सरकार द्वारा ही विदेश से दवा लाना सुनिश्चित करने की एक अधिवक्ता की दलील पर दिल्ली हाई कोर्ट ने देश की वर्तमान स्थिति पर अहम टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के संसाधन गंगा की तरह बस रहे हैं। पेट्रोल के दाम बढ़ने पर सवाल उठाते हुए पीठ ने कहा कि तिजाेरी खाली है और हमें सावधान रहना होगा। सरकारें जो कुछ कर सकती हैं कर रही हैं तो हर मामले पर संकट मत खड़ा करिए।
पीठ ने ये टिप्पणियां तब की जब अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद ने पीठ से वह अपने एक फैसले को मिसाल के रूप में लेने की अनुमति न दे। उन्होंने कहा कि अपने स्तर पर विदेश से फंगस की दवा का प्रबंध करने के संबंध में अदालत द्वारा दिया गया फैसला मिसाल न माना जाये। पीठ ने जवाब में कहा कि विषम परिस्थिति में हम दिल पर पत्थर रखकर इस तरह के फैसले दे रहे हैं।
आदित्य ने कहा कि पांच फीसद जीएसटी के साथ आम नागरिक विदेश से दवा नहीं ले सकता है और ऐसे में यह केंद्र व राज्य सरकार का दायित्व है वे जिस भी देश में दवा है वहां से प्रबंध करें। इसके जवाब में पीठ ने कहा कि या तो आप सरकारी अस्पताल में भर्ती हो जाईये तो आपको जिस भी दवा की जरूरत होगी दी जाएगी। आदित्य ने कहा कि अदालत को संविधान के अनुच्छेद 226 की शक्तियों के प्रयोग से पीछे नहीं हटना चाहिए। इसके तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों के किसी उददेश्य के लिए हाई कोर्ट को सभी प्रकार की रिट जारी करने का अधिकार है।वहीं, सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रिजवान ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार की जानकारी पर उनके मुवक्किल ने विदेश में दवा उपलब्ध कराने वाली कंपनी से संपर्क किया था, लेकिन वह ठीक नहीं है। उन्होंने बताया कि कंपनी ने हर दवा के लिए 50 से 60 हजार रुपये की मांग की और इसके अलावा इसे लाने का भी खर्च अलग से लगेगा, जोकि उनका मुवक्किल वहन नहीं कर सकता है।