कोरोना महामारी से देश को उबारने में तो हमारे डॉक्टरों ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। ऐसे कठिन समय के दौरान डॉक्टर तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ता जिस तरह दिन-रात कोविड मरीजों की देखभाल में जुटे रहे हैं, उसके लिए पूरा समाज सदैव उनका ऋणी रहेगा।
1 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है डॉक्टर्स डे
सरकार द्वारा यह दिवस सबसे पहले साल 1991 में मनाया गया था। हर साल जुलाई की पहली तारीख को देशभर में यह दिन मनाए जाने की वजह है देश के जाने-माने चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री रहे डॉ. विधान चंद्र राय की जयंती और पुण्यतिथि, जो 1 जुलाई को ही होती है और उन्हें श्रद्धांजलि एवं सम्मान देने के लिए नेशनल डॉक्टर्स-डे के लिए यही दिन निर्धारित किया गया।
डॉ. विधान चंद्र के बारे में
उनका जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना जिले में हुआ था और निधन 1 जुलाई 1962 को हुआ था। डॉ. बिधान चंद्र ने अपने जीवनकाल में मेडिकल की फील्ड में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने साल 1911 में अपने चिकित्सकीय करियर की शुरुआत की और एक बेहतरीन डॉक्टर होने के साथ ही वे भारत की आजादी के आंदोलन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ भी रहे। इन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में अनेक क्रातिकारी कार्यों को अंजाम दिया। उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए उन्हें ‘बंगाल का आर्किटेक्ट’ भी कहा जाता है। साल 1961 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजे गए डॉ. विधान चंद्र की याद में ही तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा 1991 में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाने की घोषणा की गई थी, तभी से हर साल यह दिन मनाया जा रहा है। इस दिन का आयोजन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा किया जाता है।
भारत के अलावा अन्य देशों में भी डॉक्टरों को सम्मान देने के लिए अलग-अलग तारीखों पर डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। अमेरिकी राज्य जॉर्जिया में पहली बार मार्च में डॉक्टर्स डे मनाया गया था।