बंपर पैदावार के साथ गेहूं की रिकॉर्ड खरीद, चार करोड़ टन हो चुकी सरकारी खरीद, उत्पादन अनुमान 10.87 करोड़ टन

बंपर पैदावार के ताजा अनुमान और रिकॉर्डतोड़ सरकारी खरीद ने गेहूं उत्पादन के आंकड़ों पर जताए जा रहे सवालों व संदेह को सिरे से खारिज कर दिया है। चालू रबी मार्केटिंग सीजन में अब तक चार करोड़ टन से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी है, जो पिछले साल की कुल खरीद के मुकाबले दस लाख टन से भी अधिक है। गेहूं की सरकारी खरीद की यह मात्रा अब तक की सर्वाधिक है। यह स्थिति तब है, जब गेहूं के दो बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद अभी जारी है। हालांकि, सरकारी खरीद निर्धारित लक्ष्य से अभी 27 लाख टन पीछे है।

पिछले वर्ष गेहूं की कुल सरकारी खरीद 3.89 करोड़ टन हुई थी, जबकि उत्पादन 10.78 करोड़ टन हुआ था। इसके मुकाबले चालू फसल वर्ष 2020-21 में गेहूं की 10.87 करोड़ टन पैदावार का अनुमान है। गेहूं के भारी उत्पादन का सबसे बड़ा संकेतक चालू मार्केटिंग सीजन में हो रही सरकारी खरीद है। अभी तक चार करोड़ टन से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी है।

सरकारी खरीद अभी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 15 जून तक होनी है। मध्य प्रदेश अपने निर्धारित लक्ष्य 1.35 करोड़ में से 1.24 करोड़ टन खरीद चुका है। हालांकि, उत्तर प्रदेश अपने लिए निर्धारित 55 लाख टन के लक्ष्य के विपरीत सिर्फ 36.55 लाख टन खरीद सका है। उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि खरीद पूरी की जाएगी।

पंजाब ने अपने निर्धारित लक्ष्य 1.30 करोड़ टन के मुकाबले 1.32 करोड़ टन से अधिक गेहूं खरीदा है। इसी तरह हरियाणा में 80 लाख टन के मुकाबले 84.93 लाख टन खरीद हो चुकी है। गेहूं उत्पादक कुछ अन्य छोटे राज्य उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात, बिहार, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भी गेहूं की अपेक्षित खरीद हो चुकी है। चालू रबी मार्केटिंग सीजन में 42 लाख से अधिक किसानों से सीधी खरीद हुई और उनके बैंक खाते में उनकी उपज के मूल्य जमा कराए गए। सरकार ने अब तक कुल 79,000 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक का गेहूं खरीदा है।

कोरोना संक्रमण के इस दौर में भी किसानों ने रबी सीजन में अपनी उपज बेचने में तत्परता दिखाई है। पिछले वर्ष इन्हीं दिनों तक केवल 3.50 करोड़ टन गेहूं की सरकारी खरीद हो सकी थी, जबकि इस बार यह आंकड़ा चार करोड़ टन को पार कर चुका है।

गेहूं के अलावा अन्य उपज दलहन व तिलहन की सरकारी खरीद में भी तेजी का रुख रहा है। हालांकि, चालू सीजन में खुले बाजार में तिलहनी व दलहनी फसलों की कीमतें बढाकर बोली जा रही है, जिससे किसानों को अच्छा फायदा मिला है। सरकारी एजेंसियों को इन दोनों फसलों की खरीद में शुरुआती दौर में ही सफलता मिली, जब बाजार में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बोली जा रही थीं। सरकार इस बार केवल 6.99 लाख टन दलहनी व तिलहनी फसलों की किसानों से खरीद कर सकी है। इनमें मूंग, उड़द, अरहर, चना, मसूर, मूंगफली और सोयाबीन प्रमुख हैं।