पंजाब बीजेपी ने 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर संगठनात्मक स्तर पर काम शुरू कर दिया है। इसी के तहत पार्टी ने नए सिरे से कई जिलों में जिला प्रधानों की नियुक्ति की है।
कुछ जगहों पर पुराने चेहरों को दोबारा जिम्मेदारी दी गई है, जबकि कई पूर्व विधायक और दूसरे दलों से आए नेताओं को भी जिला अध्यक्ष बनाया गया है, जिससे पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने की उम्मीद है।
नई नियुक्तियों में डॉ. भूपिंदर सिंह चीमा को खन्ना, विजय कुमार कूका को पटियाला, हीरा वालिया को बटाला, हरजोत कम को मोगा, सरूप चंद सिंगला को शहरी बठिंडा, अमरपाल सिंह बोनी को अमृतसर देहाती, राजिंदर पाल शर्मा को जगराओं, दमन बाजवा को संगरूर-2,
हरदीप सिंह गिल को अमृतसर देहाती-2, राजविंदर सिंह लक्की को नवांशहर, बघेल सिंह बारिया को गुरदासपुर, दीदार सिंह भट्टी को फतेहगढ़ साहिब, गुरप्रीत सिंह मलूका को बठिंडा देहाती, जसपाल सिंह को पटियाला उत्तरी, सुरेश शर्मा को पठानकोट और संजीव वशिष्ट को मोहाली का जिला प्रधान बनाया गया है।
पहले स्टेट वर्किंग प्रेसिडेंट का हुआ चयन
भाजपा ने पंजाब में संगठन के विस्तार की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसी क्रम में कुछ समय पहले पठानकोट से विधायक अश्विनी शर्मा को पार्टी का स्टेट वर्किंग प्रेसिडेंट (कार्यकारी अध्यक्ष) नियुक्त किया गया था।
अपने पहले ही भाषण में उन्होंने तीखे तेवर दिखाते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान की भाषा शैली पर सवाल उठाए थे और कहा था कि अगर सीएम सड़कछाप भाषा का इस्तेमाल करेंगे, तो जवाब भी उसी अंदाज में मिलेगा।
इसके बाद अश्विनी शर्मा ने प्रदेश के सभी जिलों का दौरा किया और संगठन को मजबूती देने के प्रयास शुरू किए। इसी के तहत अब विभिन्न जिलों में नए जिला प्रधानों की नियुक्ति की गई है, ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का ढांचा और मजबूत किया जा सके।
गठबंधन टूटने से दोनों को हुआ नुकसान
पंजाब में भाजपा और अकाली दल पहले मिलकर चुनाव लड़ते थे। दिल्ली में पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में चले किसान आंदोलन के दौरान भाजपा और अकाली दल का गठबंधन टूट गया। 2007 से 2017 तक दोनों पार्टियां लगातार दस वर्षों तक सत्ता में रहीं। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में दोनों को भारी नुकसान हुआ। भाजपा को केवल दो और शिरोमणि अकाली दल को तीन सीटें मिलीं।
इसके बाद 2024 में लोकसभा चुनाव हुए। इसमें अकाली दल को बठिंडा से एकमात्र सीट मिली। यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल की बहू और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने जीती। वहीं भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई।
हालांकि, इस चुनाव में भाजपा वोट प्रतिशत के मामले में तीसरे स्थान पर रही। पहले स्थान पर आम आदमी पार्टी, दूसरे पर कांग्रेस, तीसरे पर भाजपा और चौथे स्थान पर शिरोमणि अकाली दल रहा।