हरियाणा-दिल्ली बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों में ‘बिखराव’, चढूनी के अलग फेडरेशन से कई संकेत

Farmers Protest: हतीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ बीते वर्ष 26 नवंबर से दिल्ली-हरियाणा सीमा पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं में मतभेद पहले से थे। कई बार सतह पर भी आए। अब एक बार फिर मतभेद सार्वजनिक होने लगे हैं। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चे से अलग भारतीय किसान मजदूर फेडरेशन बनाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह संयुक्त किसान मोर्चे के साथ तो रहेंगे, लेकिन अपनी अलग राह पर चलते रहेंगे ।

चढूनी के बाकी संगठनों से अलग होकर फेडरेशन बनाने पर वरिष्‍ठ किसान नेताओं की चुप्‍पी

चढूनी के इस नए संगठन को लेकर अभी तक संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। मोर्चे की सात सदस्यीय कोर कमेटी के सदस्य और स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव इंटरनेट मीडिया पर मुखर रहते हैं, लेकिन चढूनी के नए फेडरेशन को लेकर उनका कोई बयान या प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

चढूनी ने ही की थी हरियाणा में आंदोलन की शुरूआत

गुरनाम सिंह चढूनी की हरियाणा में अपनी अलग भारतीय किसान यूनियन है, जिसे भाकियू (चढ़ूनी) के नाम से जाना जाता है । सितंबर 2020 में चढूनी ने ही सबसे पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र में तीन कृषि सुधार कानूनों का विरोध किया। इसके बाद हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने चढूनी सहित अन्य किसान संगठनों के नेताओं को दिल्ली बुलाकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से बातचीत के लिए आमंत्रित किया। लेकिन चढूनी ने इस वार्ता का बहिष्कार किया। बाद में संयुक्त मोर्चे के तत्वावधान में हरियाणा-दिल्ली सीमा पर शुरू हुए किसान संगठनों के आंदोलन में चढूनी को ज्यादा महत्व नहीं मिला।

जनवरी माह में जब चढूनी ने दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया तो उनके और मध्यप्रदेश के किसान नेता शिव कुमार शर्मा कक्काजी के बीच विवाद भी हुआ। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से भी चढूनी की पटरी नहीं बैठी। इसका ताजा उदाहरण हिसार में देखा गया। हिसार में राकेश टिकैत और चढूनी अलग दिखाई दिए। चढूनी ने टिकैत का नाम लिए बिना यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में आंदोलन निष्प्रभावी हो रहा है।

टिकैत की राय इससे अलग

दूसरी तरफ भाकियू (टिकैत) राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत कहते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चे में करीब 550 किसान संगठन शामिल हैं। सभी मिलकर आंदोलन चला रहे हैं। पूरे देश में आंदोलन ठीक चल रहा है। उत्तर प्रदेश में आंदोलन के निष्प्रभावी की बाबत गुरनाम सिंह चढूनी का जो बयान आया है, यह उनकी व्यक्तिगत सोच हो सकती है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आंदोलन प्रभावी ढंग से चल रहा है। गाजीपुर बार्डर पर हजारों किसान लगातार प्रदर्शन में शामिल हैं। प्रदेश में लगातार टोल फ्री करवाए जा रहे हैं। किसानों के हक में भारतीय किसान यूनियन हर संभव लड़ाई लड़ रही है।