सोनीपत में बारिश के चलते गांव में मकान की दीवार भैंस पर गिर गई और माैके पर मौत हो गई। वहीं यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। एक ओर यमुना लगातार उफान पर है तो दूसरी ओर भारी बारिश ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
मंगलवार दोपहर से देर रात तक हुई तेज बारिश के बाद शहर और गांवों के हालात बिगड़ गए। शहर की सड़कों पर पानी भर गया, लोग अपने वाहनों को धक्के मारकर निकालते दिखे। नौकरीपेशा और दुकानदारों को भी घर पहुंचने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
यमुना नदी में 3 लाख 30 हजार क्यूसिक पानी सोनीपत पहुंच चुका है, वहीं दूसरी तरफ पानी दिल्ली भी पहुंच रहा है। लगातार होने वाली बारिश से और यमुना नदी का पानी लोगों के लिए आफत बन रहा है। सोनीपत जिले में यमुना से सटे हुए बांध के भीतर हजारों एकड़ फसल तबाह हो गई है। वहीं यमुना के बढते जलस्तर का प्रभाव दिल्ली तक जल्दी ही पहुंचेगा।
पुश्तैनी मकान की दीवार गिरी
सोनीपत के राठधाना गांव में देर शाम हुई तेज बारिश के चलते प्रवीण उर्फ काला के मकान की दीवार और छत पर जा गिरी। दीवार साइड के जयनारायण माकड़ के बंधे हुए पशुओं पर जा गिरी। जिसके चलते मौके पर एक भैंस की मौत हो गई। इस दौरान चार पशु प्लॉट में बंधे हुए थे,गनीमत रही अन्य पशुओं को चोट नहीं लगी।
वहीं प्रवीण उर्फ काला का मकान की छत और दीवार गिरने से काफी नुकसान हुआ है और वह गाँव में ही बाल काटने की दुकान चलाता है। गरीब परिवार से संबंध रखता है और वह उनका पुश्तैनी मकान था। करीबन 50 साल पुराने मकान में वे रह रहे थे। बारिश के चलते मकान की छत और दीवार गिरने के चलते अब खाली किया जा रहा है। वहीं दोनों परिवारों ने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है।
अलग-अलग गांवों में डीसी ने लिया जायजा
दूसरी तरफ से सोनीपत के डीसी भी अलग-अलग गांव में पहुंचकर स्थिति का जायजा लेने मंगलवार पहुंचे थे। उन्होंने ग्रामीणों से मिलकर उन्हें आश्वस्त किया कि प्रशासन हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। सोनीपत डीसी ने कहा है कि यमुनानगर में हथनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी खतरे के निशान के नजदीक पहुँच गया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि प्रशासन हर मुश्किल में उनके साथ खड़ा है।
जानिए यमुना नदी से सटे हुए गांवों के हालात
जब जमीनी हालात का जायजा लिया, तो बेगा और पबनेरा, ग्यासपुर, मिमापुर समेत कई गांवों के खेतों की स्थिति काफी गंभीर दिखी। गांव बेगा में कई एकड़ फलों के बाग कटाव में बह गए हैं, जबकि पबनेरा में किसान अपनी डूबती हुई फसलों को देखकर मायूस नजर आ रहा है। गांव बेगा व पबनेरा में बांध से भारी मात्रा में जल कुछ दूरी पर है।
किसान प्रदीप के अनुसार, साल 2011 में 200 एकड जमीन को यमुना ने खुद में समेट लिया था। इसके बाद साल 2023 में भी यही मंजर था और इस बार भी सैकड़ों एकड़ फसल यमुना में बह गई है। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल पानी आता है, लेकिन इस बार कटाव बहुत ज्यादा हुआ है, जिससे उनकी जमीनें नदी में समा रही हैं।
गांव की महिलाएं चूल्हा-चौका छोड़कर यमुना के बढते जलस्तर की स्थिति को देखने पहुंच रही हैं। कुछ किसान तो ऐसे नजर आएं कि खेतों की सब्जियों को पानी के बढते जलस्तर में भी तोडकर बचाने का प्रयास करता नजर आया। लेकिन यमुना के उफान के आगे किसी की भी एक न चली और सब किसान की आंखों के सामने बर्बादी का मंजर होता रहा।
पबनेरा की महिला अंगूरी देवी ने बताया कि पशुओं के लिए हरा चारा भी खेतों में डूब गया है, जिससे अब उनके लिए चारे की भारी किल्लत हो गई है। जिले के कई गांवों से सब्जियां दिल्ली और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भेजी जाती थी। लेकिन बाढ़ के कारण अब किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
जिला प्रशासन की तैयारियां
उपायुक्त सुशील सारवान ने कई गांवों का दौरा कर ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है और लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि बाढ़ प्रभावित हो सकने वाले गांवों में पेयजल, बिजली, हेल्थ सेवाएं और पशुओं की सुरक्षा जैसी सभी जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।
उन्होंने ग्रामीणों से अफवाहों पर ध्यान न देने और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रशासन को सूचित करने की अपील की। उपायुक्त ने यह भी सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि कोई भी व्यक्ति यमुना बांध के भीतर न रहे।
अधिकारियों का बयान
सिंचाई विभाग के एक्सईएन अश्वनी कौशिक ने बताया कि हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी सोनीपत पहुंच गया है, जिससे बांध के भीतर की खेती प्रभावित हुई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी तक किसी भी गांव में पानी नहीं घुसा है और स्थिति नियंत्रण में है। बावजूद इसके, प्रशासन ने यमुना नदी से सटे सभी 30 गांवों के लोगों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं।