अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने सोमवार को दो एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए। पहले ऑर्डर में बिना पैसे जमा किए आरोपियों को रिहा करने (कैशलेस बेल) की व्यवस्था खत्म की गई। वहीं, दूसरे में अमेरिकी झंडा जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है।
ट्रम्प के एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के मुताबिक, अमेरिकी झंडा जलाने वालों को जेल में डालने और अगर वे इमिग्रेंट (विदेशी नागरिक) हैं, तो उन्हें देश से निकालने की बात कही गई है।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में 5-4 के फैसले से कहा था कि झंडा जलाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत आता है, लेकिन ट्रम्प ने अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी से कहा है कि वे ऐसा मामला खोजें, जिससे इस फैसले को चुनौती दी जा सके।
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के मुताबिक, 2 महीने पहले लॉस एंजिलिस में प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी झंडे जलाकर, मेक्सिकन झंडे लहराए थे, जिससे ट्रम्प नाराज हो गए थे।
ट्रम्प कैशलेस बेल के भी खिलाफ
अमेरिका में कैशलेस बेल के तहत, जज बिना पैसे जमा कराए आरोपियों को रिहा कर सकते हैं। ट्रम्प ने इस व्यवस्था को बहुत लचीला बताया और इसे खत्म करने का आदेश दिया।
उन्होंने पाम बोंडी से उन राज्यों और शहरों की पहचान करने को कहा है, जहां कैशलेस बेल लागू है। इन जगहों पर केंद्रीय फंड (सरकारी पैसा) रोका या खत्म किया जा सकता है।
ट्रम्प के आदेश में राजधानी वाशिंगटन डी.सी. पर खास ध्यान दिया गया है, जहां ट्रम्प प्रशासन ने पहले से ही सख्ती करना शुरू कर दी है।
पुलिस को आदेश आरोपियों को रिहा नहीं करे
आदेश में पुलिस को कहा गया है कि वे आरोपियों को रिहा करने की बजाय जेल में रखने की कोशिश करें और अगर वॉशिंगटन की लोकल सरकार कैशलेस बेल जारी रखती है, तो वहां सरकारी सेवाएं और पैसा रोका जाए।
वॉशिंगटन में कई दशकों से कैशलेस बेल लागू है, जहां कुछ आरोपियों को बिना जमानत रकम जमा किए रिहा कर दिया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2024 से जनवरी 2025 के बीच वॉशिंगटन में हिंसक अपराधों के आरोपियों में से केवल 3% लोग जमानत के बाद दोबारा गिरफ्तार हुए। इनमें से कोई भी हिंसक अपराध के लिए दोबारा गिरफ्तार नहीं हुआ।
अमेरिका में बेल (जमानत) मिलने की एक जैसी व्यवस्था नहीं है। अलग-अलग राज्यों और लोकल अदालतों के अपने नियम हैं। संविधान के मुताबिक, किसी भी आरोपी को दोषी साबित होने से पहले निर्दोष माना जाता है। अगर उनकी आजादी कंट्रोल करनी हो तो इसके लिए खास कानून हैं।