Noida-Greater Noida Zila Panchayat Chunav: सीएम योगी के लिए राहत की खबर, नोएडा में भाजपा उम्मीदवार अमित चौधरी की जीत तय

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा गौतमबुद्धनगर से अमित चौधरी पर ही दाव लगाएगी। बुधवार को पार्टी के पश्चिम उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल ने जिला इकाई और नवनियुक्त जिला पंचायत सदस्यों के साथ बैठक कर उनका मन टटोला। हालांकि, बैठक का एजेंडा पोस्ट-कोविड बीमारियों से बचाव के लिए लोगों तक पार्टी द्वारा मदद पहुंचने का था, लेकिन इस पर कुछ देर चर्चा होने के बाद बैठक पंचायत चुनाव की तैयारियों में बदल गई। इससे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि एक साल के भीतर यूपी विधानसभा चुनाव 2022 होना है।

प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए इसी सप्ताह अधिसूचना जारी होने की संभावना है। आठ से दस दिन के अंदर चुनावी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद ब्लाक प्रमुख का चुनाव होगा। इसके लिए जून के अंतिम सप्ताह अथवा जुलाई के प्रथम सप्ताह में अधिसूचना जारी हो सकती है।भाजपा ने आधिकारिक तौर पर अभी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। कुछ दिन पहले मौखिक रूप से पचिश्मी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर को छोड़कर बाकी सभी जिलों में प्रत्याशियों के नाम बता दिए गए थे, ताकि वह पहले से चुनाव की तैयारी कर लें। गौतमबुद्धनगर से अमित चौधरी को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने को बोल दिया गया था। भाजपा जिलाध्यक्ष विजय भाटी ने भी इसकी पुष्टि की थी। बताया जाता है कि किसान आंदोलन की वजह से जाटों को खुश करने के लिए भाजपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में जाट बिरादरी से उम्मीदवार मैंदान में उतारे हैं। इनमें गौतमबुद्धनगर से अमित चौधरी, बुलंदशहर से डाक्टर अंतुल तेवतिया, मुजफ्फनगर से वीरेंद्र निरवाल व मेरठ से गौरव चौधरी मैदान में हैं।

पश्चिम उत्तर प्रदेश को जाट और गुर्जर बाहुल माना जाता हैं, लेकिन भाजपा ने सिर्फ हापुड़ जिले से गुर्जर बिरादरी का प्रत्याशी मैंदान में उतारा है। इससे भाजपा को डर है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक सीट मिलने से गुर्जर पार्टी से नाराज हो सकते हैं। इसी वजह से भाजपा का एक धड़ा चाहता था कि गौतमबुद्धनगर गुर्जर बाहुल है, यहां इसी बिरादरी के देवा भाटी को चुनाव लड़ाया जाए। गुर्जर बसपा के परंपरागत वोट माने जाते थे, लेकिन 2014 के लोकसभा 2017 के विधान सभा व 2019 के लोकसभा चुनाव में गुर्जर भाजपा के साथ गए। बताया जाता है कि गुर्जर नेताओं ने हाईकमान तक संदेश पहुंचाया है कि यदि जिला पंचायत चुनाव में गुर्जरों की अनदेखी हुई तो आगामी विधान सभा चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है।