शेख हसीना के तख्तापलट का 1 साल पूरा:यूनुस सरकार में लगातार हिंदुओं पर हमले हुए, भारत से तकरार बढ़ी तो पाकिस्तान से दोस्ती

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़े आज एक साल पूरा गया है। शेख हसीना एक साल से भारत में हैं, वहीं उनकी पार्टी अवामी लीग और उनके कार्यकर्ता अब भी बांग्लादेश में हैं।

बांग्लादेश में बीते एक साल में कट्टरपंथियों ने लगातार अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया है। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन ओइक्यो परिषद के मुताबिक, इसी साल जनवरी से जून 2025 तक अल्पसंख्यक समुदायों पर 258 हमले हुए।

परिषद का आरोप है कि बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार इन हमलों को रोकने में नाकाम रही, जिससे हमलावर बेखौफ हो गए हैं।

भारत के साथ भी बांग्लादेश के रिश्ते उतार चढ़ाव भरे रहे हैं। बांग्लादेश सरकार कई बार भारत से शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने का मांग कर चुकी है, जबकि भारत वहां हिंदू धार्मिक स्थलों और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता चुका है।

हालांकि, बीते कुछ वक्त में दोनों देशों के रिश्तों पर सुधार नजर आया है। मोहम्मद यूनुस ने पिछले महीने भारत को ‘हरिभंगा’ किस्म के 1,000 किलोग्राम आम गिफ्ट भेजे थे। इसके अलावा उन्होंने ढाका प्लेन क्रैश में घायल हुए लोगों की मदद के लिए भारतीय डॉक्टरों को धन्यवाद कहा था।

पाकिस्तान के साथ संबंध बढ़ा रहा बांग्लादेश

भारत के उलट पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में लगातार सुधार आया है। मोहम्मद यूनुस बीते एक साल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से दो बार मुलाकात कर चुके हैं।

नवंबर 2024 में, 1971 के बाद पहली बार एक पाकिस्तानी कार्गो जहाज चटगांव बंदरगाह पहुंचा था। इसके अलावा इस साल अप्रैल में ढाका में 15 साल बाद दोनों देशों के विदेश सचिवों ने मुलाकात की थी।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी 27-28 अप्रैल को ढाका का दौरा किया था, जो 2012 के बाद पहली उच्च-स्तरीय यात्रा थी। इस दौरान दोनों देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए समझौतों पर चर्चा की थी।

कोटा सिस्टम से हुआ शेख हसीना का तख्तापलट

बांग्लादेश में हाईकोर्ट ने पिछले साल नौकरियों में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था, जिसके विरोध में छात्रों ने 5 जून 2024 को आंदोलन की शुरू किया।

कोटा सिस्टम में सुधार की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू हुए, जो जल्द ही हिंसक हो गए। इस आंदोलन के दौरान एक हजार से ज्यादा लोगों की जान गई। आंदोलन का नतीजा ये हुआ कि शेख हसीना को 5 अगस्त को देश छोड़ना पड़ा।

सैनिकों और राष्ट्रपति के मार्गदर्शन में नेशनल इमरजेंसी लागू कर अंतरिम सरकार का गठन हुआ। नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस इस सरकार की अगुआई कर रहे हैं और देश के चीफ एडवाइजर हैं। अंतरिम सरकार में छात्र आंदोलन के प्रमुख चेहरे नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और महफूज आलम को भी जगह मिली।

राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुटे

बांग्लादेश में अप्रैल 2026 तक चुनाव कराने का आदेश है। जिसके बाद नाहिद इस्लाम ने फरवरी 2025 में सरकार से इस्तीफा देकर नई पार्टी नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) बना ली है।

जल्द ही चुनाव होने की चर्चाओं के बीच NCP और जमात-ए-इस्लामी देश भर में रैलियां और प्रदर्शन कर रही हैं। वहीं हिंदुओं की समर्थक मानी जाने वाली शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

वहीं, बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) खुद को एकजुट कर रही है। इनकी रैलियों में अच्छी खासी भीड़ आ रही है। BNP अंतरिम सरकार पर जल्द से जल्द चुनाव कराने का दबाव बना रही है।

पूर्व PM खालिदा जिया पार्टी की कमान संभाल रही हैं। फिलहाल खराब सेहत के चलते बेटे तारिक रहमान पार्टी के एक्टिंग चेयरमैन हैं।

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