खतरनाक है रूमेटाइड अर्थराइटिस का प्रॉब्लम, लाइफस्टाइल और डाइट में बदलावों से मुमकिन है बचाव

रूमेटाइड अर्थराइटिस सूजन से जुड़ी समस्या है, जिसमें न सिर्फ जोड़ों पर असर पड़ता है बल्कि बॉडी के तंत्र, स्किन, आंखों, लंग्स, दिल और खून की धमनियों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इस बीमारी का इलाज लंबे समय तक या जिंदगी भर चल सकता है। इसके अलावा और भी किन कारणों से खतरनाक है अर्थराइटिस का ये रूप, जानें यहां

एक्सपर्ट्स की मानें तो यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वस्थ कोशिकाओं को ही नुकसान पहुंचाना शुरु कर देती हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को जोड़ों में दर्द, सूजन और जलन की शिकायत होती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस में हड्डियों का क्षरण होने लगता है, साथ ही इसमें ज्वाइंट्स का आकार बदलने लगता है, जिससे पैर व हाथ या उंगलियां टेढ़ी होने लगती हैं।

ऐसे हो सकते हैं लक्षण

– उंगली पर गांठ या सूजन

– जोड़ों में अकड़न, कमजोरी व सूजन

– बहुत ज्यादा थकान महसूस होना

जोड़ों, पीठ व मांसपेशियों में दर्द

– चलने-फिरने में दिक्कत आना

– चुभन महसूस होना या बहुत ज्यादा मुंह का सूखना

रूमेटाइड अर्थराइटिस सबसे पहले शरीर के छोटे जोड़ों पर असर डालता है, उदाहरण के लिए उंगलियों के जोड़, इसके बाद यह बढ़ते हुए कलाई, घुटने, कोहनी, कूल्हे, कंधे आदि जोड़ों को भी प्रभावित करना शुरू करता है।

ऐसा हो आपका डाइट प्लान

अनाज– पुराना चावल, गेहूं, जौ

दाल– अरहर, मूंग, मसूर दाल

फल एवं सब्जियां- सेब, पपीता, सहजन, टिंडा, परवल, लौकी, तोरई, खीरा, करेला

अन्य– कड़वा भोज्य पदार्थ जैसे- अजवाइन, अदरक, सौंफ, हींग, काला नमक, तेल, हल्का गर्म पानी, काली मिर्च, सेंधा नमक, धनिया, लहसुन, जीरा, घी, अरंडी तेल, गुनगुना पानी, बिना मलाई का दूध, छाछ

किसको हो सकता है ज्यादा खतरा

–  महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले इस अर्थराइटिस की चपेट में आने के ज्यादा से ज्यादा चांस होते हैं।

– तीस की उम्र पार करने के बाद इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है।

– कुछ स्टडीज में सामने आया है कि जो लोग स्मोकिंग करते हैं उनके इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा ज्यादा होता है।