मध्यप्रदेश में इस मानसूनी सीजन में औसत 42.7 इंच बारिश हो चुकी है, जो सामान्य कोटे से 7 इंच ज्यादा है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मानसून की विदाई के दौरान भी पूरे प्रदेश में तेज बारिश का एक और दौर शुरू हो सकता है। फिलहाल 4 दिन तक तेज बारिश का अलर्ट नहीं है। भोपाल, जबलपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में बूंदाबांदी हो सकती है।
इससे पहले बुधवार को मध्यप्रदेश के 13 जिलों में बारिश हुई। भोपाल में शाम 7:30 बजे से रात 11:30 बजे तक सिर्फ 4 घंटे में लगभग ढाई इंच बारिश रिकॉर्ड की गई। बड़ा तालाब एक बार फिर लबालब भर गया, जिससे रात में भदभदा डैम का एक गेट खोलकर पानी की निकासी करनी पड़ी। इस मानसून सीजन में चौथी बार डैम का गेट खोला गया है।
रीवा और सतना में पौने 2 इंच पानी गिर गया। टीकमगढ़ में सवा इंच और छिंदवाड़ा में आधा इंच से ज्यादा बारिश हुई। ग्वालियर, पचमढ़ी, खजुराहो, नौगांव, सीधी, नर्मदापुरम, शाजापुर, पांढुर्णा, डिंडौरी समेत अन्य जिलों में भी बारिश दर्ज की गई।
इंदौर में भी शाम को तेज पानी गिरा। शहर के निचले इलाकों में जलजमाव हो गया। विजयनगर में सड़कों पर दो फीट तक पानी भर गया। सिवनी में संजय सरोवर बांध के 4 गेट खोल दिए गए। पांढुर्णा में बारिश की वजह से जाम नदी में बाढ़ आ गई।
दो साइक्लोनिक सर्कुलेशन और एक ट्रफ की एक्टिविटी
मौसम वैज्ञानिक अरुण शर्मा ने बताया कि दो साइक्लोनिक सर्कुलेशन और एक ट्रफ की एक्टिविटी से कुछ जिलों में बारिश का दौर बन रहा है। अगले 24 घंटे में नया सिस्टम एक्टिव होने के बाद फिर से पानी गिरेगा।
4 दिन प्रदेश में तेज बारिश का अलर्ट नहीं
मौसम विभाग ने अगले 4 दिन तक प्रदेश में तेज बारिश का अलर्ट जारी नहीं किया है, लेकिन लोकल सिस्टम की वजह से पानी गिर सकता है। पिछले एक सप्ताह से ऐसा ही हो रहा है।
मौसम विभाग के अनुसार, आधे राजस्थान से मानसून लौट चुका है। वहीं, गुजरात, पंजाब और हरियाणा के कई जिलों से भी मानसून लौटा है। यदि वापसी की यही रफ्तार रही तो एमपी के भी कई जिलों में अगले हफ्ते ऐसी स्थिति बन सकती है।
मध्यप्रदेश में 16 जून को मानसून ने आमद दी थी। तब से अब तक औसत 42.7 इंच बारिश हो चुकी है। अब तक 35.6 इंच पानी गिरना था। इस हिसाब से 7.1 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है। यह कोटा पिछले सप्ताह ही पूरा हो गया है।
इंदौर-उज्जैन संभाग की तस्वीर बेहतर नहीं
इस मानसूनी सीजन में इंदौर और उज्जैन संभाग की स्थिति ठीक नहीं है। यहां सबसे कम पानी गिरा है। हालांकि, जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में तेज बारिश हुई है। छतरपुर, मंडला, टीकमगढ़, उमरिया समेत कई जिलों में बाढ़ आ गई। ग्वालियर-चंबल में भी मानसून जमकर बरसा है। यहां के सभी 8 जिलों में कोटे से ज्यादा पानी गिर चुका है। इनमें ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, दतिया और श्योपुर शामिल हैं।
गुना में सबसे ज्यादा 65 इंच पानी गिर चुका है। मंडला में 59 इंच, श्योपुर में 56.3 इंच, अशोकनगर में 54.7 इंच और शिवपुरी में 54.5 इंच बारिश हो चुकी है।
वहीं, सबसे कम 26 इंच बारिश खरगोन में हुई। शाजापुर में 27.3 इंच, बड़वानी में 27.6 इंच, बुरहानपुर में 28 इंच और खंडवा में 28.1 इंच पानी गिर चुका है।
भोपाल में 4 साल से कोटे से ज्यादा बारिश
भोपाल में सितंबर महीने की औसत बारिश 7 इंच है, लेकिन पिछले 4 साल से कोटे से ज्यादा पानी बरस रहा है। ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें तो साल 1961 में पूरे सितंबर माह में 30 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक 9.2 इंच बारिश का रिकॉर्ड 2 सितंबर 1947 को बना था।
इस महीने औसत 8 से 10 दिन बारिश होती है। वहीं, दिन में तापमान 31.3 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22.2 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।
इंदौर में सितंबर में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश
इंदौर में सितंबर महीने में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश हो चुकी है। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है, जो साल 1954 में बना था। वहीं, 20 सितंबर 1987 को 24 घंटे में पौने 7 इंच पानी गिर चुका है।
इस महीने इंदौर में औसत 8 दिन बारिश होती है, लेकिन इस बार 15 या इससे अधिक दिन तक बारिश हो सकती है। सितंबर के आखिरी सप्ताह में मानसून की वापसी होने लगेगी।
ग्वालियर में साल 1990 में गिरा था 25 इंच पानी
ग्वालियर में सितंबर 1990 में 647 मिमी यानी साढ़े 25 इंच बारिश हुई थी। यह सितंबर में मासिक बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड है। वहीं, 24 घंटे में 7 सितंबर 1988 को साढ़े 12 इंच बारिश हुई थी। सितंबर में ग्वालियर की औसत बारिश करीब 6 इंच है, लेकिन पिछले तीन साल से इससे अधिक बारिश हो रही है।
जबलपुर में 24 घंटे में साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड
सितंबर महीने में जबलपुर में भी मानसून जमकर बरसता है। 20 सितंबर 1926 को जबलपुर में 24 घंटे के अंदर साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड है। वहीं, पूरे महीने में 32 इंच बारिश साल 1926 को हो चुकी है।
यहां महीने में औसत 10 दिन बारिश होती है। वहीं, सामान्य बारिश साढ़े 8 इंच है। पिछले 3 साल से सामान्य से ज्यादा पानी गिर रहा है।
उज्जैन में 1981 में पूरे मानसून का कोटा हो गया था फुल
उज्जैन की सामान्य बारिश 34.81 इंच है, लेकिन साल 1961 में सितंबर की बारिश ने ही पूरे सीजन की बारिश का कोटा फुल कर दिया था। इस महीने 1089 मिमी यानी, करीब 43 इंच पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक साढ़े 5 इंच बारिश का रिकॉर्ड 27 सितंबर 1961 को बना था।
सितंबर महीने में उज्जैन की सामान्य बारिश पौने 7 इंच है, लेकिन पिछले दो साल से 12 इंच से ज्यादा बारिश हो रही है। इस महीने औसत 7 दिन बारिश होती है।