ट्रैक्टर चलाकर दिव्यांग पति का बनी सहारा पत्नी:लोन पर खरीदकर यूट्यूब से सीखा चलाना; बच्चों को पढ़ाकर अधिकारी बनाना चाहती

गोपालगंज के सदर प्रखंड के जगिरी टोला की प्रमिला देवी पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उन्होंने समाज की रूढ़िवादी सोच को तोड़ते हुए अपनी हिम्मत से एक नई मिसाल पेश की है। प्रमिला ने अपने दिव्यांग पति का सहारा बनकर लोन लेकर ट्रैक्टर खरीदा।

उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो देखकर ट्रैक्टर चलाना सीखा और अब खुद इसे चलाती हैं। एक ऐसे समाज में जहां महिलाएं अक्सर घर की चारदीवारी तक सीमित मानी जाती हैं, प्रमिला ने अपने हाथों में ट्रैक्टर का स्टीयरिंग थामकर साबित किया है कि आत्मविश्वास से कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।

उनके पति की दिव्यांगता ने उनके सामने कई चुनौतियां खड़ी कीं। लेकिन प्रमिला ने हार नहीं मानी। उन्होंने परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और ऐसा काम करने का फैसला किया जिसे आमतौर पर पुरुषों का क्षेत्र माना जाता है।

प्रमिला के लिए यह सफर आसान नहीं था। जब उन्होंने ट्रैक्टर चलाने का फैसला किया, तो उनके पति समेत आसपास के लोगों ने उन्हें काफी मना किया। उन्हें ताने दिए गए और कहा गया कि एक महिला के लिए ट्रैक्टर चलाना संभव नहीं है।

लेकिन प्रमिला ने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने मोबाइल पर वीडियो देखकर ट्रैक्टर चलाना सीखा और जल्द ही इसमें माहिर हो गईं। आज वही लोग जो कभी उनका विरोध करते थे, अब उनकी तारीफ करते नहीं थकते।

शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक चलाती ट्रैक्टर

प्रमिला देवी अब अपनी कमाई से अपने पांच बच्चों, पति और ससुर का पालन-पोषण करती हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार आया है। उनका ट्रैक्टर अब शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर दौड़ता है। प्रमिला देवी का यह साहस महिला सशक्तिकरण का एक जीता-जागता उदाहरण है।

वह उन हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं, जो परिस्थितियों के कारण अपने सपनों को त्याग देती हैं। उन्होंने यह दिखा दिया है कि जब एक महिला ठान लेती है, तो वह न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकती है, बल्कि समाज में भी अपनी एक अलग पहचान बना सकती है। लोग उनकी हिम्मत और लगन की तारीफ कर रहे हैं।

लोन लेकर ट्रैक्टर खरीदा था ट्रैक्टर

प्रमिला देवी ने पति को लकवा होने के बाद परिवार की जिम्मेदारी खुद उठाई। आर्थिक तंगी में उन्होंने 6 लाख का बैंक लोन लेकर ट्रैक्टर खरीदा। पहले ड्राइवर रखा, लेकिन खर्च ज्यादा था, इसलिए मोबाइल से वीडियो देखकर खुद ट्रैक्टर चलाना सीखा। आज खुद खेत जोतने और मिट्टी ढुलाई से अच्छी कमाई कर रही हैं। समाज की बातों को नजरअंदाज कर उन्होंने अपने आत्मबल से मिसाल कायम की।

वे चाहती हैं कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर अधिकारी बनें। पति दिव्यांग हैं और आठ परिवारों का खर्च प्रमिला अकेले उठाती हैं। समाज ने शुरुआत में विरोध किया, पर अब उनकी सराहना करता है। उनका कहना है कि सरकार को ऐसे मेहनती लोगों की ओर ध्यान देना चाहिए और सहयोग करना चाहिए।

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