भारत ने आकाश-NG मिसाइल सिस्टम का सफल टेस्ट किया:अलग-अलग दूरी और ऊंचाई पर मौजूद लक्ष्यों को निशाना बनाया; यह पूरी तरह स्वदेशी

भारतीय सेना ने मंगलवार को आकाश नेक्स्ट जेनरेशन (आकाश-NG) मिसाइल सिस्टम का सफल ट्रायल किया। इस सिस्टम ने सभी जरूरी सर्विस क्वालिटी मानकों (PSQR) को पूरा किया। इसे देश की स्वदेशी एयर डिफेंस ताकत को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

DRDO के मुताबिक, ट्रायल के दौरान आकाश-NG ने अलग-अलग दूरी और ऊंचाई पर मौजूद हवाई लक्ष्यों को सटीक तरीके से नष्ट किया। इसमें सीमा के पास कम ऊंचाई पर उड़ने वाले और लंबी दूरी पर ज्यादा ऊंचाई वाले लक्ष्य भी शामिल थे।

यह सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बना है। इसमें देसी RF सीकर और सॉलिड रॉकेट मोटर लगी है। आकाश-NG मिसाइल तेज रफ्तार और अलग-अलग तरह के हवाई खतरों से देश की सुरक्षा करने में अहम भूमिका निभाएगी।

क्यों खास है आकाश-एनजी

अधिकारियों के मुताबिक, आकाश-NG मिसाइल सिस्टम एक आधुनिक और ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम है। इसे DRDO ने विकसित किया है और इसका निर्माण भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने किया है। यह सिस्टम एकसाथ कई हवाई लक्ष्यों को निशाना बनाने में सक्षम है।

आकाश-एनजी की मारक क्षमता करीब 30 किलोमीटर तक है और यह 18 किलोमीटर की ऊंचाई तक दुश्मन के हवाई खतरों को रोक सकता है। इसके सफल ट्रायल के बाद इसे भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना में शामिल करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसके शामिल होने से देश की हवाई सुरक्षा और मजबूत होगी और भारत की स्वदेशी एयर डिफेंस क्षमता को बड़ी मजबूती मिलेगी।

17 जुलाईः आकाश प्राइम डिफेंस सिस्टम का सफल टेस्ट

इससे पहले भारतीय सेना ने 17 जुलाई को लद्दाख में स्वदेशी रूप से विकसित एयर डिफेंस सिस्टम ‘आकाश प्राइम’ का सफल परीक्षण किया था। इस एडवांस मिसाइल सिस्‍टम को भी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है।

इस सिस्टम से पूर्वी लद्दाख में 15,000 फीट (4500 मीटर) से अधिक की ऊंचाई पर उड़ रहे दो ड्रोन मार गिराए थे। आकाश प्राइम, आकाश वेपन सिस्टम का नया और एडवांस वर्जन है। इसे ऊंचाई और कम ऑक्सीजन वाले इलाकों में इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया है।

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