Delhi Unlock News: दिल्ली में आज से खुले बाजार, पढ़ें- CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल से खास बातचीत

सोमवार से दिल्ली के बाजारों के खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अनलॉक के द्वितीय चरण में कारोबारी गतिविधियों को मंजूरी मिली है। इससे घर बैठे तकरीबन 20 लाख व्यापारियों में खुशी की लहर है। हालांकि, ऑड-इवेन फार्मूले को लेकर उनकी चिंताएं भी है। वे इसे अव्यावहारिक बता रहे हैं। तो भी तकरीबन 50 दिनों से ठप दिल्ली के कारोबार में हलचल लाने की दिशा में यह बड़ा कदम है। माना जा रहा है कि सब कुछ ठीक रहा तो कुछ माह में उत्तर भारत का बड़ा व्यापार हब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 200 से बाजार और नौ लाख खुदरा व थोक बाजार पहले की तरह गुलजार दिखेंगे। कोरोना काल में बाजारों को खोलने की तैयारियों को लेकर नेमिष हेमंत ने कारोबारी संगठन चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) के चेयरमैन बृजेश गोयल से बातचीत की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश…

लंबे लॉकडाउन के बाद बाजार खुलने जा रहा है?

व्यापारी वर्ग इसे किस तरह देख रहा है? बाजारों को खुलना बेहद जरूरी था, क्योंकि कोरोना और लाकडाउन से सबसे अधिक नुकसान व्यापारी व उद्योग वर्ग को हुआ है। कारोबारी गतिविधियां बंद थी। दुकानें और गोदामों में ताला लगा था। पर दुकान का किराया, बिजली का मीटर, कर्मचारियों का वेतन, ऋण की किश्तें समेत अन्य चीजों का खर्च जारी था। उसमें परिवार भी चलाना था। इसलिए व्यापारी कोरोना के मामलों में कमी आने के साथ बाजार खोलने की मांग कर रहे थे। पिछले साल भी कोरोना के कारण लंबे लॉकडाउन के बाद बाजारें खुली थी। अभी व्यापारी पिछले वर्ष मिले आर्थिक झटके से उबर भी नहीं पाए थे कि दोबारा लाकडाउन लग गया। आगे हम उम्मीद करेंगे कि सब चीजें पटरी पर लौटें। जल्द उद्योग-व्यापार सभी कुछ पटरी पर आ जाएं। आखिरकार दिल्ली के 35 लाख से अधिक लोगों का परिवार व्यापार से ही चलता है।

व्यापारी ऑड-इवेन फॉर्मूले का विरोध क्यों कर रहे हैं?

व्यापारी इस फॉर्मूले से संतुष्ट नहीं है क्योंकि, यह व्यावहारिक नहीं लगता। हमारे पास भी इसे लेकर आपत्तियां आई है। इस फार्मूले से एक व्यापारी की हफ्ते में तीन दिन ही दुकान खुल सकेगी, जबकि दुकान का किराया और कर्मचारियों का वेतन उसे पूरे सप्ताह का देना पड़ेगा। दूसरी समस्या खासकर पुरानी दिल्ली के बाजारों में यह है कि एक ही नंबर पर वहां कई-कई दुकानें हैं। मान लीजिए एक कटरे या काम्पलेक्स का नंबर 1274 है तो उसमें स्थित 80 से 90 दुकानों का नंबर यहीं है। ऐसे में सवाल है कि इस फॉर्मूले को वहां कैसे लागू किया जा सकेगा। इसलिए हमने भी बाजार संगठनों को सुझाव दिए हैं। उनसे कहा है कि वह बाजार स्तर पर हर दुकानों को ऑड-इवेन के आधार पर नंबर अंकित कर दें। इससे यह समस्या नहीं रहेगी। वैसे भी यह व्यवस्था तात्कालिक है। सरकार के लोगों को कहना है कि दिल्ली में कोरोना का भयावह रूप देखा है। ऐसे में तत्काल ही सब कुछ खोल देना सही नहीं है। इससे अव्यवस्था फैलेगी। ऐसे में जरूरी है कि थोड़ा-थोड़ा अनुमति मिले और व्यवस्था बनी रहे। ताकि आगे फिर लॉकडाउन की आवश्यकता न रहे। आने वाले दिनों में सब कुछ ठीक रहा तो यह फॉर्मूला भी हट जाएगा।

कोरोना के भयावह रूप के लिए बाजारों को बड़ा कारण माना गया, ऐसे में क्या सतर्कता होगी कि दोबारा ऐसा न हो?

हमने सभी बाजार संगठनों से अपील की है कि वह कोरोना दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन करें। डबल मास्क, सैनिटाइजर, थर्मल स्के¨नग व शारीरिक दूरी पर विशेष जोर दें। बिना मास्क के आए खरीदार से कोई व्यवहार न करें। कोशिश करें कि खरीदारों से दुकान के बाहर से ही लेन-देन करें। इसी तरह बाजार में भीड़ न भड़े, इसके लिए भी गा‌र्ड्स की तैनाती करें। कुछ ऐसे इंतजाम कर हम कोरोना संक्रमण को फैलसे से रोक सकते हैं। वैसे संक्रमण बढ़ने के लिए बाजारों को जिम्मेदार ठहराना गलत है। दुकानदार देश का जिम्मेदार नागरिक है। सरकार के हर फैसले में साथ देता है। लॉकडाउन में भी उसने जरूरतमंदों के लिए भोजन और राशन किट व्यवस्था कर मिसाल पेश की है।

लॉकडाउन से व्यापारियों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। आप लोग सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं? कारोबार ठप रहने से व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ है। कई व्यापारियों के पास दोबारा कारोबार शुरू करने के लिए पूंजी नहीं बची है। ऊपर से देनदारी बनी हुई है। व्यापारी कई मोर्चे पर मुसीबत में है। हालांकि, पिछली बार का अनुभव अच्छा नहीं रहा था। केंद्र सरकार ने पैकेज की घोषणा जरूर की थी, लेकिन उसका जमीनी स्तर पर लाभ देखने को नहीं मिला था। हम चाहते हैं कि ऋण मोरेटोरियम की घोषणा इस बार भी हो। व्यापारियों को कम ब्याज पर आसानी से ऋण मिलने की व्यवस्था हो। इसके अलावा भी होटल व रेस्त्रां के साथ आथित्य उद्योग, जिम, सैलून, सिनेमा हाल व अन्य गतिविधियों की अपनी-अपनी मांगें है। हम लगातार सरकार से इस दिशा में राहत की उम्मीद लगा रहे हैं।

बाजार खुलने के बाद किराया व ऋण भुगतान संबंधी समस्या आने वाली है, उसके लिए क्या तैयारी है?

पिछले वर्ष भी संपत्ति मालिकों और दुकानदारों के बीच किराया माफ करने अथवा कम करने को लेकर विवाद हुआ था। उसे दूर करने के लिए सीटीआइ ने एक कमेटी भी बनाई थी, जिसने इस तरह के कई विवाद के मामलों को आपस में बातचीत कर सुलझाया था। दुखद है कि इस महामारी में हमने काफी सारे व्यापारी बंधु खोए हैं। ऐसे में उनके पुराने लेन-देन को लेकर बाजार में नए तरीके का विवाद खड़ा होने की आशंका है। इसके समाधान के लिए भी जरूरत पड़ी तो कमेटी गठित की जाएगी।