हरियाणा में साढ़े 13 हजार कर्मचारियों को राहत:जॉइनिंग में देरी से अटकी सैलरी मिलेगी; रिलीविंग डेट से नौकरी मानी जाएगी

हरियाणा सरकार ने ग्रुप-D के नए कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। 2023 में भर्ती हुए और 24 दिसंबर, 2024 को पोस्टिंग पाने वाले कर्मचारियों को अब नौकरी जॉइन करने में देरी की वजह से रुकी हुई सैलरी मिल जाएगी।

सरकार ने कहा है कि जिस दिन उन्हें पुराने ऑफिस से रिलीव किया गया था, वही उनकी जॉइनिंग डेट मानी जाएगी। इससे उनकी नौकरी पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। रुकी हुई सैलरी एक साथ आएगी। हालांकि, कब आएगी इसके बारे में अभी स्पष्ट नहीं बताया गया।

इसे लेकर मानव संसाधन विभाग ने ऑर्डर जारी कर दिए हैं। 2023 में हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) ने ग्रुप-D के 13,536 पदों के लिए नोटिफिकेशन निकाला था। इसके लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) हुआ था।

नए कर्मचारियों के सामने 2 दिक्कतें आईं….

  • विभागों में पद खाली नहीं मिले: कुछ नए कर्मचारियों को नौकरी मिलने के बाद भी जॉइन करने में दिक्कत आ रही थी। इसकी वजह थी कि हरियाणा मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (HHRMS) पोर्टल पर विभागों में पद खाली नहीं थे, पद के नाम में कुछ गड़बड़ थी या फिर कुछ तकनीकी परेशानियां थीं। इस वजह से कर्मचारियों को पुराने ऑफिस से तो रिलीव कर दिया गया, लेकिन नए विभाग में जॉइन करने में समय लग गया।
  • रिलीव-जॉइनिंग गैप की सैलरी नहीं मिली: 9 अप्रैल, 2025 को सरकार ने कहा कि इन कर्मचारियों को उसी जिले में कहीं और नौकरी दी जाए, लेकिन पुराने ऑफिस से रिलीव होने और नए ऑफिस में जॉइन करने के बीच का जो समय था, उस दौरान की सैलरी नहीं मिल पा रही थी, जिससे कर्मचारियों को पैसे की दिक्कत हो रही थी।

सरकार ने अब क्या निर्णय लिया…

  • गैप टाइम को नौकरी का समय माना जाएगा: परेशानियों के बाद मानव संसाधन विभाग ने साफ कर दिया है कि कर्मचारियों को पुराने ऑफिस से रिलीव होने और नए ऑफिस में जॉइन करने के बीच का जो समय था, उसे भी नौकरी का समय माना जाएगा और उसकी सैलरी भी मिलेगी।
  • नौकरी पर बुरा असर नहीं पड़ेगा: साथ ही जिस दिन कर्मचारी पुराने ऑफिस से रिलीव हुए थे, वही तारीख उनकी जॉइनिंग डेट मानी जाएगी, जिससे उनकी नौकरी पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। मानव संसाधन विभाग ने सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को कहा है कि वे इन आदेशों का का तत्काल और सख्ती से पालन करें। इसे अत्यंत आवश्यक श्रेणी में रखने के भी निर्देश दिए।

कर्मचारियों ने सीधे CM के सामने मांग रही

चूंकि ये नई नियुक्तियां थीं, इसलिए कर्मचारी यूनियनों का इस मामले में सीधा हस्तक्षेप नहीं था। आमतौर पर कर्मचारी यूनियनें ऐसे मामलों में कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, लेकिन इस मामले में कर्मचारी सीधे तौर पर अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत थे। कर्मचारियों ने अपनी समस्याओं और वेतन संबंधी दिक्कतों को मुख्यमंत्री नायब सैनी और अन्य सरकारी माध्यमों के जरिए सरकार के सामने रखा। सरकार ने मामले की गंभीरता को समझा और मानव संसाधन विभाग को इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए निर्देशित किया, जिसके बाद यह राहत भरा आदेश जारी किया गया।

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