केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मंगलवार को इस बात को रेखांकित किया कि किस तरह योग ने कोरोना की वजह से सार्वजनिक गतिविधियों पर लगाई गई पाबंदियों के दौरान लोगों की मदद की है। उन्होंने कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाने और तनाव प्रबंधन में योग के फायदे स्पष्ट हैं।
हर्षवर्धन ने कहा- दुनिया भर में योग की स्वीकार्यता बढ़ी
विश्व योग सम्मेलन 2021 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि दुनिया भर में योग की स्वीकार्यता बढ़ रही है।
हर्षवर्धन ने कहा- पश्चिमी दुनिया में भी योग दैनिक जीवन शैली के रूप में शामिल
स्वास्थ्य मंत्रालय ने हर्षवर्धन के हवाले से एक बयान में कहा, देखा जा रहा है कि पश्चिमी दुनिया में भी योग को एक दैनिक जीवन शैली के रूप में शामिल किया जा रहा है। महामारी के वर्तमान समय में भी, जब शारीरिक और मानसिक फिटनेस पर जोर दिया गया है, कई लोगों ने इसके लिए योग का रुख किया है।
देश में कोरोना वैक्सीन से पहली मौत की पुष्टि
कोरोना रोधी टीकों के दुष्प्रभावों का अध्ययन कर रही सरकार की एक समिति ने टीकाकरण के बाद एनाफिलेक्सिस (जानलेवा एलर्जी) की वजह से मृत्यु के पहले मामले की पुष्टि की है।
टीका लगाए जाने के बाद प्रतिकूल प्रभावों से मौत के 31 मामलों का समिति ने किया मूल्यांकन
कोरोना का टीका लगाए जाने के बाद प्रतिकूल प्रभावों (एईएफआइ) से मौत के 31 मामलों का समिति ने मूल्यांकन किया। राष्ट्रीय एईएफआइ समिति की रिपोर्ट के अनुसार 68 साल के एक व्यक्ति को आठ मार्च, 2021 को टीका लगाया गया था, जिसके बाद गंभीर एलर्जी होने से उनकी मृत्यु हो गई। समिति के अध्यक्ष डाॅ. एनके अरोड़ा ने बताया, यह कोरोना वैक्सीनेशन से जुड़ा एनाफिलेक्सिस से मृत्यु का पहला मामला है। इससे यह बात और पुख्ता होती है कि टीका लगवाने के बाद टीकाकरण केंद्र पर 30 मिनट तक इंतजार करना जरूरी है। अधिकतर एनाफिलेक्टिक प्रतिक्रियाएं इसी अवधि में होती हैं और तत्काल उपचार से रोगी को मृत्यु से बचाया जा सकता है।
देश में कोरोना वैक्सीन से पहली मौत की पुष्टि
कोरोना रोधी टीकों के दुष्प्रभावों का अध्ययन कर रही सरकार की एक समिति ने टीकाकरण के बाद एनाफिलेक्सिस (जानलेवा एलर्जी) की वजह से मृत्यु के पहले मामले की पुष्टि की है।
समिति ने पांच मामलों का किया अध्ययन
समिति ने पांच ऐसे मामलों का अध्ययन किया, जो पांच फरवरी को सामने आए थे, आठ मामले नौ मार्च को और 18 मामले 31 मार्च को सामने आए। समिति ने कहा कि केवल मृत्यु होना या रोगी का अस्पताल में भर्ती होना इस बात को साबित नहीं कर देता कि ये घटनाएं टीका लगवाने के कारण हुईं।