शेर, गजल और व्यंग्य की गूंज से गूंजा गुलाबीशहर:पं. शंकर निराश की स्मृति में हुआ कवि सम्मेलन, अजहर इकबाल ने जगाई संवेदनाएं

गुलाबी शहर की सुकून भरी शाम जब साहित्य की सुरभि से महकी, तो मंच पर शब्दों का महाकुंभ सजा। महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देशभर के प्रसिद्ध कवियों और शायरों ने अपनी रचनाओं से ऐसा वातावरण बनाया कि हर पंक्ति तालियों की गूंज में तब्दील होती चली गई।

कार्यक्रम का आयोजन हिंदी एवं राजस्थानी के सुप्रसिद्ध कवि पं. शंकर निराश की स्मृति में किया गया था। सरस्वती वंदना से शुरुआत करते हुए मशहूर शायरा शबीना अदीब ने जब कहा – मां शारदे, मां शारदे, वरदान दो वरदान दो…”तो पूरा सभागार भक्ति और भावनाओं से भर उठा।

जयपुर की शायरा शहिस्ता ने अपनी नर्म गजल बोलना कुछ नहीं है, सुनना है से श्रोताओं के दिलों में जगह बनाई। वहीं एकेश पार्थ ने अपने हास्य अंदाज में ऐसा ठहाकों का माहौल बनाया कि दर्शक देर तक मुस्कुराते रहे।

कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण मशहूर शायर अजहर इकबाल ने जब समाज की संवेदनाओं को झकझोरते हुए कहा — हर तरफ घात में बैठे हैं यहां दुशासन, वीर अर्जुन सा कोई लड़ैया नहीं आने वाला, खुद तुम्हें दुर्गा के अवतार में ढलना होगा, घोर कलयुग है, कन्हैया नहीं आने वाला तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

अजहर इकबाल ने आगे अपनी गहरी सोच और वतनप्रेम को भी आवाज दी। इतना संगीन पाप कौन करे, मेरे दुख पर विलाप कौन करे,चेतना मर चुकी है लोगों की, पाप पर पश्चाताप कौन करे ने सभागार का अलग माहौल बना दिया। उनकी पंक्ति सबसे अच्छी है मेरे वतन की खुशबू पर दर्शकों ने खड़े होकर अभिवादन किया।

हास्य और व्यंग्य का संगम

प्रसिद्ध हास्य कवि प्रवीण शुक्ल ने अपने चिर-परिचित व्यंग्यात्मक अंदाज में रचनाएं सुनाई। उन्होंने समसामयिक परिस्थितियों पर तीखा लेकिन मनोरंजक व्यंग्य किया। कवि अनुराग शर्मा ने अपने गीत हर श्रृंगार के फूलों से तेरी मांग सजाऊं से सभागार को सुरों की मिठास में डुबो दिया। उनकी पंक्तियां कपोत शांति धवल अब नहीं उड़ाएंगे ने श्रोताओं को महाभारत के शाश्वत मूल्यों की याद दिलाई। कार्यक्रम में अरुण जैमिनी और विनीत चौहान ने भी अपने हास्य और प्रेरक काव्य से खूब तालियां बटोरीं। हर प्रस्तुति के साथ कलाप्रेमियों की गूंजती तालियां कवियों के उत्साह में नई ऊर्जा भर रही थीं।

साहित्य की शाम, संवेदनाओं की गूंज

कार्यक्रम संयोजक मित्रोदय गांधी ने बताया कि कवि सम्मेलन में सतीश पूनिया और प्रताप सिंह खाचरियावास सहित कई गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि यह आयोजन सिर्फ कविता का मंच नहीं, बल्कि विचार, व्यंग्य और भावनाओं का उत्सव है। जो समाज को सोचने और मुस्कुराने की वजह देता है।

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