महिला वकीलों ने बंगाल की हिंसा पर चीफ जस्टिस को लिखा पत्र, की जांच की मांग, कही यह बात

बंगाल में दो मई को चुनाव परिणाम आने के बाद से जारी जबर्दस्त हिंसा को लेकर देश की महिला वकीलों ने आवाज उठाई है। दो हजार से अधिक महिला वकीलों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना को पत्र लिखकर बंगाल में हो रही हिंसक घटनाओं का संज्ञान लेने का आग्रह करते हुए घटनाओं की एफआइआर दर्ज कराने के लिए विशेष टीम गठित करने और सभी मामलों की जांच की मांग की है।

2093 महिला वकीलों ने क‍िए हस्ताक्षर

इस पत्र पर बंगाल समेत देश भर की 2093 महिला वकीलों ने हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में दावा किया गया है कि दो मई को चुनाव परिणाम आने के बाद से बंगाल में लगातार हिंसा हो रही है। बच्चों और महिलाओं को भी नहीं बख्शा जा रहा है। हिंसा के कारण सैकड़ों परिवारों को पलायन करना पड़ा है। इन वकीलों ने कहा है कि बंगाल में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। हिंसक घटनाओं से राज्य के नागरिकों की जिंदगी नर्क बन गई है।

महिलाओं और बच्चों पर भी हमले 

पत्र में कहा गया है कि मासूमों पर हो रहे बेशुमार अत्याचारों ने देश भर की महिला वकीलों की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है हिंसा को अंजाम देने वाले महिलाओं और बच्चों पर कतई तरस नहीं खा रहे हैं।

एफआइआर तक दर्ज नहीं हो पा रही

पत्र में आगे लिखा गया है कि स्थानीय पुलिस की स्थानीय गुंडों के साथ सांठगांठ होने से अत्याचार का शिकार होने वालों की एफआइआर तक दर्ज नहीं हो पा रही है। राज्य में संवैधानिक ढांचा पूरी तरह चरमरा गया है। पत्र में चीफ जस्टिस से इस मामले का संज्ञान लेकर मीडिया के जरिये सामने आई हिंसा की सभी घटनाओं की एफआइआर दर्ज करने के लिए विशेष टीम गठित करने की मांग की है।

बंगाल से बाहर के अधिकारी को दी जाए कमान 

पत्र में इन मामलों को दर्ज करने के लिए बंगाल से बाहर के किसी पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाने की मांग की है। पत्र में इन मामलों की कोर्ट की निगरानी में एसआइटी से जांच कराने के साथ आरोपपत्र दाखिल होने के बाद फास्टटै्रक अदालतों में सुनवाई कराने का भी आग्रह किया गया है।

शिकायतें दर्ज कराने की प्रणाली की जाए विकसित

इसके साथ ही चीफ जस्टिस से बंगाल के डीजीपी को हर स्तर पर शिकायतें दर्ज कराने की प्रणाली विकसित करने और विभिन्न चैनलों के जरिये आने वाली शिकायतों का विवरण प्रतिदिन सुप्रीम कोर्ट भेजने का निर्देश देने की मांग भी की गई है।