पूर्व डीजीपी, कैप्टन धोती-कुर्ता पहनकर स्टूडेंट बनकर बैठे दरी पर:90 साल के टीचर ने पढ़ाई गणित-हिंदी, गोल्डन जुबली पर 1975 के बैंच का स्नेह मिलन

बाड़मेर में धोती-कुर्ता और साफा पहने हुए 70 साल के आसपास के स्टूडेंट्स कक्षा में दरी पर बैठे हैं। 90 साल की उम्र के टीचर उन्हें पढ़ा रहे हैं। यह दृश्य सुनने और देखने में अलग लग रहा है। लेकिन ऐसा ही कुछ बाड़मेर जिले की राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल कवास में हुआ है। यहां से तमिलनाडु के पूर्व डीजीपी सांगाराम सुथार की पहल पर 1975 में इसी स्कूल के 10वीं के बैच के स्टूडेंट्स का स्नेह मिलन प्रोग्राम का आयोजन किया गया।

50 साल बाद मिले कई साथी

पुराने सहपाठी रहे कई साथी तो 50 साल बाद एक दूसरे से मिले। वहीं 4 साथी अब इस दुनिया को अलविदा कहकर चले गए। राउमावि कवास को 50 साल पूरे होने पर शनिवार को गोल्डन जुबली के साथ-साथ 1975 में स्कूल से 10वीं की परीक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों को भी 50 साल हो गए।

स्कूल व स्टूडेंट्स का गोल्डन जुबली

स्कूल और उसके स्टूडेंट्स की गोल्डन जुबली के अवसर पर स्कूल के स्टडूेंट्स और तमिलनाडु से रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक सांगाराम जांगिड़ ने 50 पुराने अपने साथियों से संपर्क किया। साथ ही शनिवार को स्कूल की गोल्डन जुबली के अवसर पर 1975 के सभी विद्यार्थियों के स्नेह मिलन कार्यक्रम भी आयोजित किया।

26 स्टूडेंट्स थे बैंच में शामिल

कवास गांव का स्कूल क्रमोन्नत होने के बाद 10वीं कक्षा का पहला बैच 1975 का था। उस दौरान कक्षा 10वीं में कुल 26 विद्यार्थी अध्ययनरत थे। शनिवार को स्कूल परिसर में स्कूल के साथ-साथ स्टूडेंट्स के गोल्डन जुबली के अवसर पर स्नेह मिलन समारोह का आयोजन किया गया।

गोल्डन जुबली पर दिखे स्टूडेंट्स

स्कूल की गोल्डन जुबली के अवसर पर 1975 के बैच में 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी स्टूडेंट्स के स्कूल पहुंचने पर 50 साल पहले का दृश्य एक बार फिर से जीवंत हो उठा। इसके साथ ही एक अनोखी कक्षा भी चली।

जिसमें 65 से 70 की उम्र के सभी विद्यार्थी जमीन पर बैठे और 90 साल के शिक्षक उन्हें पढ़ाते हुए नजर आए। जहां सभी 22 विद्यार्थी जमीन पर बैठे। वहीं गणित के टीचर भींयाराम चौधरी, टीचर स्वरूपसिंह महेचा और हिंदी के टीचर जेठनाथ गोस्वामी ने सभी को पढ़ाया। ​इससे 50 साल पहले का दृश्य एक बार फिर से जीवंत हो गया।

कोई डीजीपी तो कोई कमिश्नर एक्साइज के पद से रिटायर्ड

स्कूल के 1975 के बैच में 10वीं के 26 स्टूडेंट थे, इसमें 4 का निधन हो गया। 1975 में 10वीं के बैंच के पूर्व डीजीपी तमिलनाडु सांगाराम जांगिड़, डिप्टी कमिश्नर एक्साइज जयनारायण मेघवाल,तहसीलदार सवाईसिंह महेचा, कैप्टन नेवी जोराराम जाणी, शिक्षक भोमाराम सियाग, प्रधानाचार्य जगदीश, व्याख्याता किशोरसिंह भंवाल, पोस्टमास्टर हिंदूसिंह, कंडक्टर रामलाल पूनिया, व्यापारी केशरसिंह भूरटिया, जलदाय विभाग से अन्नाराम पूनिया, शिक्षक आईदानराम कड़वासरा, हैड कांस्टेबल मगाराम मूढ, डिस्कॉम में कार्यरत सरदाराराम सारण, जलदाय विभाग में कार्यरत नाथाराम लेगा, पोस्टमास्टर लिखमाराम गर्ग, ठेकेदार कृपाराम गोदारा, हेड कॉन्स्टेबल पूनमचंद खड़ाल, व्यापारी किशनाराम कड़वासरा के साथ साथ पुरखाराम जाखड़, नारायणसिंह भंवाल, विजय गोलिया उपस्थित हुए।

वहीं 4 सा​थी ​टाउराम गर्ग, रिड़मलराम सुथार, वीरसिंह तथा देवाराम सारण का निधन हो गया।

50 साल बाद पहली बार मिले कई सहपाठी

शनिवार को स्नेह मिलन प्रोग्राम में 22 स्टूडेंट्स पहुंचे। जिसमें से कई विद्या​र्थियों की 50 साल बाद पहली बार मुलाकात हुई। तमिलनाडु में डीजीपी पद से सेवानिवृत्त हुए सांगाराम जांगिड़ ने बताया कि स्कूली जीवन के बाद सभी स्टूडेंट बिछड़ गए ​थे। गांव और स्कूल से जुड़ा रहने के कारण स्थानीय स्कूली दोस्तों से ​मुलाकात तो होती थी। लेकिन फिर भी कई स्टूडेंट अभी भी नहीं मिले। स्कूल से जुड़े रहने के कारण कवास के प्रिसिंपल हनुमानाराम चौधरी ने स्कूल क्रमोन्नत को 50 साल पूर्ण होने की बात कही। जिस पर पहले बैंच के सभी साथियों के स्नेह मिलन प्रोग्राम के आयोजन करने का विचार आया। उस समय के सभी स्टूडेंट्स से बात की। जिसमें पता चला कि 4 साथियों का निधन हो गया तथा बाकी के सभी 22 विद्यार्थी पहुंचेंगे।

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