प्रियंका गांधी असम-यूपी में फेल, अब बिहार चुनाव में उतरीं:CM नीतीश की महिला वोट बैंक पर नजर; मोतिहारी में करेंगी जनसभा और पटना में महिला संवाद

बिहार के सियासी रण में प्रियंका गांधी को कांग्रेस उतारने वाली है। कल बिहार में वह अपनी पहली चुनावी सभा करेंगी। मोतिहारी में उनकी जनसभा और पटना में महिला संवाद है। राहुल ने प्रियंका को बिहार विधानसभा चुनाव में उतारकर महिला वोटों को साधने और नीतीश कुमार के महिला वोट बैंक में सेंधमारी की रणनीति अपनाई है।

बिहार की महिलाएं नीतीश कुमार की कोर वोटर्स हैं। उनकी बदौलत ही सरकार बनती-बिगड़ती है। प्रियंका के बिहार आगमन वाले दिन ही नीतीश सरकार 1 करोड़ से ज्यादा महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपए ट्रांसफर करेगी।

सबसे पहले जानिए बिहार चुनाव से पहले प्रियंका ने किन राज्यों में किया था चुनावी दौरा।

1. असम चुनाव से पहले प्रियंका ने किया था दौरा

2021 के असम विधानसभा चुनाव की कमान राहुल गांधी ने प्रियंका को दे रखी थी। प्रियंका चुनाव प्रचार के लिए असम आई थीं। उन्होंने 6 जनसभाओं को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने गृहिणियों को हर महीने 2000 रुपए देने और 200 यूनिट मुफ्त बिजली की भी बात कही थी।

महिला वोटरों को रिझाने के लिए वे गुवाहाटी में चाय बागान पहुंची और सिर पर परंपरागत टोकरी लटकाकर चाय की पत्तियां तोड़ी। वहां काम करने वाली महिलाओं से घुली-मिलीं, उनसे बातचीत की। इसकी एक खूबसूरत तस्वीर निकलकर सामने आई थी, मगर असम के चुनाव में प्रियंका का चेहरा नहीं चल सका।

कांग्रेस असम के कुल 126 में से केवल 29 सीटें ही जीत सकी। चाय बगान से जुड़े जनजाति असम की 40 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2021 के चुनाव में इन 40 में से 33 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। सीएए के खिलाफ हुए आंदोलन, चाय बागानों के मजदूरों की नाराजगी, बेरोजगारी, महंगाई के मुद्दे भी असम में कांग्रेस की जीत में कोई राजनीतिक मदद नहीं कर सकी।

2. यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी का नहीं चल सका नारा

प्रियंका गांधी 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव दौरान काफी ऐक्टिव दिखीं थीं। उन्होंने एक नारा गढ़ा था, ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं।’ वहीं ‘वीमेन मेनिफेस्टो’ भी जारी किया था, जिसमें सालाना 3 गैस सिलेंडर मुफ्त और छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी की बात कही गई थी। कांग्रेस को भरोसा था कि इस नारे से महिला वोटर उनके पक्ष में बाजी पलट देंगी।

पार्टी ने अपने वादों के अनुसार 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिए थे। कुल 399 उम्मीदवारों में 155 महिलाएं थीं। प्रियंका गांधी ने राज्य में पार्टी के पंजे को मज़बूती से संभाला और रोड शो और रैलियों के ज़रिए भीड़ भी बहुत जुटाई, लेकिन वो इसे वोटों में तब्दील करने में नाकामयाब रहीं। 403 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को सिर्फ 2 सीट पर जीत मिली। यह कांग्रेस के चुनावी इतिहास का सबसे शर्मनाक हार था।

राहुल गांधी प्रियंका की छवि को भुनाने की कर रहे कोशिश

सीनियर जर्नलिस्ट प्रियदर्शी रंजन कहते हैं कि प्रियंका गांधी की छवि को राहुल गांधी भुनाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि पब्लिक से कनेक्ट करने में प्रियंका एक सक्षम नेत्री हैं। प्रियंका का बॉडी लैंग्वेज, उनके बोलने की शैली मास कनेक्ट करने में कांग्रेस के अन्य नेताओं की तुलना में प्रियंका को काफी ऊपर रखता है। इसलिए राहुल चाहते हैं की बार-बार प्रियंका बिहार आएं।

बिहार में महिलाएं राजनीतिक तौर पर जागरूक

प्रियदर्शी रंजन ने कहा कि बिहार में तो महिला सशक्तिकरण का विशेष प्रभाव है। राजनीतिक तौर पर बिहार की महिलाएं बेहद जागरूक हुई हैं। इसका कारण यह है कि पिछले दो दशकों में महिलाओं के लिए जो योजनाएं चली है, उससे वह सबल हुई हैं और राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा रहीं हैं।

हालांकि, महिलाओं के लिए ऑप्शनल महिला नेतृत्व का ऑप्शन खोलना प्रियंका के लिए कितना कारगर होगा, यह कहना मुश्किल है क्योंकि नीतीश कुमार ने महिलाओं को सबल बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बिहार चुनाव में क्षेत्रिय पार्टियों की बदौलत कांग्रेस सत्ता में आना चाहती

उन्होंने आगे कहा कि बिहार चुनाव से पहले प्रियंका ने असम विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राज्य का दौरा किया और जनसभाएं की, मगर कांग्रेस के पक्ष में नतीजा नहीं आया। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों विधानसभा चुनाव में क्षेत्रिय पार्टियों ने कांग्रेस को वैसा सपोर्ट नहीं किया, जैसा सहयोग वे चाहते थे। संगठन के स्तर पर कांग्रेस उत्तर प्रदेश और असम में कमजोर है।

बिहार में भी कांग्रेस निचले स्तर पर है। मगर कांग्रेस को यह उम्मीद है कि, जो महागठबंधन के अन्य दल संगठन और ग्रासरूट के लेवल पर मजबूत हैं, उनका सहयोग मिलेगा। इसी सहयोग के बदौलत प्रियंका गांधी जो नरेटिव सेट कर रही हैं, महिलाओं को जोड़ रही हैं, वह वोट में भी तब्दील हो जाएगी। हालांकि, प्रियंका गांधी के लिए भी यह एक परीक्षा होगी।

मोतिहारी की सभा में भीड़ जरूर होगी, मगर वोट में नहीं होगी तब्दील

वहीं, पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रवीण बागी ने कहा कि प्रियंका गांधी साफ-सुथरी छवि वाली नेत्री हैं, जिनका विवादों से कोई लेना-देना नहीं है और उन पर किसी तरह का आरोप भी नहीं है। उनके प्रति युवाओं और महिलाओं को लेकर काफी आकर्षण है। इसलिए राहुल गांधी चाहते हैं कि प्रियंका बिहार आए।

मगर प्रियंका का पॉलिटिकल करियर अभी शुरू ही हुआ है। वह इतनी असरदार साबित नहीं हुई हैं। मोतिहारी की सभा में भीड़ जरूर होगी, मगर उसका वोट में तब्दील होना मुश्किल है।

नीतीश सरकार को लेकर महिलाओं में कोई असंतोष नहीं

प्रवीण बागी ने कहा कि, प्रियंका के महिला संवाद का बहुत ज्यादा फायदा होते हुए नहीं दिख रहा है क्योंकि यहां नीतीश सरकार ने महिलाओं के लिए काफी कुछ किया है। नीतीश सरकार ने योजनाओं के माध्यम से महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण किया है। उन्हें आरक्षण, मानदेय वृद्धि, पेंशन का लाभ दिया है। इसलिए इस सरकार को लेकर महिलाओं में कोई असंतोष नहीं है।

दौरा करने या भाषण से बिहार की जनता वोट नहीं देती

उन्होंने आगे कहा कि, बिहार पिछड़ा प्रदेश ज़रूर है, मगर राजनीतिक रूप से काफी जागरूक है। सिर्फ दौरा करने या भाषण से यहां की जनता प्रभावित होकर वोट नहीं देती है। खासकर महिलाओं को इस सरकार से कोई शिकायत नहीं है। इसलिए कोई भी आ जाए, उसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

दूसरा पक्ष यह भी है कि नीतीश सरकार अपराध को नियंत्रित करने में ज्यादा कुछ नहीं कर पाई है। मगर यह चीज़ अन्य कल्याणकारी योजनाओं में असर नहीं दिखा पाएगी। अगर कांग्रेस अपराध और भ्रष्टाचार को बिहार चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनाने में सफल रही तो हीं कुछ असर हो सकता है।

वोटर अधिकार यात्रा में शामिल हुई थीं प्रियंका

इससे पहले प्रियंका बिहार में राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में शामिल हुई थीं। वह 10वें दिन इंडिया अलायंस के वोट चोरी के खिलाफ अभियान का हिस्सा बनी थीं। 26 अगस्त को वो सुपौल पहुंची थी। उन्होंने राहुल गांधी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी और अन्य नेताओं के साथ मिलकर गाड़ी में रोड शो किया था।

फिर अगले दिन 27 अगस्त को दरभंगा में अपने भाई राहुल के साथ वह बाइक रैली में शामिल हुईं थीं। उन्होंने बुलेट की सवारी की थी, जहां वह राहुल गांधी के साथ पीछे बाइक पर बैठी हुईं थी।

नीतीश कुमार की कोर वोटर्स हैं महिलाएं

2005 में सत्ता में आने के बाद से ही नीतीश कुमार महिलाओं को एक वोट बैंक के रूप में मानते रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने पंचायतों में महिलाओं को 50% रिजर्वेशन दिया। फिर शराबबंदी लागू कर दी।

इसके बाद विधवा और बुजुर्गों को हर महीने पेंशन, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत 12वीं पास छात्राओं को एकमुश्त 10 हजार रुपए और ग्रेजुएशन पास को एकमुश्त 50 हजार रुपए, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत गरीब परिवारों की बेटियों की शादी के लिए एकमुश्त 50,000 रुपए देना, उनका मास्टर स्ट्रोक रहा।

यही कारण है कि बीते 15 सालों में बिहार में महिला एक वोट बैंक बनकर उभरी हैं। उनकी बदौलत ही सरकार बनती-बिगड़ती है।

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