हरियाणा में सरकारी स्कूलों को जल्द ही 679 प्रिंसिपल मिलने वाले हैं। गत दिवस एक अर्जी पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पीजीटी से प्रिंसिपल के पदों पर प्रमोशन पर लगी रोक हटाने का आदेश दे दिया। साथ ही हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि यह पदोन्नति इस याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगी। जस्टिस जीएस संधवलिया ने यह आदेश शुक्रवार को हरियाणा सरकार द्वारा दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिए हैं।
बता दें कि 1996 में भर्ती हुए पीजीटी शिक्षकों ने प्रिंसिपलों के पद पर प्रमोशन के लिए 8 जुलाई 2019 में बनाई सीनियोरिटी लिस्ट और उसके आधार पर 12 जुलाई 2019 को की गई प्रमोशन को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। तर्क दिया गया कि सीनियोरिटी लिस्ट में सेवा की अवधि को आधार न बनाते हुए अन्य मानकों को आधार बनाया गया है, जबकि सीनियोरिटी लिस्ट में सेवाकाल की अवधि को ही आधार बनाया जाना चाहिए। ऐसा नहीं किए जाने से याचिकाकर्ता प्रभावित होंगे। ऐसे में इस सीनियोरिटी लिस्ट को रद किए जाने की मांग की गई थी।
इसके बाद हाई कोर्ट ने इन प्रमोशन पर रोक लगा दी थी और मामले में सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया था। अब हरियाणा सरकार ने इसी याचिका में अर्जी दायर कर हाई कोर्ट को बताया है कि अगस्त 2019 में प्रिंसिपलों के पदों पर रोक लगाए जाने के चलते विभाग को कई प्रशासकीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
हरियाणा में इस समय 849 प्रिंसिपलों के पद खाली हैं, जिनमे से 679 यानि 80 प्रतिशत पद पीजीटी लेक्चरर से और 20 प्रतिशत हेड-मास्टर से नियुक्त किए जाने हैं। इनमें से उन्हें पीजीटी में से 679 प्रिंसिपलों के पदों पर प्रमोशन की इजाजत दी जाए। हाई कोर्ट चाहे तो इन पर सभी प्रमोशन को इस याचिका पर अंतिम फैसले पर निर्भर रखे जाने के आदेश दे सकता है। हाई कोर्ट ने सरकार की अर्जी स्वीकार करते हुए इन पदों पर प्रमोशन की इजाजत दे दी है और आदेश दे दिए हैं कि यह प्रमोशन इस याचिका पर हाई कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर होंगी।