संयुक्त किसान मोर्चा को मिला 13 विपक्षी पार्टियों का समर्थन, 26 मई को देशभर में प्रदर्शन कर मनाएंगे काला दिवस

नए कृषि कानूनों के मसले पर किसान संगठनों और सरकार के बीच गतिरोध थमता नजर नहीं आ रहा है। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान नेताओं को एक बार फिर विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। कांग्रेस समेत 13 बड़ी विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukta Kisan Morcha, SKM) के उस फैसले का समर्थन किया है जिसमें 26 मई को देश भर में प्रदर्शन करने की घोषणा की गई है। मालूम हो कि इस दिन किसान आंदोलन को शुरू हुए छह महीने पूरे हो रहे हैं।

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक 13 विपक्षी दलों की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukta Kisan Morcha, SKM) के समर्थन में एक ताजा बयान भी जारी किया गया है। इसमें 12 मई को लिखे गए उस पत्र का भी जिक्र है जिसमें नए कृषि कानूनों (new farm laws) को वापस लेने की मांग की गई थी। तब विपक्षी दलों की ओर से कहा गया था कि कृषि कानूनों (new farm laws) को वापस लिया जाना चाहिए। इसके लाखों किसानों को महामारी का शिकार होने से बचाया जा सकता है।

इन विपक्षी पार्टियों ने किया है समर्थन 

  • सोनिया गांधी (कांग्रेस)
  • एचडी देवेगौड़ा (जद-एस)
  • शरद पवार (एनसीपी)
  • ममता बनर्जी (टीएमसी)
  • उद्धव ठाकरे (शिव सेना)
  • एमके स्टालिन (डीएमके)
  • हेमंत सोरेन (झामुमो)
  • फारूक अब्दुल्ला (पीपुल्‍स कांफ्रेंस)
  • अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी)
  • तेजस्वी यादव (राजद)
  • डी राजा (सीपीआई)
  • सीताराम येचुरी (माकपा)
  • आम आदमी पार्टी (आप)

नए कृषि कानूनों के विरोध में 28 नवंबर से दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन जारी है। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बातचीत फिर से शुरू करने की पहलकदमी करने की अपील की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने पत्र में कहा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रमुख होने के नाते बातचीत फिर से शुरू करने की जिम्मेदारी आप पर है। यदि सरकार बातचीत करके हमारी समस्याओं का समाधान करे तो किसान अपने घर चले जाएंगे।

पत्र में कहा गया है कि यदि 25 मई तक सरकार की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो 26 मई को राष्ट्रीय विरोध दिवस मनाया जाएगा। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगले चरण में संघर्ष को और तेज करेंगे। बता दें कि केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 12 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्‍म नहीं हुआ है। किसान कानून रद करने की जिद पर अड़े हुए हैं जबकि केंद्र सरकार किसानों से आपत्ति वाले बिंदुओं को बताने को कहती रही है।