हरियाणा में सरसों के तेल की कीमतों में उछाल में बड़ा ‘खेल’, तर हो रहे व्‍यापारी व जमाखोर, लोग बेहाल

हरियाणा में सरसों तेल की कीमतों ने उपभोक्‍ताओं का बुरा हाल कर रखा है। राज्‍य में कोरोना के साथ ही सरसों तेल की कीमतों में भी उछाल आता गया। दरअसल पूरे मामले में बड़ा ‘खेल’ भी  सामने आ रहा है। सरसों तेल की कीमतों के इस ‘खेल’ से व्‍यापारी और जमाखोर तो तर हो गए, लेकिन लोग बेहाल हैं। कीमतें आसमान छूने लगीं तो सरकार ने सख्ती की और सरसों के भाव 850 रुपये प्रति क्विंटल कम हो गए हैं लेकिन बाजार में तेल के भाव यथावत हैं।

जमाखोरों के साथ-साथ थोक व खुदरा व्‍यापारी भी मुनाफाखोरी में जुटे

जमाखोरों के साथ थोक और खुदरा व्‍यापारी भी मुनाफाखोरी में जुट गए व इसका खामियाजा उपभाेक्‍ताओं काे भुगतना पड़ रहा है। यह पहला मौका है जब थोक और खुदरा व्यापारी सरसों के तेल पर 10-20 रुपये प्रति किलोग्राम तक मुनाफा ले रहे हैं। इससे पहले थोक व्यापारी औसतन दो और खुदरा व्यापारी चार से पांच रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा मुनाफा नहीं लेते थे।

उपभोक्ता को राहत नहीं, काेरोना के साथ ही बढ़ते गए सरसों तेल के भाव

थोक व्यापारी सरसों का तेल फिलहाल 150 रुपये प्रति किलोग्राम बेच रहे हैं और खुदरा बाजार में यह 170 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव बिक रहा है। बाजार में तेल का यह भाव तब बना था जब अप्रैल माह के मध्य में सरसों का भाव 7350 रुपये प्रति क्विंटल था। अब सरकार की सख्ती के कारण सरसों बाजार में 6500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है तो भी बाजार में सरसों के तेल का भाव 170 रुपये प्रति किलोग्राम है।

सरकार की सख्ती से जमाखोरों ने सरसों बाजार में निकाली तो रेट 850 रुपये प्रति क्विंटल भाव

सरसों के तेल के निर्माता और थोक व्यापारी बिशन चंद बताते हैं कि थोक बाजार में अब सरसों के तेल के दाम थोक बाजार में तो कम हुए हैं, लेकिन अभी इसका असर खुदरा बाजार में नहीं आया है। थोक बाजार तो कच्चे माल के हिसाब से तत्काल निर्मित माल के भाव कम कर देता है,लेकिन खुदरा बाजार में भाव ठीक होने में समय लगता है। यह बात अलग है खुदरा बाजार महंगाई को तत्काल अपना लेता है।

इसके बावजूद खुदरा बाजार में तेल के भाव 170 रुपये प्रति किलोग्राम से कम नहीं हुए

बिशन चंद बताते हैं कि इस बार सरकार ने सीजन के दौरान सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4650 रुपये तय किया था। एमएसपी भी किसान की लागत से 50 फीसद अधिक भाव पर तय की जाती है। खैर, एमएसपी की दर पर सरकार सरसों का एक भी दाना नहीं खरीद पाई। दस दिन पहले तक सरसों 7350 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिकी। अब सरकार का जब इस पर ध्यान गया तो सरसों का भंडारण करने वाले व्यापारियों ने सरसों बाजार में निकाल दी। इससे अब 42 फीसद तेल की गारंटी वाली सरसों का भाव 6500 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गया है।

सरसों से तेल निकालने तक का अर्थशास्त्र

6500 रुपये की एक क्विंटल (100 किलोग्राम) सरसों में पेराई के बाद 150 रुपये प्रति किलोग्राम (थोक दर) की दर से बिकने वाला 35 फीसद तेल और 63 से 65 फीसद खल निकलती है। यह खल 28 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकती है। इस खल में भी करीब सात फीसद तेल होता है। पशु चारा तैयार करने वाली कुछ फैक्टरी ऐसी भी हैं जो खल में से यह सात फीसद तेल भी निकाल लेती हैं। तब यह पशु चारा बीस रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है। इस तरह एक क्विंटल सरसों में 5250 रुपये का तेल और 1764 रुपये की खल निकलती है

ट्रांसपोर्टेशन, पेराई व अन्य खर्चे 100 रुपये प्रति क्विंटल के लगभग होते हैं। तेल निर्माता को पेराई के बाद सरसों पर करीब चार सौ रुपये प्रति क्विंटल मुनाफा होता है। बिशन चंद बताते हैं कि कोविड काल में भी ट्रांसपोर्ट की दर सामान्य ही रहीं, इसलिए यह भी नहीं कह सकते कि ट्रांसपोर्टेशन पर अधिक व्यय आया हो।

फिलहाल तेल निर्माता या थोक व्यापारी को सरसों का तेल 150 रुपये और खल 28-29 रुपये किलो ही बाजार में बेचता है। 160 रुपये तेल का भाव उसे तब आता था जब सरसों का भाव 7350 रुपये प्रति क्विंटल था।

सरसों और तेल के भाव का पिछले दो माह में ट्रेंड

तारीख-               सरसों के भाव (रुपये प्रति क्विंटल) –    तेल के भाव (प्रति किलो)

  • 20, फरवरी-                 4500-                                        105-110
  • एक, मार्च-                   5000-                                        120-130
  • 15, मार्च-                    6000-                                        135-140
  • 20, अप्रैल –                 7350-                                        160-170
  • 10 मई –                     6500-                                         50-160