हरियाणा मशरूम के बाद मछली पालन में भी अपना नाम कमा सकता है। अभी मछली पालन करने वाले किसान कम हैं मगर मछली पालन को मतस्य विभाग काफी अच्छा और फायदे मंद व्यापार मानता है। यही कारण है कि प्रदेश में वर्ष 1966 में मछली पालन 58 हेक्टेयर तालाबों में मछली पालन होती थी जो बढ़कर 17454.58 हेक्टेयर तालाबों तक पहुंच गई है। कई योजनाएं भी हैं जिसमें मतस्य पालन विभाग किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। इसमें विभाग आपको मछलियां भी देता है। यहां तक कि तालाब के लिए ऋण भी मुहैया कराते हैं।
कुछ जिला मछली पालन के लिए उपयुक्त
पूरे प्रदेश पर गौर किया जाए कई जिले ऐसे हैं जहां का पानी मछली पालन के लिए उपयुक्त है। मछली उद्योग को बल इसलिए भी मिला है, क्योंकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानि आईसीएआर ने मछली पालन के लिए राज्य को बीमारी मुक्त राज्य घोषित किया है। खास बात है कि इसके लिए भारत सरकार भी सहयोग के लिए तैयार है। मछली पालन के लिए भारत सरकार जल्द ही इजरायल से नई तकनीकी भी लेकर आ रही है। राज्यों में नदियों, नहरों, प्राकृतिक और मानव निर्मित झीलों, जलाशयों, सूक्ष्म जल शेड और गांव के तालाबों का सदुपयोग किया जा सकता है।
पानी मत्स्य पालन के लिए उपयुक्त
सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य है।प्रदेश में अधिकांश लोग ऐसे हैं जो मुख्य रूप से शाकाहारी हैं। किसान मछली पालन को व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं। अगर उत्पादन देखा जाए तो हरियाणा प्रति हेक्टेयर मछली उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है। हरियाणा के कई हिस्सों में भूमिगत जल लवणीय है जिसे मछली उत्पादन के उपयोग में लाया जा सकता है। मत्स्य पालन विशेष रूप से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों को कम लागत में प्रोटीन उपलब्ध कराने का उत्तम स्रोत है। यह क्षेत्र किसान की आय बढ़ाने के साथ-साथ कई सहायक उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करता है।