PM मोदी सोमवार को जॉर्डन पहुंचे। आज उनकी यात्रा का दूसरा दिन है। वे आज भारत-जॉर्डन बिजनेस फोरम की बैठक को संबोधित करेंगे। इस पहले सोमवार को जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला ने हुसैनिया पैलेस में पीएम मोदी का गले लगाकर स्वागत किया। दोनों के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हुई।
बैठक के दौरान मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत और जॉर्डन की सोच एक जैसी है। उन्होंने गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए किंग अब्दुल्ला का आभार जताया। साथ ही उन्होंने उर्वरक और डिजिटल तकनीक में सहयोग बढ़ाने की बात कही। दोनों देशों के बीच 5 अहम समझौते हुए।
किंग अब्दुल्ला ने कहा कि PM मोदी की यात्रा भारत और जॉर्डन के बीच दशकों पुरानी दोस्ती, आपसी सम्मान और सार्थक सहयोग को दिखाती है।
भारत-जॉर्डन के बीच डिजिटल गवर्नेंस को लेकर समझौता
भारत और जॉर्डन के बीच पांच अहम समझौते हुए हैं। इनमें संस्कृति, रिन्युएबल एनर्जी, जल प्रबंधन, डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण से जुड़े समझौते शामिल हैं।
दोनों देशों ने संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, रिन्युएबल और क्लीन एनर्जी परियोजनाओं पर साथ काम करने तथा जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए समझौते किए।
डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के तहत डिजिटल गवर्नेंस और तकनीक आधारित सार्वजनिक सेवाओं में साझेदारी को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी।
इसके अलावा जॉर्डन की विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर पेट्रा और भारत की एलोरा गुफाओं के बीच ट्विनिंग समझौता हुआ। इससे विरासत संरक्षण, पर्यटन और आपसी सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
भारत-जॉर्डन रिश्ते के 75 साल पूरे
भारत और जॉर्डन ने 1950 में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे, जिसके 2025 में 75 साल पूरे हो गए हैं। मोदी इसी मौके पर जॉर्डन गए हैं।
भारत, जॉर्डन का चौथा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। दोनों देशों के बीच 2023-24 में 26,033 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ। इसमें भारत का निर्यात करीब 13,266 करोड़ रुपए था। दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 5 अरब डॉलर यानी 45,275 करोड़ करने का लक्ष्य रखा है।
भारत, जॉर्डन से बड़ी मात्रा में रॉक फॉस्फेट और फर्टिलाइजर का कच्चा माल खरीदता है। भारत के कुल रॉक फॉस्फेट आयात में जॉर्डन की हिस्सेदारी करीब 40% है।
दूसरी तरफ जॉर्डन भारत से मशीनरी, पेट्रोलियम, अनाज, रसायन, मीट, ऑटो पार्ट्स और उद्योगों से जुड़े उत्पादों का आयात करता है। भारतीय कंपनियों ने जॉर्डन के फॉस्फेट और टेक्सटाइल सेक्टर में 1.5 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है।
जॉर्डन किंग मोहम्मद साहब के सबसे करीबी वंशज
जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का सबसे करीबी वंशज माना जाता है। उनका संबंध सीधे हाशिमी वंश से है। मोहम्मद साहब कुरैश कबीले से थे।
कुरैश कबीले की एक शाखा बनू हाशिम थी। इसी बनू हाशिम से हाशिमी वंश शुरू हुआ, जिसे इस्लाम में सबसे प्रतिष्ठित वंश माना जाता है।
पैगंबर मोहम्मद साहब की बेटी हजरत फातिमा, उनके दामाद हजरत अली, उनके बेटे हसन और हुसैन आगे चलकर कई पीढ़ियों बाद मक्का के शरीफ बने। मक्का के शरीफ ही बाद में हाशिमी राजवंश के शासक बने।
जॉर्डन के शासक हाशिमी राजवंश से आते हैं। इस राजवंश ने करीब 700 साल तक मक्का पर शासन किया। पहले जॉर्डन के राजा शरीफ हुसैन बिन अली थे। मौजूदा राजा अब्दुल्ला द्वितीय, उन्हीं के पड़पोते हैं। इस तरह उनका वंश सीधे पैगंबर मोहम्मद साहब से जुड़ता है।
जॉर्डन एक संवैधानिक राजशाही है, जहां राजा बनने की प्रक्रिया संविधान में तय है। जॉर्डन का संविधान कहता है कि सत्ता का उत्तराधिकारी हाशिमी राजवंश से ही होगा और राजगद्दी पिता से बेटे को मिलेगी।
जॉर्डन मिडिल ईस्ट का इकलौता देश जहां तेल नहीं
जॉर्डन मिडिल ईस्ट का इकलौता देश है, जिसे ‘नो ऑयल’ देश कहा जाता है। हालांकि इजराइल, लेबनान, यमन और बहरीन जैसे देशों में भी तेल का उत्पादन लगभग न के बराबर होता है, लेकिन इन देशों में थोड़ा बहुत तेल होने या भविष्य में ज्यादा तेल होने की संभावना है। इसलिए ये देश नो ऑयल देश नहीं कहे जाते।
दरअसल, मिडिल ईस्ट के जिन देशों में तेल के विशाल भंडार हैं, वहां करोड़ों साल पहले समुद्र मौजूद था। समुद्री जीव मरने के बाद वहां के तलछटी चट्टानों में कीचड़, रेत और मिट्टी के साथ दबकर तेल में बदल गए।
दूसरी तरफ जॉर्डन का ज्यादातर हिस्सा रेगिस्तानी और पहाड़ी चट्टानों से बना है, जो समुद्र के नीचे नहीं था, इसलिए यहां तेल बनने की प्रक्रिया नहीं हो पाई।
तेल न होने के बावजूद जॉर्डन के पास फॉस्फेट और पोटाश अच्छी मात्रा में है। ये दोनों उर्वरकों में इस्तेमाल होते हैं और जॉर्डन की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अहम हैं।