दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति नवीन चावला व न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के नियमों के पालन और लॉकडाउन के मसले पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की है। पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि हम हमेशा लॉकडाउन में नहीं रह सकते, इसलिए अधिकारियों को कोरोना के नियमों का अनुपालन कराने के लिए अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए। पीठ ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर पर्याप्त सैनिटाइजेशन कराया जाए, क्योंकि लोगों को अपनी जीविका अर्जित करने के लिए बाहर निकलना ही पड़ता है। इसके अलावा पीठ ने कहा कि दूसरी लहर के दौरान सबने भारी कीमत चुकाई है, लिहाजा नियमों के पालन में कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।
वाट्सएप मैसेज बना याचिका का आधार
पीठ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक चिकित्सक की तरफ से हाई कोर्ट के एक न्यायमूर्ति को वाट्सएप पर भेजी गई कुछ तस्वीरों का संज्ञान लिया। पीठ ने कहा कि तस्वीर में स्ट्रीट वेंडर समेत अन्य लोगों द्वारा कोरोना नियमों की अनदेखी साफ दिखाई दे रही है। शहर के नागरिक होने के नाते इस तरह की तस्वीरें देखकर चिंता होती है।
पीठ ने मामले पर जनहित याचिका शुरू करते हुए केंद्र व दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली पुलिस को आगामी नौ जुलाई को मुख्य पीठ के समक्ष जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया, साथ ही अदालत ने कहा कि नियमों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बाजार संघों और स्ट्रीट वेंडर के साथ बैठक करें। इसके साथ ही पुलिस और सिविल डिफेंस के लोगों को ज्यादा संख्या में बाजारों में तैनात करने का भी निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि अदालत द्वारा उठाए गए मामलों को प्राधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा, क्योंकि एक और लहर की स्थिति नहीं बनने देना चाहते।
वहीं, दिल्ली सरकार के अधिवक्ता गौतम नारायण ने कहा कि नियमों को सख्ती से लागू कराया जाएगा। गर्मी में मुंह ढक सकते हैं तो अब क्यों नहींपीठ ने कहा कि गर्मी होने पर लोग अपने चेहरे को कपड़े से ढक लेते हैं, तो फिर कोरोना महामारी के समय वे मास्क क्यों नहीं लगा सकते। ये अपने स्तर पर होना चाहिए, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो प्रशासन इसका सख्ती से अनुपालन कराना चाहिए।