कोरोना महामारी से जहां पहले बुजुर्गों और व्यस्कों को सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई थी वहीं अब समय के साथ इसमें बदलाव देखा जा रहा है। अब अधिकतर देश नवजात शिशुओं से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल करने में लगे हैं। हालांकि इसको लेकर विभिन्न देशों ने अलग अलग आयु वर्ग से इसकी शुरुआत की है। जैसे भारत की ही बात करें तो यहां पर 12 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चुका है।
इसके अलावा सोमवार को 6-12 वर्ष के बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल को लेकर उनकी स्क्रीनिंग प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इस स्क्रीनिंग के दौरान जो बच्चे पूरी तरह से फिट पाए जाएंगे उनको ही वैक्सीन दी जाएगी। इसके बाद 2-12 वर्ष की आयु के बच्चों पर भी ये ट्रायल किया जाएगा। आपको बता दें कि देश के विभिन्न अस्पतालों में 2-18 वर्ष के 525 बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल किया जाना है। नई दिल्ली और पटना के एम्स में ये प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है। शुरुआत में एम्स में 12-18 वर्ष की आयु के करीब 30 बच्चों की स्क्रीनिंग हुई थी। भारत के अलावा अब अधिकतर देश इस प्रक्रिया को शुरू कर चुके हैं। वहीं अमेरिका इस प्रक्रिया को मई में ही शुरू कर चुका है। यहां पर 12-16 वर्ष की आयु के बच्चों को फाइजर की वैक्सीन दी जा रही है।
इसी तरह से यूरोपीय देश हंगरी, इटली, जर्मनी, पौलेंड, फ्रांस, ब्रिटेन समेत कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात, इजरायल ने भी अपने यहां पर ट्रायल या बच्चों पर वैक्सीन की मंजूरी देने का काम किया है। हंगरी में मई के मध्य से ही 16-18 वर्ष के बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है। आपको बता दें कि ऐसा करने वाला हंगरी यूरोप का पहला देश है। सरकार ने इसके लिए फाइजर और मॉर्डना की वैक्सीन को मंजूरी दी है। इटली में 12-15 वर्ष के बच्चों को फाइजर कंपनी की बनाई वैक्सीन दी जा रही है। इसके अलावा इटली ने 16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों पर भी वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है।
यूरोप के सबसे बड़े देश जर्मनी ने 7 जून से अपने यहां पर 12-16 वर्ष के बच्चों को वैक्सीन देने का काम शुरू कर दिया है। हालांकि यहां पर इसको स्वेच्छिक तौर पर रखा गया है। इसका अर्थ है कि जिसको ठीक लगता है वो वैक्सीन ले सकता है। हालांकि सरकार की कोशिश है कि सभी बच्चों को वैक्सीन दी जाए। 7 जून से ही पौलेंड ने भी अपने यहां पर 12-15 वर्ष के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू कर दिया है। इसके लिए जगह-जगह वैक्सीनेशन सेंटर भी बनाए गए हैं। ब्रिटेन में भी अपने यहां पर 12-15 वर्ष के बच्चों पर ट्रायल के लिए फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने के बाद वैक्सीनेशन भी शुरू कर दिया गया है। फाइजर और बायोएनटेक वेक्सीन को बच्चों पर सुरक्षित बताया गया है। मई में इसको अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से भी इजाजत मिल गई थी।
फ्रांस की बात करें तो यहां पर 15 जून से 16-18 वर्ष के बच्चों को वैक्सीन देने का काम शुरू हो जाएगा। साथ ही सरकार 12-15 वर्ष के बच्चें को अगले वर्ष से वैक्सीन देने पर विचार कर रही है। इजरायल पहले से ही 16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को वैक्सीन देने का काम कर रहा है। आपको बता दें कि इजरायल विश्व का पहला ऐसा देश है जिसने पूरी तरह से मास्क फ्री नेशन बनने की घोषणा की है। यहां पर जल्द ही 12-16 वर्ष के बच्चों को वैक्सीन देने का काम भी शुरू हो जाएगा। कनाडा मई में ही फाइजर कंपनी की वैक्सीन को इसके लिए मंजूरी दे चुका है। कनाडा ने इसके लिए वैक्सीन की खरीद भी कर रखी है।
साथ ही संयुक्त अरब अमीरात भी मई में ही 12-15 वर्ष की आयु के बच्चों को वैक्सीन लगाने को मंजूर कर चुका है। यहां पर इसका टीकाकरण भी मई में ही शुरू कर दिया गया था। सिंगापुर में 1 जून से 12-18 वर्ष के बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है। इसी तरह से चिली ने अपने यहां पर 12-16 साल के बच्चों को वैक्सीन लगाने की मंजूरी दी है। जापान ने 28 मई को 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को वैक्सीनेट करने की मंजूरी दी थी। यूरोपीय देश आस्ट्रिया ने अगस्त के अंत तक करीब साढ़े तीन लाख बच्चों को वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा है।