पेड़ों की कटाई पर जबलपुर हाईकोर्ट सख्त:अंतरिम आदेश में संशोधन से इनकार,सिंगरौली में कटाई पर कहा-मुआवजा सरकारी खजाने में जाएगा ऑक्सीजन का कौन जिम्मेदार होगा

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में पेड़ों की कटाई पर रोक को लेकर 26 नवंबर को पारित अंतिम आदेश में किसी भी तरह के बदलाव से साफ इनकार कर दिया है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के आदेश दिए जा चुके हैं। यदि इन आदेशों का पालन नहीं हो रहा है, तो कानून में उपलब्ध विकल्पों के तहत कार्रवाई की जाए।

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने कहा कि जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी और ट्री ऑफिसर की अनुमति के आधार पर ही पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई है, तो इस व्यवस्था को बदला नहीं जा सकता। यदि किसी पक्षकार को इससे आपत्ति या परेशानी है, तो वह एनजीटी के समक्ष अपनी बात रखे। कोर्ट ने अगली सुनवाई 14 जनवरी को तय करते हुए राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।

सिंगरौली में 6 लाख पेड़ों की कटाई का मुद्दा भी उठा

बुधवार की सुनवाई में सिंगरौली के घिरौली कोल ब्लॉक में करीब 6 लाख पेड़ों की कटाई का मामला भी उठाया गया। यह याचिका बैढन जनपद पंचायत की अध्यक्ष सविता सिंह द्वारा दायर की गई है। कंपनी की ओर से कहा गया कि प्रस्तावित कटाई के बदले हर पेड़ का मुआवजा दिया जाएगा।

इस पर चीफ जस्टिस की बेंच ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मुआवजे की राशि सरकार के खजाने में जाएगी, लेकिन उन पेड़ों के कटने से लोगों को मिलने वाली ऑक्सीजन का जिम्मेदार कौन होगा—यह बड़ा सवाल है।

सरकार के ट्रांसलोकेशन दावे पर सवाल

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि काटे गए पेड़ों को भोपाल के चंदनपुरा क्षेत्र में 9.71 हेक्टेयर भूमि पर ट्रांसलोकेट किया गया है। इस पर बेंच ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जो किया गया है, वह ट्रांसलोकेशन नहीं है।

भोजपुर रोड और अन्य मामलों पर लिया गया था संज्ञान

दरअसल, रायसेन जिले के भोजपुर मार्ग पर स्थित 448 पेड़ों की कटाई के मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में सुना था। इसके अलावा भोपाल में विधायकों के आवास निर्माण के लिए 244 पेड़ और रेलवे परियोजना के लिए करीब 8000 पेड़ों की कटाई का मामला भी सामने आया था।

चीफ जस्टिस की बेंच ने पहले 20 नवंबर को भोपाल में और फिर 26 नवंबर को पूरे मध्यप्रदेश में पेड़ों की कटाई पर सशर्त रोक लगा दी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि केवल एनजीटी की एक्सपर्ट कमेटी और ट्री ऑफिसर की अनुमति से ही पेड़ों की कटाई की जा सकती है।

E-Paper 2025