एक दिन बाद मानसून प्रदेश में एंटर हुआ था। बुधवार को जिन जिलों से मानसून की विदाई हुई है, उनमें अमूमन 30 सितंबर तक ऐसा होता है। इस बार 6 दिन पहले ही यहां से मानसून लौट गया है। 6 अक्टूबर तक प्रदेश के सभी जिलों से मानसून विदा हो जाता है।

अब तक 119 प्रतिशत बारिश हो

बता दें, प्रदेश में 16 जून को मानसून ने आमद दी थी। तब से अब तक औसत 44 इंच बारिश हो चुकी है। अब तक 36.8 इंच पानी गिरना था। इस हिसाब से 7.2 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है। यह कोटा पिछले सप्ताह ही पूरा हो गया है। अब तक 118 प्रतिशत बारिश हो चुकी है।

इंदौर संभाग की तस्वीर सुधरने लगी

इस मानसूनी सीजन में शुरुआत से ही इंदौर और उज्जैन संभाग की स्थिति ठीक नहीं रही। एक समय तो इंदौर में प्रदेश की सबसे कम बारिश हुई थी। ऐसे में अटकलें थीं कि क्या इस बार इंदौर में सामान्य बारिश भी होगी? लेकिन सितंबर महीने में तेज बारिश की वजह से इंदौर में सामान्य बारिश का कोटा पूरा हो गया। हालांकि, संभाग के बड़वानी, खरगोन और खंडवा की तस्वीर बेहतर नहीं है। दूसरी ओर, उज्जैन में अब भी कोटा पूरा नहीं हुआ है। सबसे कम बारिश वाले जिलों में शाजापुर दूसरे नंबर पर है।

ग्वालियर, चंबल-सागर सबसे बेहतर

एमपी में जब से मानसून एंटर हुआ, तब से पूर्वी हिस्से यानी, जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में तेज बारिश हुई है। यहां बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव रहे। छतरपुर, मंडला, टीकमगढ़, उमरिया समेत कई जिलों में बाढ़ आ गई।

ग्वालियर-चंबल में भी मानसून जमकर बरसा है। यहां के सभी 8 जिलों में कोटे से ज्यादा पानी गिर चुका है। इनमें ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, दतिया और श्योपुर शामिल हैं। 39 में से भोपाल संभाग के 4, इंदौर में 5, जबलपुर के 7, ग्वालियर के 5, सागर के 6, उज्जैन के 4, चंबल के सभी 3, शहडोल के 3 और नर्मदापुरम संभाग के 2 जिले शामिल हैं।

गुना में सबसे ज्यादा, खरगोन में सबसे कम बारिश

इस बार गुना में सबसे ज्यादा 65.4 इंच पानी गिर चुका है। रायसेन में 61.1 इंच, मंडला में 60 इंच, श्योपुर में 56.6 इंच और अशोकनगर में 56 इंच बारिश हो चुकी है। वहीं, सबसे कम 27.5 इंच बारिश खरगोन में हुई। शाजापुर में 28.7 इंच, खंडवा में 29.8 इंच, बड़वानी में 30.9 इंच और धार में 32.8 इंच पानी गिर चुका है।

भोपाल में 4 साल से कोटे से ज्यादा बारिश

भोपाल में सितंबर महीने की औसत बारिश 7 इंच है, लेकिन पिछले 4 साल से कोटे से ज्यादा पानी बरस रहा है। ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें तो साल 1961 में पूरे सितंबर माह में 30 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक 9.2 इंच बारिश का रिकॉर्ड 2 सितंबर 1947 को बना था।

इस महीने औसत 8 से 10 दिन बारिश होती है। वहीं, दिन में तापमान 31.3 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22.2 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।

इंदौर में सितंबर में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश

इंदौर में सितंबर महीने में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश हो चुकी है। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है, जो साल 1954 में बना था। वहीं, 20 सितंबर 1987 को 24 घंटे में पौने 7 इंच पानी गिर चुका है। इस महीने इंदौर में औसत 8 दिन बारिश होती है, लेकिन इस बार 15 या इससे अधिक दिनों तक बारिश हो सकती है। सितंबर के आखिरी सप्ताह में मानसून की वापसी होने लगेगी।

ग्वालियर में वर्ष 1990 में गिरा था 25 इंच पानी

ग्वालियर में सितंबर 1990 में 647 मिमी यानी, साढ़े 25 इंच बारिश हुई थी। यह सितंबर में मासिक बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड है। वहीं, 24 घंटे में 7 सितंबर 1988 को साढ़े 12 इंच बारिश हुई थी। सितंबर में ग्वालियर की औसत बारिश करीब 6 इंच है, लेकिन पिछले तीन साल से इससे अधिक बारिश हो रही है। ग्वालियर में इस बार अगस्त में ही बारिश का कोटा पूरा हो गया। ऐसे में सितंबर में जितनी भी बारिश होगी, वह बोनस की तरह ही रहेगी।

जबलपुर में 24 घंटे में साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड

सितंबर महीने में जबलपुर में भी मानसून जमकर बरसता है। 20 सितंबर 1926 को जबलपुर में 24 घंटे के अंदर साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड है। वहीं, पूरे महीने में 32 इंच बारिश साल 1926 को हो चुकी है। यहां महीने में औसत 10 दिन बारिश होती है। वहीं, सामान्य बारिश साढ़े 8 इंच है। पिछले 3 साल से सामान्य से ज्यादा पानी गिर रहा है।

उज्जैन में 1981 में पूरे मानसून का कोटा हो गया था फुल

उज्जैन की सामान्य बारिश 34.81 इंच है, लेकिन वर्ष 1961 में सितंबर की बारिश ने ही पूरे सीजन की बारिश का कोटा फुल कर दिया था। इस महीने 1089 मिमी यानी, करीब 43 इंच पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक साढ़े 5 इंच बारिश का रिकॉर्ड 27 सितंबर 1961 में ही बना था।

सितंबर महीने में उज्जैन की सामान्य बारिश पौने 7 इंच है, लेकिन पिछले दो साल से 12 इंच से ज्यादा बारिश हो रही है। इस महीने औसत 7 दिन बारिश होती है।

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