हरियाणा की दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा (दयालु) योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। हालात ये हैं कि योजना के तहत करीब साढ़े 35 हजार फाइलें अटकी पड़ी हैं। मार्च तक की फाइलें अभी फंसी पड़ी हैं और पात्र आर्थिक मदद की बाट जोह रहे हैं, जबकि इस योजना का विभाग खुद CM नायब सैनी के पास है।
इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि अभी फाइलें पंचकूला मुख्यालय से ही क्लियर होती हैं,जहां स्टाफ कम है। इसलिए अब सरकार बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसके बदलाव के तहत जिला स्तर पर भी फाइलों को क्लियर किया जाएगा। अप्रैल 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में इस योजना की शुरुआत की गई थी।
इस योजना के तहत प्रदेश में किसी व्यक्ति की सड़क दुर्घटना या असमय मृत्यु हो जाने, दुर्घटना में स्थायी विकलांगता होने पर सरकार की ओर से आर्थिक मदद की जाती है। यह आर्थिक मदद 1 से 5 लाख रुपए तक होती है। अभी हालत ये हैं कि फाइल क्लियर होने में कई-कई महीने लग रहे हैं।
अब पढ़िए बदलाव की 3 वजहें…
- फाइलों की बढ़ती पेंडेंसी: हरियाणा में अभी दयालु योजना की करीब 35 हजार 500 फाइलें पेंडिंग हैं। दरअसल, हर रोज योजना विभाग की दयालु योजना की ब्रांच में रोज करीब 150 से 200 फाइलें आती हैं। यानी हर महीने के 22 वर्किंग डे में करीब 4400 फाइलें आती हैं। मगर, समय से इन फाइलों का निपटारा नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि नवंबर में मार्च की फाइलें पुटअप की गई हैं।
- मुख्यालय में स्टाफ की कमी: हरियाणा की दयालु योजना दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना के तहत आती है, इसका संचालन हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास द्वारा किया जाता है। ये योजना विभाग की दयालु ब्रांच पंचकूला द्वारा संचालित की जाती है। अभी यहां स्टाफ की भारी कमी है। हाल ही में विभाग में एक एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा आठ और स्टाफ है, जो कंप्यूटर पर फाइल अपलोड करने और स्कैन करने का काम करता है।
- CM सैनी के पास योजना विभाग: प्रदेश में योजना विभाग की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री नायब सैनी के पास है। सीएम का महकमा होने के कारण अधिकारी कोई कोताही नहीं बरतना चाहते हैं। यही वजह है कि फाइलों के जल्द से जल्द निपटान के लिए अब जिला स्तर पर भी फाइलों को क्लियर करने का काम ट्रांसफर करने की योजना बनाई गई है।
क्या है दयालु योजना..
हरियाणा की दयालु योजना एक वित्तीय सहायता योजना है, जो हरियाणा के परिवार पहचान पत्र (PPP) में ₹1.80 लाख तक वार्षिक आय वाले मेंबरों की मृत्यु या दुर्घटना के कारण 70% या उससे अधिक स्थायी विकलांगता की स्थिति में आर्थिक मदद प्रदान करती है। योजना के तहत, लाभ की राशि व्यक्ति की आयु के आधार पर अलग-अलग होती है, जो ₹1 लाख से ₹5 लाख तक हो सकती है। यह वित्तीय सहायता अन्य बीमा योजनाओं (जैसे PMJJBY और PMSBY) के तहत मिलने वाली राशि के अतिरिक्त होती है।
अब तक साढ़े 36 हजार को मिल चुका लाभ
हरियाणा में अब तक 36 हजार 651 परिवारों को कुल 1380 करोड़ रुपए की सहायता दी जा चुकी है। इस योजना के तहत एक लाख 80 हजार रुपए तक वार्षिक आय वाले परिवार के छह वर्ष से 60 वर्ष तक की आयु के सदस्य की मृत्यु या दिव्यांग होने पर 5 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। दयालु योजना के तहत गरीब परिवारों के छह से 12 साल तक के बच्चे की मृत्यु या 100 प्रतिशत दिव्यांग होने पर एक लाख रुपए दिए जाते हैं।
इसी प्रकार से 12 से 18 वर्ष की आयु पर दो लाख रुपए, 18 से 25 वर्ष की आयु तक तीन लाख रुपए, 25 से 45 वर्ष की आयु पर पांच लाख रुपए और 60 साल की आयु तक तीन लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।